Saturday, December 31, 2022

न्याय बहाल हुआ

रॉबर्ट ओपेनहाइमर

इस चिट्ठी में, परमाणु बम के जनक के नामे से जाने वाले वैज्ञानिक,  रॉबर्ट ओपेनहाइमर, की सुरक्षा मंजूरी को समाप्त किये जाने वा इस आज्ञा को रद्द किये जाने की चर्चा है।

रॉबर्ट ओपेनहाइमर (२२.४.१९०४ - १८.२.१९६७) पिछली शताब्दी के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे। उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की और १९२४ में कैम्ब्रिज  विश्वविद्यालय के क्राइस्ट कॉलेज में, नाभिकीय भौतिकी के जनक, अर्नेस्ट रदरफोर्ड के साथ काम करने आये। लेकिन उन्हें प्रायोगिक भौतिकी में कम और सैद्धांतिक भौतिकी में अधिक रुचि थी। उस समय के सबसे अच्छा विश्विद्यालय गटिंगन विश्विद्यालय, जर्मनी में था क्योंकि मैक्स बोर्न वहां थे। १९२६ में, ओपेनहाइमर मैक्स बोर्न के साथ शोद्ध करने के लिये गटिंगन विश्विद्यालय चले गये। बहुत जल्दी उन्होंने अपना काम पूरा किया और मार्च १९२७ में २३ वर्ष की आयु में डाक्टरेट हासिल की।
ऐसा कहा जाता कि डाक्टरेट थीसिस के लिए उनका बचाव बहुत जल्दी समाप्त हो गया। इस पर लोगों को आश्चर्य हुआ। लोगों ने परीक्षकों से पूछा कि क्या ओपेनहाइमर थीसस का बचाव नहीं कर पाये। ९२५ में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता, जेम्स फ्रैंक, परीक्षकों में से एक थे। फ्रैंक ने बताया कि उन्हें बहुत खुशी है कि ओपेनहाइमर का थीसिस का बचाव जल्दी समाप्त हो गया क्योंकि उसने न केवल सभी सवालों का जवाब दे दिया बल्कि उन्हें लगा कि वह अपने सवाल पूछने वाला है जिनका जवाब किसी के पास नहीं था।

ओपेनहाइमर ने पहले ब्लैक होल पर काम किया। उनके जीवन काल में ब्लैक होल पर कोई नोबल पुरस्कार नहीं दिया गया। अगर दिया गया होता तो उन्हे अवश्य मिलता क्योंकि ब्लैक होल पर सबसे मूलभूत काम उन्हीं का था।
ओपेनहाइमर ने भौतिकी के कई विषयों पर कार्य किया। यदि उन्में से किसी में, वे लग कर कार्य करते तो उन्हें भौतिकी के किसी भी अन्य क्षेत्र में नोबल पुरस्कार मिल सकता था। लेकिन उनकी रुचि विविध विषयों पर थी। इसलिये किसी अन्य काम पर नोबेल पुरुस्कार नहीं मिला।

उन्हें छः भाषाओं - ग्रीक, लैटिन, फ्रेंच, जर्मन, डच, संस्कृत - का अच्छा ज्ञान था। वे  वे बर्कले विश्विद्यालय इसलिये पढ़ाने गये, क्योंकि वहां ग्रीक भाषा की कवितायों की पुस्तकें थीं जो और कहीं नहीं थी। उन्हें गीता का अच्छा ज्ञान था जिसका अध्यन उन्होंने संस्कृत में किया था। वे इसे अक्सर उद्धृत  भी करते थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, इस बात का डर था कि यदि जर्मनी ने  परमाणु हथियार बना लिय तब उससे जीतना मुश्किल होगा। इसलिये अमेरिका में परमाणु हथियार बनाने के लिये मैनहट्टन प्रोजेक्ट शुरू किया गया। जहां परमाणु हथियार बने। इसकी प्रयोगशाला लॉस अलामोस में थी और इसके निदेशक   रॉबर्ट ओपेनहाइमर थे। इसी लिये उन्हें  'परमाणु बम के जनक' के रूप में श्रेय दिया जाता है।
 जब परमाणु (प्लूटोनियम) बम का परीक्षण किया गया था तब उन्होंने, उस दृश्य का वर्णन, गीता के अध्याय ११ के श्लोक १२ से किया। इस श्लोक में, भगवान कृष्ण के अर्जुन को अपने भव्य स्वरूप का दर्शन देने के समय का वर्णन है।

'दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः'
अगर आकाशमें एक साथ हजारों सूरज चमकें,
तब भी उनका प्रकाश, भगवान के दिव्य रूप की समानता नहीं कर सकता।
 हमारा जन्म सूरज के कारण हुआ है। जिसकी उर्जा का स्रोत परमाणु ऊर्जा है। शायद हमारा अन्त भी, हमारे आपस के बीच परमाणु युद्ध से होगा। यही विचार कर उन्होंने गीता के अध्याय ११ का श्लोक ३२ को याद किया, जहां भगवान कृष्ण अर्जुन अपना कर्तव्य निर्वाह करने के लिये इस प्रकार बताते हैं।
'कालो कास्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो
लोकान्समहर्तुमिह प्रवृत्तियाँ:।
ऋते ऋपि तन्थें न भविष्यन्ति
ये प्रत्यवस्थिता: प्रत्यनीकेषु योधा:'
मैं ही काल हूं और सबका संहारक।
यदि तुम नहीं भी लड़ोगे,
तब भी सारे योद्धा मारे जायेंगे।
वे परमाणु ऊर्जा को शान्ति के लिये चाहते थे। इसलिये उन्होंने हाइड्रोजन बम के विकास का विरोध किया और रक्षा संबंधी मुद्दों पर, सरकार के विरुद्ध अपने विचार रखे। पहले, उनके संबंध, कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों और संगठनों के साथ रहे थे। इसी कारण उनके सुरक्षा मंजूरी के बारे में जांच की गयी। एडवर्ड टेल्लर हाइड्रोजन बम के जनक कहे जाते हैं। इस सुनवाई में, उन्होंने ओपेनहाइमर के खिलाफ बयान दिया । इसी कारण, २९ जून, १९५४ को उनकी सुरक्षा संभन्धित मंजूरी रद्द कर दी गयी।  
इसके नौ साल बाद, राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने उन्हें राजनीतिक पुनर्वास के संकेत के रूप में एनरिको फर्मी पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसे कैनेडी की मृत्यु के कारण लिंडन बी जॉनसन ने उन्हे दिया। लेकिन उनकी मंजूरी रद्द करने का आदेश जारी रहा।
उनकी मृत्यु के पचपन साल बाद, बाइडन प्रशासन ने १६ दिसंबर २०२२ को इस महान वैज्ञानिक के साथ हुए बड़े अन्याय को दूर करने के लिए, इस फैसले को रद्द कर दिया है।

ओपेनहाइमर पर बहुत सी पुस्तकें हैं  पर पुलिट्ज़र पुरुस्कार से सम्मानित, काई बर्ड और मार्टिन शेरविन की लिखी पुस्तक 'अमेरिकान प्रौमिथियस, द ट्राइम्फ एण्ड ट्रैजडी ऑफ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर' सबसे अच्छी है। अगले साल, २०२३ में, इसी पुस्तक पर आधारित, क्रिस्टोफर नोलन के द्वारा लिखी और निर्देशित फिल्म ओपेनहाइमर भी आ रही है। यह देखने योग्य फिल्म होगी।
१९८० में, बीबीसी ने ओपेनहाइमर पर ७ कड़ियो में  वृत्त चित्र  बनाया था। यह यूट्यूब में है। यह भी देखने योग्य है।
ओपेनहाइमर से मेरा परिचय, मेरे स्कूली जीवन में, रॉबर्ट जुंगक की लिखी पुस्तक 'ब्राइटर दैन थाउज़न्ड सनस् अ परसनल हिस्टरी ऑफ द एटौमिक साइंटिस्टस' नामक पुस्तक से हुआ था। यह प्रेणना दायक और पढ़ने योग्य  पुस्तक है।

रॉबर्ट ओपेनहाइमर और एलबर्ट आइंस्टाडन का यह चित्र मेरे कमरे में हमेशा लगा रहता था।

About this post in Hindi-Roman and English

Hindi (devnaagree) kee is chitthi mein, robert opeenheimer kee surakshha smapt krne ayr is aagya ko radd krne kee charchaa ha.
This post in Hindi (Devanagari script) is about cancellation of security clearance of Robert Oppenheimer and its cancellation.

सांकेतिक शब्द
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