Thursday, October 30, 2025

खरगोश और कछुआ - पंचतंत्र

 यह 'भारतीय न्यायालयों में FOSS नवाचार: इलाहाबाद उच्च न्यायालय से प्रेरित' श्रृंखला की आठवीं और आखरी चिट्ठी है। इसमें 'पंचतंत्र'की एक कहानी के द्वारा बताया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय FOSS को क्यों अपनाया।


भारतीय न्यायालय में FOSS का प्रयोग: इलाहाबाद उच्च न्यायालय से प्रेरित

The English version of the post may be read here

'पंचतंत्र' की  एक कथा 'खरगोश और कछुए' की रेस के बारे में है। यह कथा सभी संस्कृतियों में मिलती है।

एक जंगल में, खरगोश और कछुए अच्छे दोस्त थे। एक दिन, उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ रेस लगाने का फैसला किया। खरगोश ने स्पष्ट रूप से बढ़त बना ली, फिर उसने आराम करने का सोचा और सो गया। कछुआ धीरे-धीरे स्थिरता से चलता रहा और खरगोश से आगे निकल कर, रेस जीत गया। इस कथा की शिक्षा है, 'धीरे-धीरे लेकिन स्थिरता से चलने वाला ही रेस जीतता है।' हाल ही में, इस कथा में, कुछ नए अध्याय जोड़े गए हैं।

खरगोश अपनी हार से परेशान था। उसने कछुए से फिर से दौड़ने के लिए कहा। इस बार उसने आराम नहीं किया और आसानी से दौड़ जीत ली। इस अध्याय की शिक्षा है, 'तेज़ और विश्वसनीय होना बेहतर है।' लेकिन, कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

कुछ दिनों बाद, कछुए ने खरगोश से एक बार फिर दौड़ने के लिए, इस शर्त के साथ कहा, कि रास्ता कछुआ ही चुनेगा। खरगोश अपनी जीत के प्रति आश्वस्त था और उसने उसे पूरी छूट दे दी। इस बार दौड़ में एक नदी भी शामिल थी।

खरगोश दौड़कर नदी तक गया और फिर रुक गया। कछुआ आया और दौड़ जीतने के लिए नदी पार तैर गया। इसका सार यह है कि, 'हर किसी की कमज़ोरियाँ और मज़बूतियां होती हैं - अपनी मज़बूतियों पर ध्यान दो।' हालांकि, यह कथा यहीं खत्म नहीं होती।

कुछ दिनों बाद, कछुए और खरगोश ने फिर उसी दौड़ में फिर से रेस लगाई, लेकिन नियम बदल दिए गए। इस बार उन्होंने एक टीम के रूप में दौड़ने का फैसला किया। ज़मीन पर खरगोश कछुए को अपनी पीठ पर और नदी पर कछुआ खरगोश को अपनी पीठ पर उठाए हुए था। नतीजा यह हुआ कि दोनों जल्दी पहुँच गए, समय की बचत हुई और दौड़ का आनंद भी लिया। इसका सार यह है कि, 'हर किसी की मज़बूतियों को एक साथ लाना सबसे अच्छा है।'

FOSS, खुले मानक और खुले प्रारूप इसी के बारे में हैं। ये -

  • मज़बूतियों को एक साथ लाते हैं;
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) का उपयोग कर, प्रौद्योगिकी का संचय को रोकते हैं;
  • प्रौद्योगिकी के विकास में भाग लेने के लिए सबको आमंत्रित करते हैं।

यह एक असामान्य तरीके से 'प्रेम करो, युद्ध नहीं' है और यही भविष्य की कुंजी है।

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