Monday, December 29, 2025

पढ़ें, पढ़ें, और पढ़ते चलें

सारांश: यह चिट्ठी बताती है कि संवाद को बेहतर बनाने और कानूनी दुनिया में चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने के लिए और क्या किया जा सकता है।

मेरे पिता, वीरेन्द्र कुमार सिंह चौधरी, अपने विद्यार्थी जीवन में

कानून के विद्यार्थियों को सलाह

भूमिका और सबसे मुख्य बात।। अपनी भाषा सुधारें।।  अच्छे संचार का मूलमंत्र - संक्षिप्त और मुद्दे पर बात करना।। संचार के लिये, विषय की स्पष्टता महत्वपूर्ण है।। फाइनमेन तकनीक क्या है।। पढ़ें, पढ़ें, और पढ़ते चलें।।

This post can be read in English here.

अच्छी पुस्तकें पढ़ना बहुत अच्छा विचार है। यह न केवल आपकी सामान्य जानकारी को बेहतर बनाता है बल्कि भाषा को भी बेहतर बनाता है। अच्छी पुस्तकों के अलावा, कानून के बारे में पढ़ना ज़रूरी है: यह आपको कानूनी दुनिया में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगा।

पढ़ें - कानूनी फैसलों की रिपोर्ट 

कम से कम एक सुप्रीम कोर्ट और एक हाई कोर्ट फैसलों की रिपोर्ट को शब्दशः पढ़ें। इसके अलावा, वैश्वीकरण के दौर में, विदेशी फैसले और जर्नल पढ़ें। अब अधिकतर अंतरजाल पर  उपलब्ध हैं। इससे न केवल कानून का ज्ञान बढ़ेगा पर आपके समझ में आयेगा कि जजों का  दिमाग कैसे काम करता है।

एक वकील के तौर पर, मैंने एआईआर सुप्रीम कोर्ट और शुरू में इलाहाबाद लॉ जर्नल और फिर इलाहाबाद वीकली केसेज़, ऑल इंग्लैंड रिपोर्ट्स और लॉयर्स एडिशन (अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की रिपोर्ट) को शब्दशः, पेज-दर-पेज पढ़ा। कानूनी लड़ाई की आधी लड़ाई केवल इस बात से जीती जाती है कि जज का दिमाग कैसे काम करता है।

जब भी मुझे मौका मिला, मैंने, जजों की लाइब्रेरी से, विदेशी जर्नलों को लेकर पढ़ा।

पढ़ें - कानूनी इतिहास

यह जानना अच्छा है कि कानून कैसे विकसित हुआ। किसी भी कानून या उसमें संशोधनों पर विचार करते समय, उस कानून या संशोधनों को बनाने वाली लॉ कमीशन रिपोर्ट को पढ़ना उचित है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कानून ने कैसे आकार लिया; यह कैसे विकसित हुआ। 

एमसी सीतलवाड़ का हैमलिन लॉ लेक्चर 'द कॉमन लॉ इन इंडिया' बेहतरीन पुस्तक है। कानून के इतिहास के बारे में जानने के लिये। इससे पढ़ना शुरू करें। यह पुस्तक अन्तरजाल पर, मुफ्त में उपलब्ध है।

एमसी छागला की आत्मकथा - 'रोज़ेज़ इन दिसंबर'

आइए, मैं अपनी बात को एक घटना से समझाता हूँ, जिसका ज़िक्र न्यायमूर्ति एमसी छागला ने अपनी बेहतरीन आत्मकथा 'रोज़ेज़ इन दिसंबर' में किया है।

१९४१ में, जिस दिन एमसी छागला  न्यायाधीश बने, उनके प्राइवेट सेक्रेटरी ने उन्हें बताया कि एक युवा वकील उनसे मिलना चाहता है। जब वकील अंदर आया, तो वह एक शर्मीला और झिझकने वाला युवा था। वह उनसे एक पत्र, इस बात का चाहता था कि वह बम्बई विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में पढ़ सके।

छागला बॉम्बे विश्वविद्यालय सिंडिकेट के सदस्य थे और वे ऐसा कर सकते थे। उन्होंने खुशी-खुशी उसे पत्र दे दिया। उन्हें खुशी हुई कि वह युवा वकील न केवल कानून की पुस्तकें पढ़ता है, बल्कि साहित्य और इतिहास जैसे अन्य विषयों में भी दिलचस्पी रखता था और इन विषयों की पुस्तकें पढ़ता था। वह युवा वकील कोई और नहीं, बल्कि नानी पालकीवाला था; भारत के महानतम वकीलों में से एक। 

निष्कर्ष: अच्छी पुस्तकों, लॉ रिपोर्ट, लॉ जर्नल के साथ कानूनी इतिहास पढ़ना महत्वपूर्ण है।

अगली पोस्ट में, हम इंटर्नशिप के बारे में बात करेंगे।

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