इस चिट्ठी में महिला सश्क्तिकरण और परी से बातें।
यह चिट्ठी ई-पाती श्रंखला की कड़ी है। यह श्रंखला, नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ दूरी कम करने, और उन्हें जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है। महिलाओं को इसलिए काम करना चाहिए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके।
यह चिट्ठी ई-पाती श्रंखला की कड़ी है। यह श्रंखला, नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ दूरी कम करने, और उन्हें जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है। महिलाओं को इसलिए काम करना चाहिए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके।
हिमाचाल यात्रा के दौरान हम चायल भी गये। वहां महाराजा और पटियाला यादुवेन्द्र सिंह का महल था। १९७२ में, इसे हिमाचल सरकार के पर्यटन विभाग ने खरीद लिया। इसमें अब एक प्रीमियम हैरीटेज़ होटल बना दिया है। हम लोग इस होटेल को देखने गये। इसके बारे में विस्तार से, इस यात्रा विवरण के दौरान बात करेंगे। लेकिन, आज उस होटल में हुई एक घटना के बारे में।
लेकिन, यह आज क्यों? यह तो आपको अन्त में ही बात चलेगा।
होटल की मुख्य इमारत को के सामने एक बहुत बड़ा सा लॉन है। यह कोई फुटबॉल के मैदान के बराबर होगा। हम लोग, इस लॉन पर चल कर होटेल के अन्दर गये। लॉन पर बहुत से लोग वहां के नजारे एवं समा का आनन्द ले रहे थे। वहीं लॉन मेरी मुलाकात, एक परिवार से हुई। उनके साथ एक प्यारी सी युवती थी। उसके बाल बहुत लम्बे थे। मैंने परिवार के सदस्य से, उससे सवाल पूछने की अनुमति ली। उन्होंने कहा,
'आपकी ही बेटी है, जरूर पूछिए।'
'बिटिया तुम्हारे बाल असली हैं या नकली।'उसके बगल में शायद उसके बड़े भाई या पिता होंगे उन्होंने कहा,
'आप इसके बाल क्यों नहीं खींच कर देखते?'मैंने कहा कि किसी अनजान युवती के बाल खींचने पर तो मुश्किल में फंसा जा सकता है। मैंने उस युवती से कुछ देर बात की। उसने अपना नाम साहेबा बताया और कहा,
'मेरी मां के बाल तो इससे दुगने लम्बे थे।'हांलाकि उस समय उसकी मां ने अपने बाल छोटे कर लिऐ थे
मैंने साहेबा से कहा,
'दुनिया की हर शैम्पू कम्पनी, तुम्हें मॉडल के रूप में लेना चाहेंगी। तुम क्यों नहीं किसी शैम्पू कम्पनी के लिए मॉडलेंग करती हो?'उसने इसका जवाब नहीं दिया। वह चुप रही। उनमें से एक वृद्ध सज्जन भी थे। उन्होंने इस सवाल का जवाब दिया,
'इसे पैसे की आवश्यकता नहीं है। इसलिए इसे काम करने की जरूरत नहीं।'पुरूष समाज में अक्सर इस तरह की बात कर, महिलाओं को काम करने से रोका जाता है। मेरे विचार से, यह दकियानूसी विचार है। महिलाओं को काम करने की बात इसलिए नहीं होती कि उन्हें पैसों की जरूरत है। लेकिन महिलाओं को इसलिए काम करना चाहिए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। उनमें आत्म सम्मान आये। वे अपने मन मुताबिक, अपनी क्षमता के अनुसार, अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें।
हमें भी पैसों की जरूरत नहीं। भगवान ने हमें सब दिया। लेकिन फिर भी मेरी पत्नी शुभा पढ़ाती है।
मैने वृद्ध सज्जन को जीवन का यह दर्शन समझाने का प्रयत्न किया, लेकिन मैं नहीं कह सकता कि वे इसे वह समझ पाये अथवा नहीं। हांलाकि साहेबा कुछ मुस्कराई, कुछ लाचार सी लगी - शायद वह मेरी बात समझ पायी या फिर वह अपने परिवार को मुझसे बेहतर समझती थी।
'उन्मुक्त जी, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस तो कल था। महिला सशक्तिकरण के बारे में आप, आज क्यों लिख रहे हैं? यह तो कल ही लिखना था।'महिला सशक्तिकरण के बारे में, मैंने विस्तार से कड़ियों में, २००७ में इसी चिट्ठे पर लिखा था। इसे मैंने संकलित कर एक जगह आज की दुर्गा - महिला सशक्तिकरण नाम से अपने लेख चिट्ठे पर डाला है। इसकी पहली कड़ी में मैंने बताया था कि यह ८ मार्च को क्यों मनाया जाता है। इसे बाद में मेरी पत्नी शुभा ने, इसे चुरा कर अपने चिट्ठे की चिट्ठी 'महिला दिवस ८ मार्च को क्यों मनाया जाता है?' पर डाल दिया :-)
'उन्मुक्त जी, फिर आपने आज का ही दिन क्यों चुना?'
वह इसलिऐ कि आज, हमारे जीवन में तो नहीं, पर किसी अन्य के 'जीवन में आयी एक नन्ही परी'। मालुम नहीं कि वह 'अब भी परेशान है या खोई है अपने सपनो में'। वह भी शोध कर रही है। हम सब को अच्छा लगेगा कि वह नाम कमाये और अपने साथ हमें भी गौरवान्तित करे।
चायल पैलेस बहुत सुन्दर जगह है। यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है जिसमें थ्री इडियट भी है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का यह विज्ञापन भी वहीं फिल्माया गया है। इसे देखिये और इस लॉन एवं इस पैलेस को देखें।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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न तो कोई पैसे की 'जरुरत' के लिए काम करता है, ना ही पैसे की जरुरत की कोई सीमा है ! अगर कोई ये बहाना बनाता है फिर तो उसे बहाना बनाना भी नहीं आता !
ReplyDeleteयह दकियानूसी विचार है। महिलाओं को काम करने की बात इसलिए नहीं होती कि उन्हें पैसों की जरूरत है। लेकिन महिलाओं को इसलिए काम करना चाहिए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। उनमें आत्म सम्मान आये। वे अपने मन मुताबिक, अपनी क्षमता के अनुसार, अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें।
ReplyDeleteक्या विचार है जनाब आप के, क्या वो लडकी अपने पेरो पर नही खडी थी, उस मै आत्म सम्मान की कमी दिखी क्या वो अपने व्यकितत्व का विकास सही नही कर रही थी???? मै आप की इन सब बातो से असहमत हुं, दुसरे के परिवार या जिन्दगी मै झाकने का किसी को हक नही.
mental upliftment is the most basic need and woman need to work to attain that
ReplyDeleteआज की पीढ़ी में भी इतने लम्बे बाल देख कर मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeleteबाकी रही काम की बात तो यह मानसिकता पर निर्भर है
सचमुच कितनी मोहक केशराशि ! तब भी सुमित्रानन्द पन्त ने क्या कहा था बताऊँ उन्मुक्त जी -
ReplyDeleteछोड़ द्रुमों की मृदु छाया
तोड़ प्रकृति से भी माया
बाले तेरे बाल जाल में
कैसे उलझा दूं लोचन
खैर आप भी निकल आये वहां से
नारी सशक्तिकरण पर आप की बात से तो असहमत हुआ ही नहीं जा सकता उन्मुक्त जी -मगर शुभा जी ब्लॉग लेखन से क्यूं विरत हो गयीं ? मुन्ने के बापू ने ऐसा क्या कर दिया ?? उन तक मेरा अनुरोध पहुंचाएं!
पैसे की आवश्यकता नहीं है। इसलिए इसे काम करने की जरूरत नहीं...इस बात से तो रोज दो चार होता हूँ. मजे की बात है एक महिला ही महिला के लिए यह कहती है.
ReplyDeleteAfsos ki harek baat ke liye stree ko purushkee razamandi chahiye...uske apne wajood ka koyi samman nahi..
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