Friday, April 16, 2010

छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है

इस चिट्ठी में शिमला से मनाली के रास्ते की चर्चा है।

हम लोग सुबह -७ बजे शिमला से मनाली के लिए चले। कार से यह दूरी लगभग -७ घंटे में पूरी होती है। 

लगभग ४० साल पहले मैं, अपने विद्यार्थी जीवन में दोस्तों के साथ मनाली गया था। बहुत सारी यादें, ताजी हो गयी। मुझे याद है कि जब हम पिछली बार  जा रहे थे तब एक जगह एक फिल्म की शूटिंग हो रही थी। जिसमे जॉनी वॉकर और मुमताज थे। मुमताज किसी गाने पर नाच रहीं थी। जॉनी वॉकर हास्य भूमिका के लिए जाने जाते है। लेकिन वहां पर  बहुत गम्भीर किस्म के व्यक्ति लगे।

पिछली बार मनाली जाते समय रास्ते में कोई भी सुरंग नही थी पर इस बार,   थलोट और आउट के बीच लारज़ी ट्रैफिक सुरंग (Larji Traffic Tunnel) मिली यह २००४ में बनी थी और २.६ किमी लम्बी है। पवन के अनुसार, इस सुरंग बनने के कारण १५ किमी रास्ते में कमी हो गयी है।


शिमला से जाते समय थलोट के कुछ पहले, व्यास नदी के दूसरी तरफ, एक  छोटा सा बिजली की परियोजना बन रही है। जिसमें पहाड़ी के दूसरी तरफ बांध बनेगा।  बांध के बाद, पानी पाइप के द्वारा नीचे लाया जायेगा। यहां पर  १.५ मेगावाट बिजली बनेगी। पाइप लाइन तो बिछ गयी है पर बांध अभी तैयार नहीं हुआ है। अभी एक साल और लगेगा। 

यहीं पर पहाड़ी से गिरता हुआ झरना भी है। जिसे देखकर बहुत अच्छा लगा।

आउट पर एक पानी का बांध बना हुआ है। वहां एक सुरंग के द्वारा व्यास नदी का पानी, अंदर ले जाया जाता है और यह पानी थलोट जहां पर यह सुरंग खत्म होती है वहां पर बाहर निकलता है। इस जगह पर एक बिजली की परियोजना भी है। जहां १२६ मेगावाट बिजली बनायी जाती है।

हिमाचल में जगह जगह छोटे छोटे बांध बनाये जा रहे हैं। छोटे बांध बनाना बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है। बड़े बांध से लोग, जानवर विस्थापित होते है।  इन्हे पुन: स्थापित करना, अपने में बहुत बड़ी चुनौती है। जहां जहां बहुत बड़े बांध बन रहें हैं वहां इन विस्थापित लोगों को पुन: स्थापित करने में मुश्किल हो रही है। इसके अतिरिक्त इसका पर्यावरण पर भी असर होता है। पेड़, जंगल समाप्त हो जाते हैं। यह पर्यावरण के लिये कभी भी अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमेशा छोटे बांध बनाना ही अच्छी बात है। मुझे, इस तरह का अनुभव, सिक्किम यात्रा के दौरान भी हुआ। जिसका जिक्र मैंने अपनी चिट्ठी 'टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं' में किया है।


हम लोग दोपहर ३ बजे मनाली पहुंचे। अगली बार मनाली के बारे में। 



देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने





About this post in Hindi-Roman and English is chitthi mein shimla se manali kee yatra ka varnan hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is talks about our experience from Shimla to Manali. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
।  Manali,
Himachal Pradesh,
Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो,  मौज मस्ती,
Hindi, हिन्दी,
Reblog this post [with Zemanta]

10 comments:

  1. मनाली कभी जा नहीं पाया -अब आपकी आँखों से दृश्यावलियां निहारूंगा! छोटे बांध ही उपयुक्त है और पर्यावरण के अनुकूल हैं !

    ReplyDelete
  2. छोटे बाँध ही बनें ।

    ReplyDelete
  3. जी बिल्कुल.बांध तो छोटे ही बनना चाहिये.मनाली जाने का मौका नही मिला कभी,बस आपके जरिये सैर कर रहे हैं.

    ReplyDelete
  4. सही कहा है आपने. वैसे नदियों को गहरा और उनके तटों को पक्का करके उनकी क्षमता बढ़ाना शायद छोटे बांधों से भी बेहतर हो

    ReplyDelete
  5. ऐसा लगता है हम आपके साथ गाडी मे पीछे की सीट पर बैठे हैं.....
    किसी भी कारण से विस्थापित हुए हों फ़िर से स्थापित होना या करना हमेशा मुश्किल होता है ......

    ReplyDelete
  6. चलिए आपके जरिये हम अपनी मनाली यात्रा के दिन दोबारा याद करेंगे।

    ReplyDelete
  7. बाँध छोटे ही बने, उसी से लाभ है ।

    ReplyDelete
  8. हां यह तो है - और उनकी बिजली बनाने में उपयोगिता उथले पठारी क्षेत्र में भी है।

    ReplyDelete
  9. ये अच्छी बात बताई आपने... लाभ का लाभ और नुकसान कम.

    ReplyDelete
  10. छोटे बांधों और बिजली परियोजनाओं का एक ही नुकसान है. बजट के साथ साथ 'कमीशन' में भी भारी कमी आ जाती है.

    मसलन सौ अरब डॉलर की परियोजना में बीस तीस प्रतिशत का घपला किया जाए तो नेता अफसर और ठेकेदार कम्पनी आपस में बीस से तीस अरब डॉलर बाँट सकते हैं, इंजीनियरों और परियोजना अधिकारीयों को अपना ट्रेक रिकोर्ड मजबूत करने का मौका मिलता है, फिर साल दर साल अनाप शनाप मेंटेनेंस फंड भी निश्चित हो जाते हैं. पर एक एक अरब डॉलर की छोटी परियोजनाओं कोई कितना घपला करे और कितना बांटे? छोटी परियोजना होने के कारण इंजिनियर और निर्माण एजेंसियां भी इन्हें पसंद नहीं करती.

    अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता.

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।