Friday, February 04, 2011

शाम सुहानी लग रही थी

पॉन्डेचेरी में हम अरविन्दो आश्रम के पार्क ऎवन्यू गेस्ट हाउस में ठहरे थे। इस चिट्ठी में उसी जगह चर्चा है।
गेस्ट हाउस के कमरे से देर शाम का दृश्य

पॉन्डिचेरी में हम लोगों का आरक्षण अरविन्दो आश्रम के गेस्ट हाउस में था। इनके दो गेस्ट हाउस हैं - न्यू गेस्ट हाउस और पार्क ऍवन्यू। हम लोग पहले, न्यू गेस्ट हाउस में गये। वहां हमें बताया गया कि हम लोग पार्क ऍवेन्यू जाए। 

न्यू गेस्ट हाउस पर खाने की सुविधा है और पार्क ऍवन्यू गेस्ट हाउस में इस तरह की सुविधा नहीं है। हमें लगा कि यदि हम न्यू गेस्ट हाउस में ठहरते तो अच्छा था। लेकिन हम गलत थे।

पार्क ऍवन्यू गेस्ट हाउस बहुत ही सुन्दर है। समुद्र के बगल में है और इसमें हम लोगों का सबसे ऊँचे मंज़िल के कमरे में ठहरने का इंतज़ाम था। हमें लगा कि ऊपर के कमरे में क्यों ठहराया गया क्योंकि वहां लिफ्ट नहीं थी पर कमरे में पहुंच कर लगा कि ऊपर के मंज़िल के ही कमरे ही सबसे अच्छे हैं। नीचे के कमरे में सामने पेड़ पड़ते हैं। जिसमें कमरे के बाहर के बरामदे से समुद्र नहीं दिखायी पड़ता। 


ऊपर से बाहर का दृश्य सुन्दर था। चन्द्रमा निकल आया था, समुद्र हिलोरें मार रहा था और शाम बहुत ही सुहानी लग रही थी और लहरों की आवाज़ हम लोगों के कानों में गूँज रही थी। मुझे लगा कि यहीं रूकना सबसे अच्छा था।  

पॉन्डिचेरी की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां लोग साइकिल पर चल रहे थे। गेस्ट हाउस में बहुत सारी साइकिलें थी। मुझे लगा कि कुछ दिन मैं यहां पर साइकिल से सैर करूँ। 

गेस्ट हाउस के कमरे से बाहर का दृश्य

यह फ़्रेंच कॉलोनी हुआ करती थी। इसलिए फ़्रेंच भाषा का प्रभाव यहां पर अब भी देखने को मिलता है।  यहां के रेस्त्रां का फ्रांसीसी खाना भी प्रसिद्ध है। यहां काफी विदेशी भी हैं। 

अगली बार,  यहां के रांडवू (Rendezvous) रेस्त्रां में, फ्रांसीसी खाना खाने चलेंगे।

मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा
 हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर, गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।। शाम सुहानी लग रही थी।। 

  
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is chitthi  mein pondicherry mein arbindo ashram ke, park avenue  guest house kee charcha hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhe

This post talks about Park Avenue guest house of Aurbindo ashram in Pondicherry. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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7 comments:

  1. कोई लिफ्ट नहीं, साइकिल यात्रा, लगता है कार्बन क्रेडिट देना पड़ेगा।

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  2. उन्मुक्त जी आपको नहीं लगता कि इधर आपकी पोस्टें कुछ ज्यादा ही संक्षिप्त होने लगी!

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  3. रांडवू (Rendezvous), यानि... 'कसप' में ऐसा एक शब्‍द है 'रांदेवू' मिलन-स्‍थल से कमलता-जुलता अर्थ होता है शायद.

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  4. अरविन्द जी, आप ठीक कह रहे हैं। न केवल चिट्ठियां छोटी हो जा रही हैं पर उनकी आवृति भी कम होती जा रही है। आने वाल समय में यह भी सवाल है कि मैं चिट्ठकारी भी कर पाउंगा या नहीं।

    समय की कमी तो हम सब के पास है समय निकालते भी हैं पर ...

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  5. साइकल बहुत बढ़िया साधन है..

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  6. Anonymous7:46 am

    मैं तो पॉण्डिच्चेरी सन १९९६ में गया था और साइकल पैदल का जमाना था तब। शायद कुछ बदला हो। पर फिर भी जगह सुकून की होगी - अनुमान है।

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