Friday, August 13, 2010

गणित, चित्रकारी, संगीत - क्या कोई संबन्ध है

इस चिट्ठी में, गर्डल से संबन्धित तीसरी पुस्तक, 'गर्डल, ऍशर, बाख: एन ईटनल गोल्डेन ब्रेड' की चर्चा है। इसके लेखक हैं - डगलस आर हॉफेस्टैडर।
इस चिट्ठी को, सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने' देखें।

'गर्डल, ऍशर, बाख: एन ईटनल गोल्डेन ब्रेड' पुस्तक १९७९ में छपी थी।  मैंने तभी इसे पढ़ा था। 

गर्डल तर्कशास्त्री, एम सी ऍशर (MC Eshcher) (१७ जून १८९८ – २७ मार्च १९७२) चित्रकार, और योहन सेबेस्टियन बाख (Johann Sebastian Bach) (३१ मार्च – २८ जुलाई १७५०) एक जाने माने संगीतज्ञ थे।
ड्रॉइंग हैण्डस् १९६१ चित्र विकिपीडिया से
  • गर्डल का मुख्य काम  स्वयं को संर्दभित करने वाले विरोधाभास के बारे में था।
  • ऍशर की चित्रकारी एकदम अलग तरह से है। इनके बहुत से चित्र वापस वहीं पहुंचते हैं जहां से वे शुरू होते हैं। इनमें से कई एक तरह से स्वयं को संदर्भित करते हैं। उनके दो प्रसिद्ध चित्र देखिये पहले में एक हाथ दूसरे हाथ को बना रहे है और दूसरा हाथ पहले को। दूसरे में (नीचे देखें), पानी का झरना ऊपर से नीचे गिर कर वहीं पहुंच रहा है।
  • बाख ने बहुत कुछ ऐसे संगीत को जन्म दिया जिसमें पुनरावृत्ति होती है।
वॉटरफॉल १९६१ चित्र विकिपीडिया से
यह पुस्तक इन तीनों के सम्बंधो को जोड़ती है और उनके समन्वय के बारे में चर्चा करती है। इसमें मुख्यतः गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त की चर्चा है। यह गणित (mathematics), सममिति (symmetry) और प्रतिभा (intelligence) के  मूलभूत अवधारणा की गूढ़ व्याख्या करते हुऐ यह  हुई यह बताने का प्रयत्न करती है कि किस प्रकार निर्जीव वस्तुओं से जीवन्त पदार्थ निर्मित हो सकता है।

यह पुस्तक एकदम अलग तरीके से लिखी गयी है। इस पुस्तक में एक अध्याय जनरल है। इस अध्याय में, गर्डल की गणित, ऍशर की चित्रकारी एवं बाख के संगीत को  ऍक्लीस (Achilles), कछुआ (Tortoise), और केकड़ा (Crab) की बातचीत के द्वारा बताया गया है। तथा अगले अध्याय मे उसी विचार को गणित के द्वारा बताया गया है। इसमें गणित से सम्बन्धित अध्याय को समझने  के लिए जरूरी है कि आपको मार्डन एलजेबरा आता हो।
 
यह उत्कृष्ट पुस्तकों में से एक हैं।   इन पुस्तकों को समझने के लिए कम से कम  इण्टरमीडिएट या स्नातक स्तर की गणित का ज्ञान जरूरी  है और तभी यह पढ़ने पर अच्छी तरह से समझ में आ सकेगी।  यदि आप गणित या कंप्यूटर विज्ञान, या कृत्रिम बुद्धि (Artificial intelligence), सोचने वाली मशीन (Thinking machines), या जटिलता (complexity) जैसे विषय पर रुचि रखते हैं या इस  क्षेत्र में काम करना चाहते हैं  या आपके बेटे, बेटियां इण्टरमीडिएट या स्नातक स्तर पर गणित तथा विज्ञान  के क्षात्र हैं और इन विषयों पर आगे काम करना चाहते हैं तब उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढ़ने के लिए दें।

बाख के इस तरह के संगीत का आनन्द लीजिये।

तू डाल डाल, मैं पात पात
भूमिका।। नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है।। नाई, महिला है।। मिस्टर व्हाई - यह कौन हैं।। गणित, चित्रकारी, संगीत - क्या कोई संबन्ध है।। क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले लेंगे।।


About this post in Hindi-Roman and Englishis chitthi mein Douglas R Hofstadter ke dvara likhi pustak 'Godel Escher, Bach An Eternal Golden Braid' kee charcha hai. yeh chitthi {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.
This post is book review of 'Godel Escher, Bach An Eternal Golden Braid' by Douglas R Hofstadter. part of series on Cyber crimes. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
। Kurt Gödel, Incompleteness theorems, Artificial intelligence, Godel Escher, Bach: An Eternal Golden Braid, Douglas R Hofstadter, MC Escher, Johann Sebastian Bach,
। book, book, books, Books, books, book review, book review, book review, Hindi, kitaab, pustak, Review, Reviews, science fiction, किताबखाना, किताबखाना, किताबनामा, किताबमाला, किताब कोना, किताबी कोना, किताबी दुनिया, किताबें, किताबें, पुस्तक, पुस्तक चर्चा, पुस्तक चर्चा, पुस्तकमाला, पुस्तक समीक्षा, समीक्षा

9 comments:

  1. बाख का संगीत सुंदर है। ऐंशर की चित्रकारी जीवन के लिए आवश्यक प्रकृति के चक्र का बार बार स्मरण कराती है।

    ReplyDelete
  2. अच्छी सिफारिश !

    ReplyDelete
  3. सम्बन्ध है तीनों में विचारों की गहराई का।

    ReplyDelete
  4. जी अच्छा लगा ..

    ReplyDelete
  5. जरूर बच्चों को कहेंगे। उमदा पोस्ट धन्यवाद।

    ReplyDelete
  6. इसी बहाने कुछ जानकारी ही मिली, शुक्रिया।
    ………….
    इसे पढ़कर आपका नज़रिया बदल जाएगा ।

    ReplyDelete
  7. रोचक,अगले लेख का इंतजार रहेगा ।

    ReplyDelete
  8. सभ्यता के शुरूआती दौर में गणित व्यावहारिक रूप में और मैथ्स आत्म चिंतन के रूप में विकसित हुआ। गणित का व्यावहारिक उपयोग यह जानने में किया जाता है कि हम क्या और कैसे कार्य कर सकते या करते आए हैं। आखिर प्रकृति कैसे कार्य करती है ? आत्म चिंतन का उपयोग गणित में यह जानने के लिए होता है कि क्या- क्या नहीं हो सकता ??

    ReplyDelete
  9. कला में विज्ञान और विज्ञान में कला निहित है। इस कथन को कोई नहीं झुटला सकता।

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।