Tuesday, April 07, 2020

क्या सोशल मीडिया सही रास्ते पर है?

इस चिट्ठी में, सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों की भूमिका पर कुछ सवाल हैं।
समझ - डग्रियों या पैसे की मोहताज नहीं। ओडिसा का आदिवासी गांव चित्र बालाकृष्नन आर के सौजन्य से





दारुल उलूम देवबन्द, सहारनपुर जिले कस्बे में स्थित एक इस्लामी स्कूल (मदरसा) है। इसकी स्थापना १८६६ में हुुई। इसने सुन्नी इस्लाम के हनफ़ी पन्थ में नयी विचारधारा को जन्म दिया। यह कुरान व शरियत का कड़ाई से पालन करने पर जोर देती है। इस विचाधारा से प्रभावित मुसलमानों को 'देवबन्दी' कहा गया और तबलीग़ी जमात इसी से निकली एक शाखा है। तबलीग़ी का अर्थ है धार्मिक प्रचार और जमात का अर्थ है समूह। यानि कि ऐसे लोगों का समूह है जिसका उद्देश्य इस्लाम का प्रचार करना।

तबलीग़ी जमात की स्थापना, १९९२६-२७ में, मौलवी मुहम्मद इलियास ने की। उन्होंने इसका काम, दिल्ली के पास मेवात से शुरु किया। यह लोगों को परिधान, व्यक्तिगत व्यवहार और संस्कारों के संबंध में सुन्नी इस्लाम के शुद्ध रूप में लौटने के लिये कहता है। यह उनसे कुछ उसी तरह का जीवन व्यापन करने के लिये कहता है जैसा कि नबी मोहम्मद के समय में था। यह लोगों को - ऐड़ी से ऊपर के पैजामें और पैन्ट पहनने, मूंछे मुड़वाने और दाड़ी बढ़ाने, दिन में पांच बार नमाज़ और कुरान का गहन अध्यन करने - के लिये प्रेरित करता हैं। इसका परिणाम यह भी हुआ कि यह चरमपन्थी विचारधारा बन गयी और इनके लिये पिछड़ेपन का कारण। लेकिन, इसका काम बढ़ा और इसकी शखायें पहले पाकिस्तान और बंगला-देश में, फिर दुनिया के लगभग हर देश में पहुंच गयीं। इस समय, यह दुनिया में, मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था है।

मरकज़ का अर्थ है केन्द्र और तबलीग़ी जमात के दुनिया भर में केन्द्र हैं, जहां इनके सम्मेलन होते रहते हैं। इनका एक केन्द्र (मरकज़) निजामुद्दीन दिल्ली में भी है। जिसमें चल रहे सम्मेलन के बीच, पहले जनता कर्फ्यू, फिर लॉकडाउन हो गया। जिसके कारण इसमें भाग ले रहे अधिकतर लोग वापस नहीं जा पाये। इसमें अलग-तरह की बातें हैं, जिस पर मैं नहीं जाना चाहता; न ही मैं इस पर जाना चाहता हूं कि जब ५० से अधिक लोगों के साथ सम्मेलन करने में मनाही थी तब इन्होंने इसे रद्द क्यों नहीं किया; न ही मैं इस बात पर जाना चाहता हुं कि इन्होंने गलत सूचना दे कर टूरिस्ट वीसा लिया। टूरिस्ट वीसा घूमने के लिये होता है न कि किसी सम्मेलन में शामिल होने के लिये; मैं इस पर भी नहीं जाना चाहता कि इस समय इनका व्यवहार गलत है। यह लोग, न तो पुलिस को सूचना दे रहें हैं न ही सहयोग, और न ही अस्पताल में ठीक तरह का व्यवहार कर रहें हैं।

यह सही है कि इनसे गलती हूई। सम्मेलन के कारण कॉरोना वाइरस के मामलों में बढ़ोतरी आयी। लेकिन यह कहना गलत है कि उन्होंने यह गलती जान-बूझ कर की - गलतियां नेकनियती से भी होती हैं। अधिकतर मुसलमान, जो तबलीग़ी जमात में नहीं हैं, वे इनकी विचारधारा का अनुमोदन नहीं करते है और न ही वे इन गलतियों को न्यायसंगत  कहते हैं। वे कहते हैं कि - इन्हें सरकार के आदेश डाक्टर की सलाह माननी चाहिये; इन पर कार्यवाही और उचित आदेश पारित होना चाहिये।

लेकिन फिर भी, हमें से बहुत से लोग, बिना पड़ताल किये, इनकी गलतियों को के चित्र और विडियो पोस्ट कर रहे हैं। बाकी बहुत सारे, बिना जाने कि वे सच हैं या नहीं - शेयर कर रहे हैं। न्यूज़ चैनलें भी, इस तरह की पोस्टों को, बढ़-चढ़ कर दिखा रहीं हैं।


इसके विपरीत, कई अन्य लोग, तबलीग़ी जमात के लोगों को सही दिखाने के लिये चित्र, विडियो और चिट्ठियां प्रकाशित कर रहे हैं कि अन्य धर्म से जुड़े लोग भी उत्सवों में भाग ले रहे हैं, मन्दिरों में भीड़ इकट्ठा कर रहें हैं, समाजिक दूरी नहीं बना रहे हैं।

बहुत से लोग प्रधान मंत्री का मज़ाक बना रहे हैं कि वे कुछ कर तो रहे नहीं, बस ताली और दिया जलवा रहे हैं। यह गलत है। प्रधान मंत्री काम कर रहे हैं। सबके बारे में सोच रहे हैं। ताली या दिये जलाने का उद्देश्य, सवा अरब लोगों को पिरोना, उनमें ऊर्जा का प्रवाह करना, आगे की राह को सुगम करना है। कुछ लोगों ने प्रधान मंत्री की बात ठीक से नहीं समझी और गलत तरीके से मनायी। इसका अर्थ यह नहीं कि सुझाव गलत था। यदि आपको ठीक नहीं लगता तो मत करिये पर कृपया मज़ाक मत बनाइये। यह समय, इस बात का नहीं है।

आपको लगता है कि कहीं गलती है तो पुलिस में रिपोर्ट कीजिये, कलेक्टर को बतायें, मुख्य मन्त्री, प्रधान मन्त्री, संबन्धित मंत्रालय  को बतायें। यदि आपके पास कोई हल है, तो उसे भी बतायें। इसके लिये कहीं जाने की जरूरत नहीं, यह सब अन्तरजाल पर आसानी से हो सकता है। लेकिन जब आप सोशल मिडिया पर लिखते हैं। किसी भी पोस्ट को, जाने-अनजाने कि वह सच है कि नहीं, शेयर करते हैं; जब इस तरह की रिपोर्ट सारे न्युज़ चैनल पर २४ घन्टे, बार-बार प्रसारित होती है - तब यह न केवल नकारात्मकता को जन्म देती है पर शायद ऐसा बीज भी डालती है, जिसका पेड़ हम सब पर भारी पड़ेगा।

मैं इतिहास का जानकार नहीं। लेकिन मेरी समझ में, किसी समाज के उत्थान के लिये, उसके पिछड़पन को दूर करने के लिये, उसी समाज में किसी को आगे आना होगा। लेकिन यह तभी होगा यदि हमारी उनके साथ सहभागिता रहेगी, न कि हमारा द्वेष।

य़ह समय है अच्छी चिट्ठियां, सहायता करते चित्र, विडियो को प्रकाशित करने का; यह समय है साथ-साथ चलने का; यह समय है साथ-साथ करोना से लड़ाई जीतने का; यह समय है एक-दूसरे की सहायता का; यह समय है सबमें ऊर्जा भरने का; यह समय है धनात्मकता बिखेरेना का; यह समय है प्रधानमंत्री के संकल्प - सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास - को सच साबित करने का।


सनद रहे, जहां एक खराब पोस्ट किसी दूसरो को उसके गलत काम पर पर्दा डालने और उसे उसका औचित्य दिखाने का मौका देती है; वहीं एक अच्छी पोस्ट दूसरों को अच्छा काम करने के लिये प्रोत्साहित करती है।


About this post in English and Hindi-Roman
This post in Hindi (Devnagri) question the role of social media and news channels at this crises. You can translate it in any other language – see the right hand widget for converting it in the other script.

Hindi (Devnagri) kee is chhitthi mein, social media or news channel kee bhumika per kuchh sawaal hain. ise aap kisee aur bhasha mein anuvaad kar sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

सांकेतिक शब्द 
culture, family values, culture, etiquette, inspiration, life, Relationship,
।  संस्कृति, संस्कार, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो, तहज़ीब,
 #CoronaVirusIndia #HindiBlogging #SocialMediaRole #NewsChannelRole #TablighiJamaat

2 comments:

  1. गहरी पोस्ट
    विचारणीय
    प्रणाम स्वीकार कीजियेगा

    ReplyDelete
  2. बेहद संतुलित और सार्थक पोस्ट है सर। वर्तमान में यही हो रहा है

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।