इस मकान को, चौधरी धनराज सिंह ने १९२० के दशक में बनवाना शुरू किया था। यह १९३४ में पूरा हुआ। धनराज सिंह और उनकी पहली पत्नी यहीं रहे। जिनसे उनके एक पुत्र चन्द्र भान सिंह हुऐ। पहली पत्नी की मृत्यु के बाद, उन्होंने दूसरी शादी की। जिनसे उनकी कोई सन्तान नहीं हुई। वे अवकाश प्राप्त करने के बाद, यहां न रह कर, हमारे बाबा के साथ, बांदा में रहे।
उन्मुक्त
मुक्त विचारों का संगम, कभी खुशी कभी ग़म
Friday, February 26, 2021
राजा अकबर ने दिया 'चौधरी' का ख़िताब
इस मकान को, चौधरी धनराज सिंह ने १९२० के दशक में बनवाना शुरू किया था। यह १९३४ में पूरा हुआ। धनराज सिंह और उनकी पहली पत्नी यहीं रहे। जिनसे उनके एक पुत्र चन्द्र भान सिंह हुऐ। पहली पत्नी की मृत्यु के बाद, उन्होंने दूसरी शादी की। जिनसे उनकी कोई सन्तान नहीं हुई। वे अवकाश प्राप्त करने के बाद, यहां न रह कर, हमारे बाबा के साथ, बांदा में रहे।
Tuesday, February 16, 2021
बसंत पंचमी - अम्मां, दद्दा की शादी
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देवी सरस्वती - चित्र राजा रवि वर्मा |
आज बसंत पंचमी के दिन है। इस चिट्ठी में, इसके महत्व के साथ, मेरे माता-पिता की चर्चा है।
Tuesday, February 09, 2021
मेरे नाना - राज बहादुर सिंह
Wednesday, February 03, 2021
चौधरी धनराज सिंह - राजा बलवन्त सिंह कॉलेज, आगरा के पहले हेडमास्टर
इस चिट्ठी में, राजा बालवन्त सिंह कॉलेज के इतिहास के साथ, मेरे परबाबा के छोटे भाई, चौधरी धनराज सिंह की चर्चा है, जो इसके पहले हेडमास्टर बने।
Thursday, January 28, 2021
स्वच्छ भारत अभियान - बिना हमारी भागीदारी के नाकामयाब है
इस चिट्ठी में, राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य की एक घटना के साथ, चर्चा है , कि स्वच्छ भारत अभियान कैसे सफल हो।
Saturday, January 23, 2021
मगर दिखे पर घड़ियाल नहीं
इस चिट्ठी में, राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य में दिखे, जानवरों और चिड़ियों की चर्चा है।
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मगर |
Sunday, January 03, 2021
राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य और मेला कोठी
इस चिट्ठी में - राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary) और 'मेला कोठी, द चंबल सफारी लॉज', जहां हम ठहरे थे - का वर्णन है।

Wednesday, October 28, 2020
द अमेजिंग रान्डी
Thursday, October 15, 2020
हम कहां जा रहे हैं
इस चिट्ठी में तनिष्क विज्ञापन पर उठे विवाद पर चर्चा है।
Saturday, September 19, 2020
जीजी, शादी के पहले - बचपन की यादें
मेरे जीवन में बहुत से लोग महत्वपूर्ण रहे/ हैं। ऐसे दो का, आज जन्मदिन है - इनमें से एक की चर्चा मेरे द्वारा; और दूसरी, शायद कभी, मेरे बारे में ऐसी चर्चा करे। लेकिन, तब तक मैं बहुत दूर जा चुका होउंगा।
जेके इन्स्टिट्यूट ऑफ अप्लाइड फिजिक्स इलाहाबाद विश्विद्यालय की विज्ञान संकाय में स्थिति है। इसका उद्घाटन ४ अप्रैल, १९५६ में जवाहर लाल नेहरू ने किया था। यह चित्र उसी समय का है। इसके दो कोनो पर दो महत्वपूर्ण व्यक्ति - एक मेरे लिये और दूसरा देश के लिये।
लगता है कि राष्ट्रगान के 'जय हे' पर चित्र खींचा गया है।