नये बजट में इस अयस्क पर ३०० रुपये प्रति टन की ड्यूटी लग गयी है जिसका वहां बहुत विरोध है। लोहे का अयस्क जो चीन भेजा जाता है उसका दाम २०० रुपये प्रति टन का होता है, उस पर ३०० रुपये प्रति टन की ड्यूटी - ठीक तो नहीं लगती। बात में कुछ दम तो लगता है।
गोवा में कुछ लोगों ने और ही किस्सा बताया। लोहे का अयस्क केवल जापान भेजा जाता था। इसके बाद बचे हुऐ अयस्क में लोहे की मात्रा बहुत कम होती थी तथा वह बेकार होता था। यह बेकार गोवा में पर्यावरण की मुश्कलें पैदा कर रहा था। खान वालों को हटाने के लिये कहा गया पर उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें, कैसे करें। चीन किसी और देश से लोहे का अयस्क खरीदता है जिसमें लोहे की मात्रा ज्यादा होती है। चीन की मशीने इस कार्य के लिये उपयुक्त नहीं थी। इसलिये कम मात्रा के लोहे का अयस्क जो की गोवा में बेकार था उसको मिला कर मशीन के लिये उपयोगी बनाया गया। इसमें कड़ोड़ों रुपया कमा लिया गया। यदि बेकार को बेच कर पैसा कमा लिया तो क्या गलती हुई, बस शायद सरकार को उसके किसी प्रतिशत पर ड्यूटी लगानी चाहिये। मैं नहीं जानता कि इस बजट में इसमें कुछ बदलाव किया गया अथवा नहीं।
आजकल गोवा में विकास को लेकर बहस छिड़ी हूई है। वहां पर गोवा प्लान २००१ लागू है। यह १९८६ में अधिसूचित किया गया था। सब का यह मानना है कि यह अब अनावश्यक हो गया है। १९९७ में एक नया प्लान २०११ शुरू किया गया। यह १० अगस्त २००६ में अधिसूचित किया गया। लोगों का कहना है कि इसमें बहुत बदलाव किये गये हैं और बहुत ज्यादा जमीन नगरीय प्रयोग के लिये रख दी गयी है। इसके कारण वहां का पर्यावरण और सुन्दरता नष्ट हो रही है। इस बारे में बम्बई उच्च न्यायालय की गोवा बेन्च के समक्ष एक जनहित याचिका भी चल रही है। सरकार ने, जन-मानस की भावनाओं का ध्यान रखते हुऐ इस प्लान को २६ जनवरी २००७ को समाप्त कर दिया है। सरकार अब दुसरा प्लान २०१७ बना रही है शायद यह चुनाव के बाद आये।
गोवा में विदेशी भी आकर जमीन खरीद रहें हैं जिससे वहां दाम बढ़ रहे हैं। यह वहां के लोगों के लिये चिन्ता का विषय है जैसा कि ममता जी यहां अपने चिट्ठा पर यहां बता रहीं हैं।
अब इतना अच्छा समय व्यतीत करने के बाद मैं क्या चाहता हूं, शायद हम सब क्या चाहते हैं, यह अगली बार।
प्यार किया तो डरना क्या।। परशुराम की शानती।। रात नशीले है।। सुहाना सफर और यह मौसम हसीं।। डैनियल और मैक कंप्यूटर।। चर्च में राधा कृष्ण।। मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती।। न मांगू सोना, चांदी।। यह तो बताना भूल ही गया।। अंकल तो बच्चे हैं
यदि आप हिन्दी की लेखिका मालती जोशी के बारे में जानना चाहें तो मुन्ने की मां के चिट्ठा पर यहां पढ़ सकते हैं।
Ore = अयस्क
ReplyDeleteअच्छा आलेख.
ReplyDeleteमिश्र जी धन्यवाद, मेरे विचार से अयस्क बेहतर शब्द है। मैंने इसे बदल दिया है।
ReplyDeleteअच्छा लेख.
ReplyDeleteउन्मुक्तजी गोवा की लगाता सैर करवाने के लिए आपका धन्यवाद। इस लेख का टाईटल पढते ही लगा क्यों आप पुरानी बातें कर रहे हैं "मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती" ये बहुत पुराने ज़माने की बात है, अब हमारी धर्ती कुछ उगलती भी है तो लोग लोग ख़ुद ज्लदी से हडप लेते हैं।
ReplyDeleteशुयेब जी "हड़पने" विषयक सिनिसिज्म से मुक्त होकर अच्छी ब्लॉग पोस्ट का मजा लीजिये!
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