Thursday, April 10, 2008

ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

आज चर्चा का विषय है: 'ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला'। इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें। यह आपको इन फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें। इन्हेंं डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।
इसके पहली की कड़ी 'ग्रॉकस्टर केस' को सुनने के लिये यहां चटका लगायें।

ग्रॉकस्टर केस में दो निम्न महत्वपूर्ण विचारधाराओं का टकराव था:
  • कापीराइट का उल्लंघन नहीं होना चाहिये,
  • फाइल शेयरिंग साफ्टवेयर की तकनीक का विकास होना चाहिये।
इस टकराव के बारे में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकार कहा,
'The tension between the two values is the subject of this case, with its claim that digital distribution of copyrighted material threatens copyright holders as never before, because every copy is identical to the original, copying is easy, and many people (especially the young) use file-sharing software to download copyrighted works. This very breadth of the software's use may well draw the public directly into the debate over copyright policy, and the indications are that the ease of copying songs or movies using software like Grokster's and Napster's is fostering disdain for copyright protection, As the case has been presented to us, these fears are said to be offset by the different concern that imposing liability, not only on infringers but on distributors of software based on its potential for unlawful use, could limit further development of beneficial technologies.

उन्होंने अपना फैसला देते हुए कहा कि,
'one who distributes a device with the object of promoting its use to infringe copyright, as shown by clear expression or other affirmative steps taken to foster infringement, is liable for the resulting acts of infringement by third parties.'
यदि कोई उत्पाद या सॉफ्टवेयर कॉपीराइट के उल्लंघन को बढ़ाये जाने के उद्देश्य बनाया जाता है जैसा कि इन कंपनियों ने किया है तब वे कॉपीराइट के उल्लंघन के लिये उत्तरदायी होंगें।

अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने, इस मुकदमें में कॉपीराइट उल्लंघन न हो वाली विचारधारा को 'तकनीक' के विकास की विचारधारा से ज्यादा प्राथमिकता दी। क्या यह फैसला सही है? क्या यह फैसला तकनीक विकास में बाधक होगा? क्या इन दोनों विचारधाराओं के समन्वय के लिये कोई दूसरा तरीका नहीं हो सकता था? इन सारे सवालों का जवाब तो भविष्य ही दे पायेगा।

ग्रॉकस्टर केस के बहस के समय, अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के सामने, लोग आपत्ति जताते हुऐ। यह चित्र न्यू यॉर्क टाइमस् की इस खबर के सौजन्य से है।

मेरे विचार में अमेरिकी उच्चतम न्यायालय का फैसला इस प्रकाश में भी देखना चाहिये कि ग्रॉकस्टर और स्ट्रीमकास्ट, लोगों को कॉपीराइट का उल्लंघन करने के लिये प्रेरित कर रहे थे। यदि वे ऎसा न करते तो शायद यह फैसला न होता।

क्या इसका अर्थ है कि यदि कोई कंपनी फाइल शेयरिंग सॉफ्टवेयर बनाती है और लोगों को कॉपीराइट का उल्लंघन करने के लिये नहीं प्रेरित करती है तो क्या फैसला उसके पक्ष में होगा? तब क्या कानून तकनीक के विकास का पक्ष लेगा? देखें आने वाला कल क्या कहता है।

यह श्रंखला यहीं पर समाप्त हो रही थी। कुछ समय पहले मुझे बैंगलोर में रहने का मौका मिला। वहां कुछ बातें वेब के बदलते स्वरूप के बारे में हुई। यह चर्चा इसी श्रंखला से संबन्धित थी। इसलिये अगली बार कुछ चर्चा वेब २.० और सॅमेंटिक वेब के बारे में।

अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।। लिकिंग, क्या यह गलत है।। चित्र जोड़ना - यह ठीक नहीं।। फ्रेमिंग भी ठीक नहीं।। बैंडविड्थ की चोरी - क्या यह गैर कानूनी है।। बैंडविड्थ की चोरी - कब गैरकानूनी है।। डोमेन नाम विवाद क्या होता है।। समान डोमेन नाम विवाद नीति, साइबर और टाइपो स्कवैटिंग।। की वर्ड और मॅटा टैग विवाद।। समकक्ष कंप्यूटर के बीच फाइल शेयरिंग।। शॉ फैनिंग, नैपस्टर सॉफ्टवेयर, और उस पर चला मुकदमा।। कज़ा केस।। ग्रॉकस्टर केस।। ग्रॉकस्टर केस में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला।। वेब २.० और सॅमेंटिक वेब।।










इस पोस्ट पर ग्रॉकस्टर केस हुऐ निर्णय के बारे में चर्चा है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

is post per Grokster case mein hua phaisle ke baare mein charcha hai. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about decision in the Grokster case. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


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