आज वेलेंटाइन दिवस है। आज के दिन अपने देश में भारतीय संस्कृति के नाम पर कुछ अजीब तरह के फतवे जारी किये जाते हैं और हरकतें की जाती हैं। उनके बारे में कुछ विचार।
प्रेम जीवन की सबसे प्यारी अनुभूति है। यह केवल प्रियतम और प्रेयसी के बीच में नहीं है पर कई अन्य रूप में भी है। यह मां-बेटे, भाई-बहन, पिता-पुत्र, भाई-भाई, बहन-बहन पति-पत्नी, यूवक-युवती, मित्रों के बीच हो सकता है; प्रकृति के साथ प्रेम तो अपने में निराला है। यह सब प्रेम के रूप हैं। प्रेम न केवल बंधन रहित है पर अपने हर रूप में सच्चा है।
प्रेम का एक रूप तो यह भी है - शायद सबसे सच्चा, सबसे प्यारा और प्रेम बनाये रखने का यह तरीका तो सबसे कारगर है :-)
मुझे वेलेंटाइन दिवस (Valentine day) पसन्द आता है। यह भी प्रेम के एक रूप को बताता है। अन्तर ही क्या पड़ता है कि वह किस संस्कृति, किस सभ्यता से आया। मुझे दुख होता है कि वेलेंटाइन दिवस पर अजीब अजीब फतवे जारी किये जाते हैं। यदि कोई यूवक और युवती साथ दिखायी पड़ें तो उनके साथ अभद्रता की जाती है। यह अनुचित है।
मैंने वर्ष २००६ के फरवरी मास के अन्त में चिट्टाकारी शुरू की थी। उस समय इस तरह की हरकतों पर एक छोटी सी चिट्ठी 'वेलेंटाइन दिन' के नाम से प्रकाशित की थी। उस समय भी मैंने इस तरह के बर्ताव से अपनी अहसमति दर्ज की थी। आज भी मेरी इस तरह की हरकतों पर आपत्ति है। मुझे दुख होता है कि हममें से कुछ, इस तरह की हरकतें भारतीय संस्कृति-सभ्यता के नाम पर करते हैं। यह कुछ उस नासमझ छोटे बच्चे की तरह है जो कि हर तरह से अपनी बात मनवाना ही चाहता है।
महात्मा गांधी ने १ जून १९२१ को यंग इन्डिया (Young India) में लिखा,
'I do not want my house to be walled in all sides and windows to be stuffed. I want the cultures of all lands to be blown about my house as freely as possible. But I refuse to be blown off my feet by any.'
मैं अपने घर की खिड़कियों और दरवाज़ों को बन्द कर नहीं रखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि सारे देशों के संस्कृति-सभ्यता की बयार यहां पर बहे पर मैं किसी अन्य संस्कृति-सभ्यता से नहीं उखड़ सकता।
यदि वेलेंटाइन दिवस गलत है, हमारी संस्कृति-सभ्यता के विरुद्ध है तो लोगों से बात कर, समझाने की जरूरत है - इस तरह का अभद्र व्यवहार करके नहीं। मैं नहीं समझता इस तरह का व्यवहार हमारी संस्कृति-सभ्यता का हिस्सा है। हमने तो हमेशा सहिष्णुता, उदारता, सहनशीलता की बात की है। हमारी तो हमेशा, कट्टरता से दूरी रही है। यदि हम इस तरह का व्यवहार करेंगे तो मुझे शक नहीं हमारे पैर जरूर अपनी संस्कृति-सभ्यता से उखड़ जायेंगे।
'उन्मुक्त जी, आपका प्रवचन तो पढ़ लिया पर यह शीर्षक कुछ जाना पहचाना सा लगता हैं कहां से उठाया है :-)'
वेलेंटाइन दिवस, प्रेम के एक रूप को दर्शता है। इस लिये आज के दिन प्रेम की बातें करना भी जरूरी है।
फिल्म 'दिल चाहता है' में, आमिर खां और प्रीति ज़िन्टा पर एक गाना, 'जाने क्यों लोग प्यार करते हैं' फिल्माया गया है। यह शीर्षक उसी गाने की पंक्तियों को बदल कर बनाया गया है। यह गाना भी प्यार के अर्थ को जितनी अच्छी तरह से बताता है उतना कोई और नहीं। आप भी इसे सुने और प्यार के अर्थ को समझें।
वैलेन्टाइन डे मुबारक हो। मुन्ने की माँ मान जाए, बालों की स्टाइल के लिए यही शुभकामना है। न माने तो तकनीकी दोष मानना, कई बार उस की वजह से भी बालों की स्टाइल सब की एक जैसी नहीं हो सकती। मुहब्बत का पैगाम किसी रूप में हो। मुहब्बत का पैगाम होता है। किस्सा-ए-लैला मजनूँ. हीर राँझा और राजस्थान में ढोला मरवण की गाथा कहती हैं कि जितना ही दबाओ इस मुहब्बत के दरिया को सैलाब बन के दिखाता है।
यह तो हैव्स और हैवनॉट्स का द्वन्द्व है। जो आधुनिक हैं वे अन्य को हाफ-नेकेड फकीर मानते हैं और जो बाकी हैं वे इस तरह के विरोध से ईर्ष्या को स्वर दे रहे हैं। मजे की बात है, प्रसन्न दोनो ही नहीं हैं। वेलेण्टाइन तो निमित्त भर है।
"मैं अपने घर की खिड़कियों और दरवाज़ों को बन्द कर नहीं रखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि सारे देशों के संस्कृति-सभ्यता की बयार यहां पर बहे पर मैं किसी अन्य संस्कृति-सभ्यता से नहीं उखड़ सकता।" shayad har baat kaa bin soche samjhe jo virodh hai, vo iseeliye hai ki apane dharm par in logo kaa vishwaas dagmagaa gayaa hai, aur laaThee par baDh gayaa hai
वेलेंटाइन दिवस से परेशानी नही.माना यह एक पर्व है तो उसे पर्व की गरिमा के साथ मनाये . भोडापन किस लिए प्रेम ऐसे जाहिर किया जाएगा .
ReplyDeleteहूँ, तो आप पाषाण हृदय नहीं ,गहरे सौन्दर्य बोध से भी ओत प्रोत हैं -प्रेम दिवस की स्नेहिल शुभकांमनाएं !
ReplyDeleteवैलेन्टाइन डे मुबारक हो। मुन्ने की माँ मान जाए, बालों की स्टाइल के लिए यही शुभकामना है। न माने तो तकनीकी दोष मानना, कई बार उस की वजह से भी बालों की स्टाइल सब की एक जैसी नहीं हो सकती।
ReplyDeleteमुहब्बत का पैगाम किसी रूप में हो। मुहब्बत का पैगाम होता है। किस्सा-ए-लैला मजनूँ. हीर राँझा और राजस्थान में ढोला मरवण की गाथा कहती हैं कि जितना ही दबाओ इस मुहब्बत के दरिया को सैलाब बन के दिखाता है।
प्रेम दिवस पर आपको बहुत बहुत बधाईयाँ!
ReplyDeleteवैलेन्टाइन डे पर आपके विचार अच्छे लगे! बधाईयाँ
ReplyDeleteGreat post! Have a perfect valentine's day!
ReplyDeleteऔर आप भी ???
ReplyDeleteये इश्क नहीं आसन इतना ही समझ लीजे..
ReplyDeleteएक आग का दरिया है और डूब के जाना है..
उम्मीद करता हूँ कि कल से मुन्ने कि माँ घुंघराले बालों में ही दिखे.. :)
sehmat hai,bahut badhiya post
ReplyDeleteयह तो हैव्स और हैवनॉट्स का द्वन्द्व है। जो आधुनिक हैं वे अन्य को हाफ-नेकेड फकीर मानते हैं और जो बाकी हैं वे इस तरह के विरोध से ईर्ष्या को स्वर दे रहे हैं।
ReplyDeleteमजे की बात है, प्रसन्न दोनो ही नहीं हैं। वेलेण्टाइन तो निमित्त भर है।
हमने तो हमेशा सहिष्णुता, उदारता, सहनशीलता की बात की है।
ReplyDeleteजरूर की है...और इसे याद भी रखने की जरूरत है.
प्रेम दिवस पर आपका लेख पढकर मन प्रसन्न हो गया और गीत ने तो उस आनन्द को और बढा दिया...
ReplyDelete"मैं अपने घर की खिड़कियों और दरवाज़ों को बन्द कर नहीं रखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि सारे देशों के संस्कृति-सभ्यता की बयार यहां पर बहे पर मैं किसी अन्य संस्कृति-सभ्यता से नहीं उखड़ सकता।"
ReplyDeleteshayad har baat kaa bin soche samjhe jo virodh hai, vo iseeliye hai ki apane dharm par in logo kaa vishwaas dagmagaa gayaa hai, aur laaThee par baDh gayaa hai