Wednesday, May 13, 2009

अश्वेत लोग और गोरी मेम - वोट नहीं दे सकतीं

साउथ अफ्रीका की यात्रा विवरण श्रंखला की इस कड़ी में, जॉहेन्सबर्ग में घूमने की जगहों की चर्चा है।

साउथ अफ्रीका में हम लोग एक दिन प्रिटोरिआ से जॉहन्सबर्ग घूमने गये। वहां, सबसे महत्वपूर्ण देखने की जगह, रंगभेद सग्रंहालय (एपारथेड (Apartheid) म्यूज़ियम) है। यह सग्रंहालय बताता है कि साउथ अफ्रीका में किस तरह से भेदभाव होता था।

हम लोगों ने टिकट लिया जो कि तीस रैंड का था और साथ ही आडियो सहायता ली। आप जिस जगह पहुँचते है यह आडियो हेल्प अपने आप वहाँ पर लगे चित्रों के बारे में बताती थी। मुझे अच्छी सुविधा लगी इसके लिए हमें १५ रैंड देने पड़े थे। हलांकि हमारे अलावा कोई और लोग इस सुविधा का प्रयोग नहीं कर रहे थे। यह मुझे कुछ अजीब लगा।


हमारे साथ एक टैक्सी ड्राइवर भी था। उसने कहा,
'मैं यहां कई बार आया हूं पर मैंने इस संग्रहालय को नहीं देखा है।'
मैंने अपनी पत्नी के साथ उसका टिकट भी लिया। कुछ टिकटों में काला सफेद और कुछ में सफेद लिखा हुआ था। यह टिकट इस बात के लिए नहीं दिए गये कि हम लोग काले या सफेद थे। यह टिकट यह समझानें के लिए दिया गया था किस तरह से काले और सफेद में भेदभाव किया जाता था। हम लोग अलग अलग रास्ते से अन्दर घुसे।


सग्रंहालय में पहली अजीब बात यह लगी कि इसमे लिखा हुआ था कि पहले वहाँ पर अश्वेत लोग और गोरी महिलायें वोट देने की अधिकारिणी नहीं थी। मैंने 'आज की दुर्गा - महिला सशक्तिकरण' की कहानी लिखते समय, इसकी 'महिला दिवस' की कड़ी में बताया था कि इस दिवस की शुरुवात महिलाओं को वोट दिलवाने के लिये ही शुरू हुई थी। यहां प्रत्यक्ष सबूत मिल गया।




इस संग्रहालय में सबसे अजीब बात यह थी इसमें महात्मा गांधी का एक भी चित्र नहीं है। सच तो यह है कि इस भेदभाव के खिलाफ उन्होंने यहां पर सबसे पहले लड़ाई लड़ी थी। इस संग्रहालय में उन्हें वह सम्मान नहीं दिया गया जो उन्हें मिलना चाहिए। वहाँ पर शिकायत दर्ज करने की कॉपी थी। मैंने उस पर आपत्ति दर्ज की। यदि आप अब वहाँ कभी जायें और महात्मा गाँधी का चित्र देखें तो वह मेरे ही कारण होगा :-)

संग्रहालय के बगल में, पुरानी बन्द सोने के खान का प्रवेश द्वार - यहां यह देखा जा सकता है कि सोना कैसे निकाला जाता था।


इस संग्रहालय में अजीब तरह की भावनायें मन में आती हैं। मैं वहाँ न जाता तो शायद साउथ अफ्रीका की यात्रा अधूरी रहती।




जॉहन्सबर्ग में महात्मा गांधी की मूर्ति है। सग्रंहालय देखने के बाद हम वहाँ गये। हमारे टैक्सी ड्राइवर को यह जगह नहीं मालूम थी । हम लोगों ने जब उससे कहा कि हम यहां जाना चाहते है तो उसने आसपास के कुछ लोगों से पूछा उसके बाद में वह हमें वहां ले गया। उसने बताया ,
'मै वहां से अक्सर गुजरता हूं और मुझे नहीं मालूम था कि यह जगह महात्मा गांधी स्क्वैर के नाम से जाना जाता है।'

महात्मा गांधी स्क्वैर पर मूर्ति

वह हमें वहां एक जगह ले कर गया। वहां पर एक मूर्ति थी। उसने कहा कि यही जगह महात्मा गांधी स्क्वैर है। हमें वह मूर्ति महात्मा गांधी की मूर्ति नहीं लगी। मैंने कहा कि लगता है कि हम कुछ गलत जगह आयें है पर मूर्ति के नीचे पढ़ने पर पता चला कि यह महात्मा गांधी की ही मूर्ति है। यह मूर्ति उनके उस उम्र की है जब वे साउथ अफ्रीका में थे। यह उनके जवान समय की है। यही कारण है कि हम उसे नहीं पहचान पायें ।


गाड़ी से उतर कर हमनें टैक्सी ड्राइवर से कहा कि हमें १० मिनट के बाद आकर ले लेना क्योंकि वहां पर कोई रूकने की जगह नहीं थी। जिस समय हम उस मूर्ति का चित्र ले रहे थे तब पुलिस जैसा व्यक्ति हमारे पास आया। वह अपने को सिक्योरिटी का आदमी बता रहा था और उसी तरह के कपड़े पहने था। उसने कहा,
'आप चित्र नहीं ले सकते है और आपको इसके लिए अनुमति लेनी पड़ेगी।'
मैंने उससे कहा,
'दुनिया में ऎसा कहीं नहीं होता कि किसी सार्वजनिक मूर्ति का चित्र लेने के लिए किसी के अनुमति जरूरत हो।'
लेकिन वह नहीं माना। हम वहां उससे लड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि यह नया देश था और वहां पर झंझट पालना ठीक नहीं था। हमनें पूछा कि अनुमति कहां से मिलेगी तो उसने मुझे एक इमारत की तरफ इशारा करके बताया कि वहां मिलेगी।


हम लोग पैदल चलकर उस इमारत के पास गये। वहां पर पहरेदार ने हमसे इमारत के दूसरी तरफ से १३वीं मंजिल पर जाकर अनुमति लेने की बात बतायी। हम लोग इमारत के दूसरी तरफ गये। वहां लिफ्ट ग्यारहवें तल तक जाती थी। इसलिए ग्यारहवें तल तक लिफ्ट से, उसके बाद सीढी चढ़ कर गये।

ऊपर एक बहुत अच्छा सा ऑफिस था। यहाँ पर स्वागत कक्ष मे बैठी महिला से वहाँ जाने के कारण बताया। उसने किसी अन्य महिला से बात करने को कहा। यह काफी सभ्रांत महिला लग रही थी जो अपने चालीस के दशक में होगी। हमने बताया, हम लोग भारत से आयें है, हम महात्मा गाँधी की मूर्ति की फोटो लेना चाहते हैं, कोई व्यक्ति ऎसा करने से मना कर रहा हैं,
'आपसे इसकी लिए अनुमति लेने की बात की है।'

उस महिला ने कहा कि यह सच है कि आपको इसके लिए अनुमति लेनी पड़ेगी। उसने ऑफिस में बात कर यह अनुमित हमें दी। मुझे यह बहुत अजीब बात लगी। हमनें वापस आकर उस मूर्ति के कुछ चित्र लिए।


महिला के द्वारा दी गयी अनुमति। इसमें उसका मोबाइल नम्बर भी था। वह मैंने हटा दिया है।

प्रिटोरिआ में मेरे मित्रों ने उसी रात पर हमें भोजन पर बुलाया था। उसने वहाँ के लोगों को भी मुझसे मिलने के लिए भी बुलाया था। मैने रात में वहाँ जब लोगों को यह बात बतायी तो उन्हे आश्चर्य हुआ। उनका कहना था कि उन्हें आश्चर्य है कि इमारत के दूसरी तरफ जाने पर किसी ने हमें लूट नहीं लिया। उनके मुताबिक वहाँ पर कोई अपना कैमरा नहीं निकलता क्योंकि उसके छिन जाने का भय रहता है।

इस रात्रि के भोजन पर सारे लोग श्वेत लोग थे। उन्होंने रंगभेद सग्रंहालय के बारे में मेरी राय जाननी चाही। मैने उन्हें महात्मा गाँधी के चित्र का न होने की कमी बतायी। उन लोगों का कहना था इसमें कई कमियां है। मुझे लगा कि वे लोग इस संग्रहालय से प्रसन्न नहीं हैं।

अगली बार, प्रिटोरिआ में घूमने चलेंगे।

अफ्रीकन सफारी: साउथ अफ्रीका की यात्रा
झाड़ क्या होता है? - अफ्रीकन सफारी पर।। साउथ अफ्रीकन एयर लाइन्स और उसकी परिचायिकायें।। मान लीजिये, बाहर निलते समह, मैं आपका कैश कार्ड छीन लूं।। साउथ अफ्रीका में अपराध - जनसंख्या अधिक और नौकरियां कम।। यह मेरी तरफ से आपको भेंट है।। क्रुगर पार्क की सफाई देख कर, अपने देश की व्हवस्था पर शर्म आती है।। हम दोनो व्यापार कर बहुत पैसा कमा सकते हैं।। फैंटम टार्ज़न ... यह कौन हैं?।। हिन्दुस्तानी, बिल्लियों से क्यों डरते हैं।। आपको तो शर्म नहीं आनी चाहिये।।। लगता है, आप मुझे जेल भिजवाना चाहती हैं।। ऐसा करोगे तो, मैं बात करना छोड़ दूंगी।। भगवान की दुनिया - तभी दिखायी देगी जब उसकी खिड़की साफ हो।। सर, पिछली रात, आपने जूस का पैसा नहीं दिया।। मैंने, आज तक, यहां हवा में कूदती हुई मछलियां नहीं देखी हैं।। आश्चर्य - सर्कस को चलाने वाले, इतने कम लोग।। अश्वेत लोग और गोरी मेम - वोट नहीं दे सकतीं।।

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9 comments:

  1. चलिए इसी बहाने हम भी सैर कर लिए .ज्ञानवर्धक रही आपकी पोस्ट .

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  2. संग्रहालय में गांधी जी के न होने पर आपकी प्रतिक्रया और की गयी कार्यवाही अच्छी लगी !

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  3. "उसने ऑफिस मे बात कर यह अनुमित हमें दी" यहाँ अनुमति होनी चाहिए थी क्या ?:-)
    ..सुन्दर और आश्चर्यजनक लगा गांधीजी का यह चित्र

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  4. रोचक और कई बाते अजीब लगी इस पोस्ट की .. ..किसी भी नयी जगह को जानने का बढ़िया जरिया मुझे वहां बने संग्रहालय लगते हैं ..वहां के लोगों की सोच ,नजरिया आसानी से समझा जा सकता है .. .आपके लिखे से बहुत कुछ जानने को मिल रहा है ..शुक्रिया

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  5. गांधीजी के बारे में ना होना तो आर्श्चय ही पैदा करता है. सैर अच्छी चल रही है.

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  6. रोचक जानकारियां हाथ लगीं।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  7. गांधीजी का चित्र आपने लिया, मानो हम लोगों पर अनुग्रह किया। यह चित्र तो पहले न देखा था। बड़े हेण्डसम लग रहे हैं गांधीजी।

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  8. बड़ी अजीब बात है की सड़क में बने पुतलों की भी फोटू नहीं ले सकते (बिना अनुमति के). अपार्थेड म्यूज़ियम की जानकारी भी रोचक रही. आभार. .

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  9. अपार्थेड की असर आज भी साउथ अफ्रीका मे राजकरणी और पुलिस पर बराबर है ऐसा लगा - गाँधी जी की मूर्ति बनाकर रखी तो है -
    परदेस आने पर यही सारी बातेँ हमेँ अजीब सी लगतीँ हैँ - आपने अच्छा किया जो गाँधी जी के बारे मेँ कमेन्ट लिखा (सँग्रहालय मेँ)

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