Saturday, July 04, 2009

साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं

केरल यात्रा के दौरान हम कुमाराकॉम गये थे। यहां हम लोग ताज गार्डेन रिट्रीट में ठहरे थे। यह चिट्टी इसी के बारे में है।
 
 
 
 
सुबह, झील से, होटेल का दृश्य 
 
 
हम लोग दोपहर के भोजन के समय कुमाराकॉम पहुंचे। यहां हमें ताज गार्डन रिट्रीट (Taj Garden Retreat) होटल में एक रात रूकना था।

ताज गार्डन रिट्रीट होटल मुझे बहुत सुन्दर और शान्त लगा। यहां पहले बेकर परिवार रहा करता था इसलिये इसे बेकर हाउस के नाम से जाना जाता था। केरल में, बेकर परिवार ने शिक्षा क्षेत्र में काम किया है। इनके परिवार का आखिरी सदस्य १९६२ में भारत छोड़कर चला गया और इसे १९७७ में बेच दिया। १९९२ में इसे ताज ग्रुप ने ले लिया।

यह लगभग १५ हेक्टेयर में स्थित है इसके बीचो बीच एक झील है। मन किया कि यहां कुछ दिन रुककर पुस्तकों का अध्ययन करूं, कुछ लिखूं। इस होटेल में एक जगह पुस्तकें रखीं थी। आप उन्हें कहीं पर बैठ कर पढ़ सकते थे। पूरे होटल में वाई-फाई (wi-fi) है। आप जहां चाहें वहां बैठ कर अपने लैपटॉप से काम कर सकते हैं, अन्तरजाल पर जा सकते हैं।


हम होटेल की इसी कॉटेज में रुके थे

हम लोगों को जब मालूम चला था कि एक रात हमें ताज रिट्रीट गार्डन में ठहरना है तब हमने इसके बारे में अन्तरजाल में देखा था। हमें वहां इसकी कुछ समीक्षाएं अच्छी नहीं थी। इसलिए हम घबरा रहे थे पर यह न केवल बेहतरीन होटल है पर यहां कि सेवा भी अति उत्तम है। मुझे दुख हुआ कि मैंने वहां केवल एक रात ही रूकने का क्यों प्रोग्राम बनाया।

बेकर पिरवार जिस भाग में रहता था इस समय वह होटल का मुख्य भाग था। इसमें उनके हेरीटॅज़ कमरे थे। बाद में इसमें जगह जगह कॉटेज बना दिये गये हैं। वहां पहुंच कर हमें बताया कि यहां भी हमें अपग्रेड कर दिया गया है इसका कारण वही बताया गया जो कि ताज मालाबार होटेल में दिया गया था


हम जिस कॉटेज़ में ठहरे थे वह सुन्दर थी इसका बाथरूम अनूठा सा था। इसका कुछ भाग ऊपर से खुला था और उसके ऊपर जाल पड़ा था। वहां पर उसे प्रयोग करने पर लगता था कि हम खुली जगह पर हैं पर वह था, प्राइवेट।

वहां बहुत सी साइकलें रखी थीं मैने स्वागत कक्ष में बैठी महिला से पूछा कि यह यहां क्यों रखी हैं। उसने कहा,
'हमारा होटल बहुत फैला है। हमने यह साइकलें हमारे यहां ठहरने वाले मेहमानो के लिये रखी हैं। ताकि वे इसका प्रयोग कर एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये करें।'
मैंने वहां काफी साइकिल चलायी। होटेल के अन्दर आप जहां चाहें वहां साइकिल छोड़ सकते थे या कहीं भी रखी साइकिल को ले सकते थे। रात के समय होटेल वाले साइकिलों को वापस एक जगह पर रखते थे।

वहां कुछ साइकिलों के टायर पतले थे और कुछ के मोटे। पतले टायरों की साइकिल चलाने में मुश्किल पड़ी। लगता था कि वह इधर उधर भाग रही है। मुझे लगा कि कहीं मैं झील में न गिर जाऊँ। मोटे टायर वाली साइकिल चलाने में ज्यादा दम लगती थी।

मैंने न केवल बचपन में पर बाद के जीवन में काफी साइकिल चलायी है। हम अक्सर मित्रों से मिलने साइकिल पर जाया करते थे पर बाद में शुभा को साइकिल चलाने में तकलीफ होने लगी तब साइकिल चलाना छोड़ दिया। मैंने जिन साइकलों को चलाया है उनके टायर इन दोनो के बीच के होते थे। वे ही बेहतर थे।

आजकल मैंने पुन: साइकिल चलाना शुरू किया है। मेरी साइकिल में बीच के ही टायर हैं। मैं, आजकल इतवार को सुबह लगभग १५-२० किलोमीटर चलाता हूं और सप्ताह में प्रयत्न करता हूं कि सारे काम साइकिल में ही करूं। पेट्रोल भी बचा और वातावरण भी दूषित नहीं हुआ। हांलाकि भीड़ के कारण सब जगह साइकिल पर नहीं जाया जा सकता है।

इस होटेल में मेरी मुलाकात कई लोगों से हुई। वहां मुझे महिला सशक्तिकरण का नया रूप देखने को मिला। इस श्रंखला की अगली कुछ कड़ियों में उसी के बारे में।


कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा

क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
















यात्रा विवरण से संबन्धित लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां



About this post in Hindi-Roman and English

hum log kumarakom mein taj garden retreat hotel mein tthahre the. is chitthi mein, usee kee charcha hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


We had stayed in Taj Garden Retreat at Kumarakom. This post describes the same. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
Kumarakom, Taj Garden Retreat, कुमाराकॉम,
kerala, केरल, Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण,

13 comments:

  1. अच्छा लग रहा है यह संस्मरण -और हाँ साईकिल चलाने का तो मेरा भी मन होता है !

    ReplyDelete
  2. जान कर अच्छा लगा कि आप 15-20 किलोमीटर साइकिल हर हफ्ते चला रहे हैं।

    ReplyDelete
  3. रोचक जानकारी .

    ReplyDelete
  4. साइकल चलाने का नित्य अभ्यास और प्रयोग तो बहुत अच्छा है और समय की मांग भी है।
    अच्छा लगा यह पढ़ना।

    ReplyDelete
  5. बहुत रोचक जानकारी है यात्रा के लिये बधाई अगली पोस्ट का इन्तज़ार रहेगा

    ReplyDelete
  6. रोचक जानकारी रूचिकर प्रस्तुति।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    ReplyDelete
  7. अच्छा लगा सुनकर की आपका अनुभव निराशाजनक नहीं रहा.

    ReplyDelete
  8. नमस्ते!! याद हूं ना मै? :) आपकी एक बहुत पुरानी पाठिका! पढती तो अब भी नियमित हूं. बस टिप्पणी नही करती. लेकिन आज ये कहना ही पडेगा कि आपका साइकिल प्रेम अनुकरणीय है!:)

    ReplyDelete
  9. आपकी यात्राओं के बारे में पढना हमेशा रोचक होता है.:)
    उत्तरी यूरोप के कई देशों में तो स्थानीय प्रशासन सडकों के किनारे फ्री साइकिलें रखवाता है जिन्हें कोई भी लेकर कहीं भी जा सकता है और कहीं भी छोड़ सकता है. भारत में तो पहले दिन ही सारी साइकिलें गायब हो जाएँ;)

    ReplyDelete
  10. आपकी सब तो नही पर जो भी पोस्ट पढती हू ---लगता है मै भी आपके साथ घूम रही हूं---...........साईकिल आज भी पसंद है जब भी मौका मिलता है, जरूर चलाती हूँ ।

    ReplyDelete
  11. आज के समय में साइकिल पर आैर बहुत कुछ सकारात्मक कहने आैर उससे भी ज्यादा हम सबको साइकिल चलाने की जरूरत है । यह हमारी आैर प्रकृति दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद है । पाठकों को इस विषय पर सोचने के लिए आपने प्रेरित किया, आपको बहुत बहुत बधाई ।

    ReplyDelete
  12. हमारे मित्र जो एक हेज फंड में है उनके सीइओ रोज न्युयोर्क अपटाऊन से वालस्ट्रीट तक साइकिल चला कर आते हैं. आपके साइकिल वाले प्रकरण से याद आया. कुछ लोग ऐसे लोगों को सिरफिरे कहते हैं. काश सब ऐसे ही हो जाएँ !

    ReplyDelete
  13. होटल में सायकल का प्रयोग अनुकरणीय लगा. लेख के साथ चित्र भी सुन्दर हैं.

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।