इस चिट्ठी में, मथुरा में स्थित, इंडियन आयल रिफ़ाइनरी की चर्चा है।
मथुरा में एक इंडियन आयल रिफ़ाइनरी भी है। हम लोग उसे भी देखने के लिए गये। यह भारत का आधुनिक मंदिर है। यहां पर क्रूड आयल, पेट्रोल, डीज़ल, एएफटी और सलफर बनाया जाता है। एएफटी एक खास तरह का पेट्रोल है जिसमें सल्फर बहुत कम होता है। इसके कारण प्रदूषण नहीं होता है।इन्हें क्रूड आयल से, बनाने के लिए, उसे गर्म किया जाता है जिसके कारण, अलग अलग घनत्व की चीजें अलग अलग जगह पर निकल आती हैं।
हमारे द्वारा रिफाइनरी के कर्मचारियों की सहायता से लगाया गया पेड़
मथुरा रिफ़ाइनरी में, पानी का प्रयोग होता है और उस पानी को वापस करते समय साफ किया जाता है। इसके लिए उनकी रिफायनरी के अन्दर कुछ तालाब हैं जहां पानी साफ किया जाता है।
इन तलाबों में हमेशा पानी रहता है और बहुत से पेड़ हैं। इस कारण यहां पर बहुत से पक्षी भी रहते हैं यह उनकी पक्षीशाला भी है।
उनके मुताबिक, वहां पर भरतपुर से अधिक पक्षी रहते हैं। वास्तव में यह बात सच है क्योंकि जब मैं पहुंचा तो वहां पर अनेक तरह के पक्षी थे।
रिफायनरी ने, बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी से प्रार्थना की थी वे रिफ़ाइनरी के तालाब में आकर पक्षियों की गणना करें।
सोसायटी ने यह कार्य वर्ष १९९५ से ९७ तक किया और वहां पर, करीब १०० तरह की पक्षियों को पाया। इस सम्बंध में उन्होंने एक पुस्तक भी प्रकाशित की है जिसमें वहां पर पायी जाने वाली पक्षियों के बारे में चर्चा है।
अगली बार हम लोग चर्चा करेंगे भारतीय धार्मिकता की नयी शुरुवात पर।
मथुरा में एक दिन, पूरे बनारसी जीवन पर भारी - मथुरा यात्रा
रस्किन बॉन्ड।। कन्हैया के मुख में, मक्खन नहीं, ब्रह्माण्ड दिखा।। जहाँपनाह, मूर्ति-स्थल नापाक है - वहां मस्जिद न बनायें। । कृष्ण-जन्मभूमि मन्दिर को महमूद गजनवी ने लूटा।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। । गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। बांके बिहारी से कुछ न मांग सका।। देना है तो पशु वध बन्द करवा दें।। माई स्वीट लॉर्ड।। चित्रकला से आध्यात्म।। शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे।। महिलायें जमीन पर लोट रही थीं।। हमारे यहां भरतपुर से अधिक पक्षी आते हैं।। भारतीय़ अध्यात्मिकता की नयी शुरुवात - गोवर्धन कथा।।
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वाकई यह आधुनिक मंदिर है, कई बार सामने से निकल गये और चिमनी में से आग निकलती देखी है हमने..
ReplyDeleteअविश्वसनीय, ऐसी बढि़या खबरें दुर्लभ सी क्यों बनी रहती हैं.
ReplyDeleteबात सच है, यह पुस्तक वहाँ के अधिकारियों ने भेंट की थी मुझे भी, बहुत ही अच्छा प्रयास..
ReplyDeleteकई निजी संस्थानों ने भी अच्छा कार्य किया है पर्यावरण संरक्षण की दिशा में.
ReplyDeleteवहां का वातावरण एकदम से प्रदूषण मुक्त तो नहीं हो सकता. कुछ न कुछ मात्र में वायु में गंधक होगा ही. फिर भी पक्षियों को कोई परेशानी नहीं है. यही मेरे लिए आश्चर्यजनक है.
ReplyDeleteअच्छा, चल कर देखता हूं, वहां!
ReplyDeleteयानि कि यहाँ पर काम होता है पूरी तरह से...
ReplyDeleteपक्षियों का कलरव तो बहुत सुन्दर लगता है, और साथ में हरियाली वो भी फैक्ट्री क्षेत्र में..क्या कहने!!!
ReplyDeleteज़ोया जी, आप तो इंजीनियरिंग की छात्रा हैं। ईश्वर करे आप जिस फैक्टरी में काम करें, वहां ऐसी ही हरियाली हो।
Deleteजानकारीपरक विवरण दिया आपने.
ReplyDeleteप्रदूषण के बावजूद भी पक्षियों का जमघट आश्चर्य में डालता है -मगर मैं आपका ध्यान एक तथ्य की और दिलाना चाहता हूँ -ये ज्यादातर प्रवासी पक्षी हैं यानी रेजिडेंट बर्ड्स नहीं हैं अतः मथुरा रिफाइनरी क्षेत्र में घोसले भी नहीं बनाती होंगी -इनके घोसले इनके मूल स्थान में होंगे ....यहाँ एक अध्ययन स्थानिक पक्षी जो यहीं घोसला बनाते हैं और जो प्रवासी पक्षी हैं उनकी तुलनात्मक उत्तरजीविता को लेकर किया जा सकता है-हो सकता है तब कुछ तथ्य मिल सकें जो प्रदूषण के दुष्प्रभावों को उजागर कर सकें!
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