राधा-कृष्ण कन्हाई चित्र |
इस चिट्ठी में, मथुरा के कंहाई चित्रकला संग्रहालय की चर्चा है।
कुछ समय पहले, मैंने चित्रकला, गणित, और संगीत के संबन्धों को बताती एक पुस्तक 'गर्डल, ऍशर, बाख: ऍन ईटनल गोल्डेन ब्रेड' की चर्चा यहां की है। लेकिन क्या चित्रकला और अध्यात्म में कोई संबन्ध है? क्या चित्रकला से भी ईश्वर के पास पहुंचने का माध्यम हो सकता है?
शायद इन सवालों का जवाब हां में है और इस बात को कन्हाई चित्रकार से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता। उन्होंने न केवल चित्रकला की नयी श्रेणी श्रेणी को जन्म दिया पर चित्रकला से आध्यात्म को भी समझा।
आपने अपना व्यवसायिक जीवन कला निदेशक के रूप में, गुरुदत्त के साथ बम्बई में शुरू किया। लेकिन बहुत शीघ्र लगा कि अपनी सृजनात्मकता भगवान कृष्ण को समर्पित करनी चाहिये। इसलिये वृन्दावन में बस गये भगवान कृष्ण की कलाओं पर चित्र बनाने लगे।
मथुरा में आपका एक संग्रहालय भी है और यह देखने लायक है। इस संग्रहालय में भगवान कृष्ण से सम्बन्धित कलाओं की बेहतरीन चित्र है। यह चित्र मन को छूते हैं। इनके ऊपर सोने ठर कीमती पत्थरों से सजावट भी है। इसलिए यह चित्र लाखों रूपयों के हैं।
आपको वर्ष २००० में भारत सरकार के द्वारा, पद्मश्री के पुरुस्कार से नवाज़ा गया।
आपके दो पुत्र कृष्ण कन्हाई, गोविन्द कन्हाई एवं पौत्र सिद्धार्थ कन्हाई भी चित्रकार हैं। इन दोनो को वर्ष १९९९ में अचीवर ऑफ मिलेनियम अवार्ड (Achiever of Millennium Award) मिल चुका है।
कृष्ण कन्हाई को २००४ में पद्मश्री पुरुस्कार से नवाज़ा गया है। बच्चन पिता-पुत्र के अतिरिक्त केवल यह पिता-पुत्र को पद्मश्री मिला है।
गोविन्द कन्हाई को २००६ यूपी रत्न से नवाज़ा गया है।
इस समय आप सबने मिल कर चित्रकारी के अन्य दिशाओं में चित्रकारी शुरू की है। हेमा मालिनी का छाया चित्र और गांव जीवन के दृश्य का चित्र उसी क्रम में हैं।
मेरी पहले की कुछ चिट्ठियों में यहां और यहां कन्हाई चित्र हैं।
मथुरा में एक दिन, पूरे बनारसी जीवन पर भारी - मथुरा यात्रा
रस्किन बॉन्ड।। कन्हैया के मुख में, मक्खन नहीं, ब्रह्माण्ड दिखा।। जहाँपनाह, मूर्ति-स्थल नापाक है - वहां मस्जिद न बनायें। । कृष्ण-जन्मभूमि मन्दिर को महमूद गजनवी ने लूटा।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। । गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। बांके बिहारी से कुछ न मांग सका।। देना है तो पशु वध बन्द करवा दें।। माई स्वीट लॉर्ड।। चित्रकला से आध्यात्म।। शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे।। महिलायें जमीन पर लोट रही थीं।। हमारे यहां भरतपुर से अधिक पक्षी आते हैं।। भारतीय़ अध्यात्मिकता की नयी शुरुवात - गोवर्धन कथा।।
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सांकेतिक शब्द
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सुंदर जानकारी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबड़े ही सुंदर चित्र हैं.
ReplyDeleteप्रभावित करते चित्र..
ReplyDeleteस्तभित करते चित्र ..कन्हाई परिवार निश्चित ही अभिनंदनीय है
ReplyDeleteमथुरा जाने पर इन के संग्रहालय अवश्य जाउंगा।
ReplyDeleteसुन्दर सुन्दर चित्रों सहित सुन्दर जानकारी. आभार. नव वर्ष आपके लिए मंगलमय हो.
ReplyDeleteबहूत ही सुंदर चित्र और जानकारी
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