Friday, January 06, 2012

शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे

इस चिट्ठी में, वृन्दावन में अक्षय पात्र फाउंडेशन संस्थान के मंदिर और केंद्रीकृत रसोईघर की चर्चा है। 
अक्षय पात्र संस्थान का मथुरा में मंदिर

अक्षय पात्र संस्थान वर्ष २००० में शुरू हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य, स्कूलों में विद्यार्थियों को दोपहर का भोजन देना है। इस समय देश में, इनके ८ राज्यों में, १५ केंद्रीकृत और ३ विकेन्द्रीकृत रसोईघर चल रहे हैं। केंद्रीकृत रसोईघर में, एक जगह बड़े रसोई घर में खाना बनता है और विकेन्द्रीकृत रसोई घर में स्कूल के पास वहीं के स्थानीय लोगों की सहायता से खाना बनवाया जाता है।

इस संस्थान का एक केंद्रीकृत रसोईघर और उसी के साथ कृष्ण भगवान का मन्दिर वृन्दावन में है। मथुरा में एक जगह इनका विकेंद्रीकृत रसोईघर भी है। वृन्दावन में इस जगह से, वृन्दावन और मथुरा के सारे स्कूलों में (उस जगह को छोड़ कर जहां विकेंद्रीकृत रसोईघर है), दोपहर का खाना बनाकर भेजा जाता है। हम यहां भी गये। यह जगह मुझे सबसे अच्छी लगी।

इस मंदिर में आरती तो हो रही थी लेकिन पूरी जगह खाली थी। यहां पर बिल्कुल भीड़ नहीं थी। इस मंदिर के पुजारी का नाम अंगद था। वह एक ३० वर्षीय कंप्यूटर इंजीनियर है। अंगद ने बताया,
'रोज १,६८,००० बच्चों का खाना उनके यहां बनता है। खाना  रात के २ बजे बनना शुरू होता है। खाने में दाल, चावल, रोटी  और एक सब्जी रहती है।'
हम लोग इनका रसोईघर भी देखने गये। यह एकदम आधुनिक है। रोटी में घी भी, हाथ से नहीं लगाया जाता है। यह काम भी मशीन के द्वारा किया जाता है। 

बच्चों को यदि अच्छा भोजन मिलता है तब स्वस्थ रहेगें और स्कूल आयेंगे। वे हमारे देश का भविष्य हैं। हमारा भविष्य सुनहरा होगा। मुझे लगा कि मथुरा में जितने भी मंदिर और पवित्र स्थान हैं, यह स्थान उन सब में सबसे पवित्र है। यदि भगवान कृष्ण हैं तब वे इसी मन्दिर में निवास करते होंगे और वही काम करते होते जो कि यह संस्था कर रही है।

मन्दिर में उन्होने विडियो भी दिखाया जिससे से पता चला कि बहुत से बच्चों को घर में अच्छा भोजन नही मिल पाता है। उन्होंने स्कूल में इसलिए आना शुरू किया क्योंकि वहां अच्छा खाना मिलता है। 

मैं भी इनके लिए कुछ करना चाहता था।  मैंने सुझाव दिया कि जिन स्कूलों में भोजन बंटवाया जाता है उसमें स्कूल के जिन बच्चों की हाजिरी सबसे अधिक हो ऎसे एक लड़के एवं एक लड़की की एक साल की पढ़ायी का खर्चा उठाने की बात रखी। शायद आने वाले समय में ऎसा कुछ हो सके।


अक्षय पात्र संस्था के बारे में अन्तराजाल पर कुछ विवाद भी है। आप इसे यहां पढ़ सकते हैं। मैं नहीं कह सकता कि यह सही है अथवा नहीं।

अगली बार हम लोग  रमन रेती आश्रम चलेंगे।


वृन्दावन में अक्षय पात्र प्रोग्राम के बारे में विडियो



मथुरा में एक दिन, पूरे बनारसी जीवन पर भारी - मथुरा यात्रा
रस्किन बॉन्ड।। कन्हैया के मुख में, मक्खन नहीं, ब्रह्माण्ड दिखा।। जहाँपनाह, मूर्ति-स्थल नापाक है - वहां मस्जिद न बनायें। । कृष्ण-जन्मभूमि मन्दिर को महमूद गजनवी ने लूटा।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। गाय या भैंस के चमड़े को अन्दर नहीं ले जा सकते।। बांके बिहारी से कुछ न मांग सका।। देना है तो पशु वध बन्द करवा दें।। माई स्वीट लॉर्ड।। चित्रकला से आध्यात्म।। शायद भगवान कृष्ण यहीं होंगे।। महिलायें जमीन पर लोट रही थीं।। हमारे यहां भरतपुर से अधिक पक्षी आते हैं।। भारतीय़ अध्यात्मिकता की नयी शुरुवात - गोवर्धन कथा।।
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सांकेतिक शब्द
Mathura, Krishna, Vrindavan, 
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