इस चिट्ठी में जिम कार्बेट की कहानी 'द मुक्तेश्वर मैन ईटर' और इस कहानी में, मुक्तेश्वर में, बाघिन को मार कर रखने के स्थान की चर्चा है।
जिम कार्बेट की पुस्तक 'The man eates of Kumaon' में 'The Muktesar Man-Eater' नामक, एक आदमखोर बाघिन की कहानी है।
बाघिन के पैर में साही का शिकार करते समय कुछ कांटे चुभ गये थे। इस कारण सम्भव नहीं था कि वह सामान्य तरीके से शिकार कर सके। इसलिये वह आदमखोर बन गयी थी।
बाघिन ने २४ लोगों को मार दिया। आईवीआर इंस्टीयूट और आस पास के गांव वालों को, रात में तो क्या, दिन में बाहर निकलना दूभर हो गया। इसलिए उन्होंने सरकार से इस बात की प्रार्थना किया कि वह जिम कार्बेट से कहें कि वह उसको मार दें। सरकार और लोगों के कहने पर जिम कार्बेट उस बाघिन को मारने के लिए मुक्तेश्वर आये।
मैंने वहां पर लोगों से पूछना शुरू किया कि जिम कार्बेट ने उस बाघिन को कहां पर मारा तो अलग अलग लोग अलग अलग जगह बताते रहे किसी को यह मालूम नहीं था कि जिम कार्बेट ने बाघिन को कहां पर मारा था। मैंने यह कहानी अपने बचपन में पढ़ी थी। मुझे याद नहीं कि बाघिन कहां पर मारी गयी थी। लेकिन इतना याद था कि उसे मारकर, जिम कार्बेट ने उसकी लाश पोस्ट आफिस के सामने, लोगों को देखने के लिये रखा था।
हम लोग पोस्ट आफिस के सामने गये और वहां पर भी कुछ लिखा हुआ नहीं था और न किसी को कुछ मालूम था।
कुछ लोगों का ख्याल था कि एक पोस्ट आफिस रूठानी में था। इसलिए शायद उस पर बाघिन को रखा होगा लेकिन वहां पर जंगल है और कोई आबादी नहीं है। इसलिए वहां रखने की कोई बात नहीं है।
मुक्तेश्वर में मुख्य पोस्ट आफिस की बिल्डिंग है। यह १९०५ में बनीं थी यह घटना १९१३ की है। इसलिए मेरे विचार में बाघिन को मार कर इसी पोस्ट आफिस के सामने रखा होगा। अच्छा होता कि उसके सामने की जगह जहां पर रखा होगा वहां पर बोर्ड लगा होता जिसमें इसके बारे में सूचना होती।
मुक्तेश्वर पोस्ट ऑफिस, जिसके सामने बाघिन को मार कर रखा गया होगा |
जिम कार्बेट ने आदमखोर शेरों के मारने की कहानियां लिखी है। कितनी अच्छी बात हो कि जिस जगह पर उन्हें मारा गया हो वहां तक पैदल जाने के लिए एक रास्ता बनाया जाए ताकि लोग वहां तक लोग पैदल जा सके, घूम सकें और पिकनिक कर सकें। इससे पर्यटन को बढ़ावा ही मिलेगा। मैंने इस तरह का सुझाव दिया है। हो सकता है कि आप अगली बार जाएं तो आपको ऎसा मिले।
जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।। इस अदा पर प्यार उमड़ आया।। उंचाई फिट में, और लम्बाई मीटर में नापी जाती है।। चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका।। नैनीताल में सैकलीज़ और मचान रेस्त्रां जायें।। क्रिकेट का दीवानापन - खेलों को पनपने नहीं दे रहा है।। गेंद जरा सी इधर-उधर - पहाड़ी के नीचे गयी।। नैनीताल झील की गहरायी नहीं पता चलती।। झील से, हवा के बुलबुले निकल रहे थे।। नैनीताल झील की सफाई के अन्य तरीके।। पास बैटने को कहा, तो रेशमा शर्मा गयी।। चीनी खिलौने - जितने सस्ते, उतने बेकार।।कमाई से आधा-आधा बांटते हैं।। रानी ने सिलबट्टे को जन्म दिया है।। जन अदालत द्वारा, त्वरित न्याय की परंपरा पुरानी है।। बिन्सर विश्राम गृह - ठहरने की सबसे अच्छी जगह।। सूर्य एकदम लाल और अंडाकार हो गया था।। बिजली न होने के कारण, मुश्किल तो नहीं।। हरी साड़ी पर लाल ब्लाउज़ - सुन्दर तो लगेगा ना।। यह इसकी सुन्दरता हमेशा के लिये समाप्त कर देगा।। सौ साल पुरानी विरासत, लेकिन रख रखाव के लिये पैसे नहीं।। वहां पहुंचने का कोई सुविधाजनक तरीका न था।। ठीक रख-रखाव के लिये, पुस्तक पर सोने की प्लेटिंग।।ठंडा रखने के लिये, प्रकृति का प्रयोग।।किलमोड़ा - अलमोड़ा नाम इसी नाम से पड़ा।।मोक्ष का स्थान - मुक्तेश्वर।। बाघिन को मार कर पोस्ट ऑफिस के सामने रखा था।।
सांकेतिक शब्द
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अभी हम नहीं गए हैं ..जायेगें तो यह ध्यान में रखेगें!
ReplyDeleteअच्छा लेख।
ReplyDeleteरोचक जानकारी।
ReplyDeleteरोचक जानकारी..
ReplyDeleteजिम कॉर्बेट के लिए क्या ये संभव नहीं था की वो उस शेरनी को ज़िंदा पकड़ के उसके सेही से हुए जखम को इलाज करके जंगल में छोड़ देते। फिर वो आदम खोर नहीं रहती।
ReplyDeleteशायद यह कर पाना संभव न रहा हो।
Deleteऐसा संभव नहीं होता। ना ही सही होता ।। एक बार किसी टाइगर को मानव का टैस्ट आ जाये तो वो आसान शिकार ही करना पसंद करती और मानव सबसे आसान शिकार ही तो है।
DeleteIt won't be possible to know for current generation where Jim Corbett kept lioness for public display . It was 100 years back incident ... about 3 generations old.
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