मुक्तेश्वर में, घूमने के लिये एक जगह चौथी जाली है। इस चिट्ठी में, इसी जगह की चर्चा है।
चौथी जाली - मुक्तेश्वर |
मुक्तेश्वर एक पहाड़ी पर बसा हुआ है। इसका पश्चिमी भाग बहुत ही गहरा है और वह पहाड़ी चौथी के आस-पास है। इस पहाड़ी की गहराई लगभग एक हजार फिट है और खाली जगह दिखायी पड़ती है। यह उसके दक्षिण की जगह है। यहां पर कुछ चट्टाने भी हैं और एक चट्टान में छेद भी है। इसका नाम चौथी जाली है। इसकी कहानी कुछ इस प्रकार है।
बाबा गोरखनाथ, शिव जी के शिष्य थे। उन्हें शैम देवता भी कहा जाता है। एक बार वे, झांकर (दारूका वन अथवा जागेश्वर) की यात्रा कर रहे थे। राजपूत काल में, एक जाति मोतीसर हुआ करती थी। इसका एक व्यक्ति, अपने पापों की मुक्ति केलिये तपस्या में लीन था। भगवान शिव ने, शैम देवता की परीक्षा लेने के लिये, मोतीसर के द्वारा, उनका मार्ग अवरूद्व कर दिया और कहा कि यदि तुममें शक्ति है तो तुम चौथीजाली पर्वत का भेदकर चले जाओ।
श्री शैम ने, चौथीजाली में अपनी मुट्ठी से प्रहार किया। इससे वहां एक छेद हो गया। वे अपनी मण्डली सहित उस छेद से निकल गये। इसके बाद, श्री शैम जी ने, मोतीसर को शेष जीवन को बिताने के लिये आगरियों (आगार क्षेत्र में रहने वाले) के पास भेज दिया और उसकी मृत्य के पश्चात उसे मुक्ति दिलवायी
चौथी जाली पर गहरी खाई |
पहाड़ी पर चौथी जाली के छेद के पास, शिव जी का मन्दिर है। पहाड़ी के नीचे घाटी, लगभग एक हजार फिट गहरी है, घाटी में एक जगह शिवजी की जटा कहलाती है। वहां पर पानी का स्रोत है। कहा जाता है। कि जिन महिलाओं को बच्चा प्राप्त नहीं होता है, यदि वे, पहले शिव भगवान का दर्शन करें और उसके बाद वह इस छेद के बीच से निकल कर, पहाड़ी के नीचे, शिव जी की जटा पर पानी पियें, तो उन्हें सन्तान की प्राप्ति होगी।
यह भी कहा जात है कि यदि कोई चौथ के रोगी उस छेद से आर-पार निकल जाये तो वह आरोग्य हो जाता है।
मुझको उस छेद के अन्दर से निकलना बहुत मुश्किल लगा। मैं काफी देर तक वहां पर रहा लेकिन, मेरे सामने किसी ने भी व्यक्ति (महिला, पुरूष, लड़के या लड़कियों) ने उस छेद से निकल जाने की हिम्मत नहीं की। मैं उस व्यक्ति की दाद दूंगा, जो कि उस छेद से निकल सकें। क्योंकि उसके नीचे देखने पर, गहरी खाई के कारण डर लगता था। लेकिन, हो सकता है कि कुछ लोग ऎसा करते हो मैं कह नहीं सकता हूं।
अगली बार, चौथी जाली पर हो रही, कुछ अन्य मोहक गतिविधियों की चर्चा करेंगे।
जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।। इस अदा पर प्यार उमड़ आया।। उंचाई फिट में, और लम्बाई मीटर में नापी जाती है।। चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका।। नैनीताल में सैकलीज़ और मचान रेस्त्रां जायें।। क्रिकेट का दीवानापन - खेलों को पनपने नहीं दे रहा है।। गेंद जरा सी इधर-उधर - पहाड़ी के नीचे गयी।। नैनीताल झील की गहरायी नहीं पता चलती।। झील से, हवा के बुलबुले निकल रहे थे।। नैनीताल झील की सफाई के अन्य तरीके।। पास बैटने को कहा, तो रेशमा शर्मा गयी।। चीनी खिलौने - जितने सस्ते, उतने बेकार।।कमाई से आधा-आधा बांटते हैं।। रानी ने सिलबट्टे को जन्म दिया है।। जन अदालत द्वारा, त्वरित न्याय की परंपरा पुरानी है।। बिन्सर विश्राम गृह - ठहरने की सबसे अच्छी जगह।। सूर्य एकदम लाल और अंडाकार हो गया था।। बिजली न होने के कारण, मुश्किल तो नहीं।। हरी साड़ी पर लाल ब्लाउज़ - सुन्दर तो लगेगा ना।। यह इसकी सुन्दरता हमेशा के लिये समाप्त कर देगा।। सौ साल पुरानी विरासत, लेकिन रख रखाव के लिये पैसे नहीं।। वहां पहुंचने का कोई सुविधाजनक तरीका न था।। ठीक रख-रखाव के लिये, पुस्तक पर सोने की प्लेटिंग।।ठंडा रखने के लिये, प्रकृति का प्रयोग।।किलमोड़ा - अलमोड़ा नाम इसी नाम से पड़ा।।मोक्ष का स्थान - मुक्तेश्वर।। बाघिन को मार कर पोस्ट ऑफिस के सामने रखा था।। सन्तान प्राप्त करने का तरीका।।
सांकेतिक शब्द
। Mukteshwar, chaitthi jaali,
। Kumaon,
। Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो, मौज मस्ती,
रोचक!
ReplyDeleteबड़ी रोचक कथा जुड़ी है.
ReplyDeleteबड़ी ही रोचक कथा।
ReplyDeleteरहस्य और रोमाच भरा यात्रा विवरण
ReplyDeletewell , its not seems to be too difficult by watching ... may be after going there Chauthi Jaali can be seen fully.
ReplyDeleteबहुत ही रोचक प्रस्तुति । खूबसूरत फोटो ।
ReplyDelete