इस चिट्ठी में, हार्डी के द्वारा लिखित पुस्तक 'अ मैथमेटीशियनस् अपॉलोजी' और रीमैन अनुमान पर लिखी पुस्तकों पर चर्चा है।
इस चिट्ठी पर चर्चा शुरू करने से पहले, आप सब को ईद की मुबारकबाद।
हार्डी ने गणित की एक उत्कृष्ट पुस्तक 'अ मैथमेटीशियनस् अपॉलोजी' (A Mathematician's Apology) नाम से, १९४० में लिखी थी। यह पुस्तक, आज भी पाठकों को मंत्रमुग्ध करती है।
इस पुस्तक में, कुछ व्यक्तिगत विषय हैं, गणित की सुन्दरता पर चर्चा है, और यह एक प्यूर गणितज्ञ (pure mathematician) की मनोदशा को, जन साधरण को बताती है।
कैंटौ (Canto) ने, इसे सीपी स्नो (CP Snow) की प्रस्तावना के साथ छापा है। इस प्रस्तावना में, स्नो ने हार्डी के जीवन और हार्डी तथा रामानुजन के सहयोग पर प्रकाश डाला है।
इस पुस्तक को समझने के लिये, गणित के समीकरण समझने की जरूरत नहीं है। यह बेहतरीन पुस्तक है। यदि, नहीं पढ़ी, तब अवश्य पढ़ें।
रीमैन अनुमान के बारे में निम्न तीन पुस्तकें पढ़ने योग्य हैं। हांलाकि तीसरी पुस्तक, पहली दो से अधिक टेकनिकल है। जन साधरण को, इसकी गणित समझना मुश्किल है। यह पुस्तकें हैं,
- द मूज़िक ऑफ द प्राइमस् (The Music of the Primes by Marcus du Sautoy);
- द रीमैन हयपॉथेसिस: द ग्रेटेस्त अनसॉल्वड प्रॉबलम इन मैथमैटिकस् (The Riemann Hypothesis: The Greatest Unsolved Problem in Mathematics by Karl Sabbagh);
- प्राइम ऑबशेशन: बर्ंहार्ड र्ह्हार्ड रीमैन एण्ड द ग्रेटेस्ट अनसॉल्वड प्रॉबलम इन मैथमैटिकस् (Prime Obsession: Bernhard Riemann and the Greatest Unsolved Problem in Mathematics by John Derbyshire).
अनन्त का ज्ञानी - श्रीनिवास रामानुजन
भूमिका।। क्या शून्य को शून्य से भाग देने पर एक मिलेगा।। मैं तुम्हारे पुत्र के माध्यम से बोलूंगी।। गणित छोड़ कर सब विषयों में फेल हो गये।। रामानुजन को भारत में सहायता।। रामानुजन, गणित की मुशकिलों में फंस गये हैं।। दिन भर वह समीकरण, हार्डी के दिमाग पर छाये रहे।। दूसरा न्यूटन मिल गया है।। अभाज्य अंक अनगिनत हैं।। दस खरब असाधारण शून्य सीधी पंक्ति में हैं।। दस लाख डॉलर अब भी प्रतीक्षा में हैं।। मेरे जीवन का रूमानी संयोग शुरू हुआ।। गणित में, भारत इंगलैंड से सदियों पीछे था।। उनका नाम गणित के इतिहास में अमर हो जायगा।। रामनुजम ने स्वयं अपना आविष्कार किया।। रामानुजन को, इंग्लैड का खान-पान रास नहीं आया।। हार्डी, यह नम्बर अशुभ नहीं है।। द मैन हू न्यू इनफिनिटी।। द इंडियन कलार्क।। बीबीसी द्वारा रामानुजन पर वृत चित्र और कुछ अन्य लेख।। रामानुजन और रीमैन अनुमान से संबन्धित पुस्तकें।।
सांकेतिक शब्द
। The Music of the Primes, Marcus du Sautoy, Karl Sabbagh, Prime Obsession: Bernhard Riemann and the Greatest Unsolved Problem in Mathematics, John Derbyshire,
। prime numbers, Euclid, Bernhard Riemann, Riemann hypothesis, Riemann zeta function,
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। Srinivasa-Ramanujan,
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गणित में आपकी अनन्य रूचि है और वह मुझ तक संवाहित हो रही है -काश बचपन में मेरी रूचि इस सुन्दर से विषय में जगी होती -हार्डी की उद्धृत पुस्तकें खोजता हूँ!
ReplyDeleteअरविन्द जी, गणित बहुत ही प्यारा विषय है हमेशा मुझे प्रिय रहा। जैसा कि मैंने अपनी चिट्ठी नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है में लिखा है,
Deleteयथा शिखा मयूराणां नागानां मण्यो यथा।
तथा वेदाङ्गशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्।।
जिस तरह से,
मोरों के सिर पर कलगी,
सापों के सिर में मणियां,
उसी तरह विज्ञान का सिरमौर गणित।।
गणित तो सब विषयों की रानी है। फाइनमेन भी गणित के महत्व को स्वीकारते हैं। इसके बारे में, मैंने चर्चा यहां की है।
उन्मुक्त जी ,
Deleteयह तो सच है और यह भी कि कभी भारत इस विषय में विश्व का सिरमौर था ....मगर यह दुखद है कि अन्यान्य क्षेत्रों में जिस तरह हम अपनी उस समृद्ध परम्परा से कटे -गणित से भी वैसे ही कालांतर की पीढियां कटती गईं ! मुझे याद है कि हमारे कई बड़े बुजुर्ग तो मन ही मन चक्रवृद्धि गणित की गणनाएं सहज ही कर लेते थे -आज भी गणित के विद्वान मिलते हैं जो लगता है हमारी उस प्राचीन परम्परा के ही 'लिविंग लीजेंड्स ' से हैं मगर वे अपवाद हैं और उन्हें उपेक्षा का दंश भी झेलना पड़ता रहा है !
जब भी मैं प्राइम अंकों के बारे में सोचता हूँ, ऐसे अड़ियल अंक दिखते हैं जो किसी पर आधारित नहीं, जिनका अस्तित्व स्वतन्त्र है।
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर रोचक और ज्ञान वर्धक आलेख के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (12.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteI liked mathematics in my childhood but never liked any of the mathematics teachers assigned in any class . They were rude and never encouraged students to play with numbers. In my opinion all those teachers were failure in themselves . They failed to develop interest of student in mathematics rather than finishing textbooks and gaining good marks .
ReplyDelete:)
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