Tuesday, May 23, 2006

शतरंज का जादू: नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू

इस विषय की पहली पोस्ट पर हम लोगों ने इस पर चर्चा करने का क्रम तय किया था और दूसरी पोस्ट पर मार्टिन गार्डनर की पुस्तकों के अलावा पहेलियों कि अन्य अच्छी पुस्तकों के बारे मे बात की। इस बार शतरंज के जादू के बारे मे।

गुणाकर मुले की किताब 'गणित की पहेलियां' मे एक अध्याय 'अंकगणित की पहेलियों' पर है इसी मे वह 'शतरंज के जादू' के बारे मे बताते हैं। इसका बयान करने से पहले मैं आपको एक सांकेतिक चिन्ह के बारे मे बता दूं क्योंकि इसका प्रयोग मै करूंगा।
१=२/२=२^०
२=२=२^१
४=२x२=२^२
८=२x२x२=२^३
१६= २x२x२x२=२^४

यह सब नम्बर दो को दो से एक बार या दो से कई बार गुणा करके मिले हैं या यह कह लीजये कि ये दो की पावर (power) हैं। इन्टरनेट पर देखने के लिये इन्हे २^०, २^१, २^२, २^३, २^४ .... से लिखते हैं। पावर को इन्टरनेट पर देखने के लिये ^ चिन्ह का प्रयोग किया जाता है और मै भी इस चिठ्ठे पर इसी प्रकार से लिखूंगा।

अब देखते हैं कि गुणाकर मुले किस तरह से शतरंज के जादू के बारे मे ब्यान करते हैं। यह उन्ही के शब्दों मे,


शतरंज का जादू
शतरंज के खेल के नियमों को आप न भी जानते हों तो कम से कम इतना तो सभी जानते हैं कि शतरंज चौरस पटल पर खेला जाता है। इस पटल पर ६४ छोटे-छोटे चौकोण होते हैं।

प्राचीन काल में पर्सिया में शिर्म नाम का एक बादशाह था। शतरंज की अनेकानेक चालों को देखकर यह खेल उसे बेहद पसंद आया। शतरंज के खेल का आविष्कर्ता उसी के राज्य का एक वृद्ध फकीर है, यह जानकर बादशाह को खुशी हुई। उस फकीर को इनाम देने के लिये दरबार में बुलाया गया:
'तुम्हारी इस अदभुत खोज के लिये मैं तुम्हें इनाम देना चाहता हूं । मांगो, जो चाहे मांगो,'
बादशाह ने कहा। फकीर - उसका नाम सेसा था - चतुर था । उसने बादशाह से अपना इनाम मांगा:
'हुजूर, इस पटल में ६४ घर हैं। पहले घर के लिये आप मुझे गेहूं का केवल एक दाना दें, दूसरे घर के लिये दो दाने, तीसरे घर के लिये ४ दाने, चौथे घर के लिये ८ दाने और .... इस प्रकार ६४ घरों के साथ मेरा इनाम पूरा हो जाएगा।'
'बस इतना ही ?'
बादशाह कुछ चिढ गया,
'खैर, कल सुबह तक तुम्‍हें तुम्‍हारा इनाम मिल जाएगा।'
सेसा मुस्कराता हुआ दरबार से लौट आया और अपने इनाम की प्रतीक्षा करने लगा।

बादशाह ने अपने दरबार के एक पंडित को हिसाब करके गणना करने का हुक्म दिया। पंडित ने हिसाब लगाया ... १+ २+ ४+ ८+ १६+ ३२+ ६४+ १२८... (६४ घरों तक ) अर्थात १+ २^२ + २^३ + २^४... = (२^६४)-१ अर्थात १८,४४६,७४४,०७३,७०९,५५१,६१५ गेहूं के दाने। गेहूं के इतने दाने बादशाह के राज्य में तो क्या संपूर्ण पृथ्वी पर भी नहीं थे। बादशाह को अपनी हार स्वीकार कर लेनी पड़ी।

राजा के तो समझ रहा था कि फकीर ने बहुत छोटा इनाम मांगा है उसकी समझ मे नहीं आया कि उसे कितना गेहूं देना था। यही है शतरंज का जादू।

गौर फरमाइयेगा कि हर खाने मे कितने गेहूं के दाने रखे जा रहे हैं क्योंकि यही हमारे इस विषय के लिये महत्वपूर्ण है और यही इसे नारद जी की पहेली से जोड़ेगा।

अगली बार - सृष्टि का अन्त। 


नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू 

1 comment:

  1. Anonymous2:01 pm

    आपकी इस पोस्ट के लिए बहुत - बहुत बधाई। आपका विश्लेषण भी बढिया है। मैं तो केवल प्रश्न पूछता हूँ, आप तो उनके स्रोत तक चले जाते हैं। बहुत खुब

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