Wednesday, March 18, 2009

'वामन की वापसी' कहानी का मुक्त मानक से सम्बंध

मुक्त मानक और 'वामन की वापसी' श्रंखला की इस कड़ी में बताया गया है कि 'वामन की वापसी' विज्ञान कहानी के संदर्भ में किस प्रकार मुक्त मानक महत्वपूर्ण हैं और इन दोनो में क्या रिश्ता है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।
इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। डाउनलोड करने के लिये पेज पर पहुंच कर जहां Download फिर फाईल का नाम लिखा है, वहां चटका लगायें।


भौतिक जीवन में सूचना लिपि में रहती है यदि लिपि को पढ़ा जा सकता है तो सूचना भी समझी जा सकती है यदि आप लिपि को नहीं पढ़ सकते तो वह सूचना हमेशा के लिए खो जायेगी । जैसा कि खगोलशास्त्री जयंत विष्णु नार्लीकर (Jayant Vishnu Narlikar) के द्वारा लिखी विज्ञान कहानी 'वामन की वापसी' में प्लेट पर लिखी सूचना के साथ हो रहा था। जब तक वह पढ़ी नहीं गयी, तब तक लोगों के समझ में नहीं आया कि,
  • क्यों वह सभ्यता क्यों नष्ट हो गयी? और
  • किस लिये वामन, लोगों को उसे अपने तरह के रोबॉट बनाने की विधि सिखाने की बात कह रहा था?

कंयूटर संसार में, सूचना मानक में रहती है । यदि मानक मालिकाना है तो यह हो सकता है कि उसके बनाने वाले उसे बनाना छोड़ दें और उसे बनाने का तरीका किसी और को न मालूम हो। इस दशा में वह सूचना हमेशा के लिए हाथ से निकल जायेगी।

यही कारण है कि सूचना को मुक्त मानक पर रखना ही बहुत अच्छा है यदि हम सूचना को मुक्त मानक पर रखते है तो यह सूचना कभी भी समाप्त नही हो सकती क्योंकि सबको मालूम है कि मुक्त मानक को किस प्रकार से कंम्पयूटर प्रोग्राम में पढ़ा जाये। इसीलिए आडियो फाइलों को mp3 मानक जो कि मालिकाना मानक है में रखना ठीक नहीं। इसके लिए ogg मानक कहीं बेहतर है। क्योंकि यह मुक्त मानक है।

महात्मा गाँधी ने एक बार कहा था,
'You must be change that you want to see in the world.'
जो बदलाव तुम दुनिया में चाहते हो स्वयं वैसा बनो।

मैं चाहता हूं कि दुनिया में मुक्त मानक, मुक्त सॉप्टवेयर पर काम हो। इसलिये स्वयं इसी पर काम करता हूं


मैं चाहता हूं कि दुनिया वाले मुक्त मानक का प्रयोग करें इसीलिए मै स्वयं पहले इनका प्रयोग करता हूं। मैं अपनी आडियो फाइलें ogg, टेक्सट फाइलें doc की जगह odt, प्रस्तुतिकरण ppt की जगह odp मानक में रखता हूं क्योंकि यह मुक्त मानक हैं। यह आपको तय करना है कि आप अपनी फाइलें किस मानक में रखें। यही कारण है कि मुक्त सॉफ्टवेयर पर काम करता हूं।

इसी के साथ यह श्रंखला समाप्त होती है। मैं होली पर केरल गया था। बहुत जल्दी उस यात्रा के संस्मरण लिखूंगा। इसके साथ, शीघ्र ही, किसी अन्य श्रंखला पर भी चलेंगे। तब तक के लिये तो झेलिये - साउथ अफ्रीका यात्रा के संस्मरण :-)

क्या आप किसी खास श्रंखला की यात्रा पर चलना चाहते हैं - बताईयेगा।


मुक्त मानक और वामन की वापसी
भूमिका।। मुक्त मानक क्यों महत्वपूर्ण हैं?।। मुक्त मानक क्या होते हैं?।। मुक्त मानक क्यों उचित साधन हैं।। जयंत विष्णु नार्लीकर की विज्ञान कहानी -वामन की वापसी।। 'वामन की वापसी' कहानी का मुक्त मानक से सम्बंध





संबन्धित वेब पेज





About this post in Hindi-Roman and English is post per Jayan Vishnu Narlikar ke dvaara likhee 'vaman ki vaapsi' vigyaan khaani aur open format ke beech sambandhon kee charchaa. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about relevance of open format in light of the science fiction 'The Return of Vaman' written by Jayan Vishnu Narlikar. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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4 comments:

  1. वामन नही लौटा और मुक्त मानक के मसले की साम्यता को आपने मजेदार मगर मजबूत तरीके से व्याख्यायित किया ! शुक्रिया !

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  2. भाजपा वाले भी ओपनसोर्स सॉफ्टवेयर की बात कर रहे हैं। देखते हैम कितना मुक्त हो पाता है यह क्षेत्र।

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  3. आपने जो कहानी की व्याख्या की है वाकई में एक काबिले तारीफ है
    में दीपक सोंदरवा ''डॉ .नार्लीकर के कथा साहित्य में फैंटेसी ओर विज्ञान'' विषय पर शोध कर रहा हूँ |आपसे मेरा नम्र निवेदन है कि आप नार्लीकर या उसके साहित्य के विषय में जो कुछ भी जानते हो तो उससे मुझे अवगत कराये

    दीपक सोंदरवा
    हिंदी विभाग
    म.दे .समाजसेवा महावीद्यालय
    गुजरात विद्यापीठ
    अहमदाबाद -३८००१४

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  4. दीपक जी, इस चिट्ठी में दो लिंक हैं। वहां आपको कुछ सामग्री एवं लिंक मिलेंगी। उन्हें भी देखे।

    यदि आप मुझे ईमेल से बता सकें कि आप क्या चाहते हैं तो शायद, मैं कुछ और विस्तार से कुछ बता सकूं। मेरा ईमेल नीचे मेरे परिचय में है।

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।