पिलीग्रीम्स रेस्ट ( Pilgrim's Rest) जाने के लिये, हमें सुबह केविल लेने आये। हम लोग लगभग ९ बजे, सुबह पिलीग्रीम्स रेस्ट के लिए चल दिए। रास्ते में हम लोगों को तीन जगहें देखनी थी। सबसे पहले हम लोग ग्रास कॉप गॉर्ज (Graskop gorge) देखने गये। यह गहरी सी घाटी है। जिसमें एक तरफ झरना गिरता रहता है। सुबह के समय हर तरफ धुंध ही धुंध थी इसलिए कुछ अच्छी तरह दिखाई नही दे रहा था।
यहां पर, आप चाहें तो घाटी में, एक तरफ से दूसरी तरफ १३५ मीटर तार पर झूल कर जा सकतें हैं या फिर बीचो बीच में आप रस्सी में बांधकर नीचे तक (६८ मीटर), ३ सेकेन्ड में जा सकते हैं। मैंने कहा कि मैं इनमे से कुछ करना पसन्द करूंगा। इस पर मुन्ने की मां, मुझसे, गुस्सा हो गयी। उसने कहा,
'यदि तुम दोनों में से भी कुछ करोगे तो मैं तुमसे बात करना छोड़ दूंगी।'
हम लोग दूसरी तरफ गये जहाँ से यह हो सकता था। वह रास्ते भर जिद करती रही कि मुझे कुछ नहीं करना है । दूसरी तरफ एक जर्मन दम्पत्ति और उनके बच्चे थे जो कि दोनो कारनामे कर रहे थे। उस वक्त कुछ धुन्ध सी थी। इसलिए मुझे लगा कि बीचो बीच से नीचे जाना ठीक न होगा पर रस्सी में लटक कर, दूसरी तरफ तो जाया जा सकता हूँ। मैंने कैमरा मुन्ने की मां को दे दिया और उससे चित्र खींचने को कहा। उसने कहा,
'तुम जो करने जा रहे हो। उसे तो मैं देख भी नहीं सकती हूं चित्र लेने का तो सवाल ही नहीं है।'यह कह कर उसने अपना मुंह दूसरे तरफ कर लिया। मुझे गोवा यात्रा की याद आयी जब मैंने पैरासेलिंग करने की बात की थी। मैंने जर्मन दम्पत्ति से चित्र लेने की प्रार्थना की।
शुरू में तार लटक कर एक तरफ से दूसरी तरफ जाने में डर लगा पर जब मैं बीचो बीच पहुंचा तो सारा डर समाप्त हो गया और मज़ा आने लगा। नीचे पानी था जिसमें झरना गिरता दिखायी दे रहा था। बीच में पहुंचने के बाद मेरे भार से तार कुछ नीचे हो गया था। नीचे कोई धुंध नहीं थी और मैं एक बेहतरीन नज़ारा देख सका। कुछ देर बाद उन्होनें पुन: मुझे वापस खींच लिया।
'उन्मुक्त जी, मुझे तो आपकी बात पर बिलकुल विश्वास नहीं है। आप तो डरपोक हैं। अज्ञात हो कर चिट्टकारी करते हैं, न किसी को फोन नम्बर देते हैं न ही किसी चिट्टाकार मिलन में पहुंचते हैं और न ही किसी से मिलते हैं। आप बहुत सी चिट्ठियों पर टिप्पणियां करना चाहते है पर टिप्पणी नहीं करते। तार में लटक कर घाटी में जाना तो हिम्मत का काम है। यह कार्य आपसे नहीं हो सकता इसलिये कोई चित्र नहीं है इस चिट्ठी में - हांकना बन्द कीजिये, हमें न बनाईये।'
मेरे भाई, मेरी बहना, यह सच है कि मैं अज्ञात हो कर चिट्ठाकारी करता हूं, किसी से नहीं मिलता हूं। बहुत सारी चिट्ठियों पर चाह कर भी टिप्पणियां नहीं कर पाता हूं। लेकिन मेरी भी मजबूरी है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि मैं डरपोक हूं। मुन्ने की मां के अनुसार शायद - मैं ज्यादा ही हिम्मती हूं; अपने वास्तविक जीवन में वह करने पहुंच जाता हूं जिसके बारे में लोग सोचते ही नहीं - इस लिये कई बार अपनी जान न केवल खतरे में डाल चुका हूं। खैर यह उसका सोचना है। लेकिन आप यह चित्र देखें अब तो आपको विश्वास हो गया न कि मैं तार पर लटक कर बीचों बीच गया था।
अब यह मत कह दीजियेगा कि लगता है कि चित्र में कुछ कलाकारी कर दी गयी है :-)
क्या इस यात्रा की अली कड़ी में, हम लोग चलेंगे धुआंधार और देखेंगे ईश्वर की दुनिया - गॉडस् विन्डोज़ से तो यही दिखायी देगा।
अफ्रीकन सफारी: साउथ अफ्रीका की यात्रा
झाड़ क्या होता है? - अफ्रीकन सफारी पर।। साउथ अफ्रीकन एयर लाइन्स और उसकी परिचायिकायें।। मान लीजिये, बाहर निलते समय, मैं आपका कैश कार्ड छीन लूं।। साउथ अफ्रीका में अपराध - जनसंख्या अधिक और नौकरियां कम।। यह मेरी तरफ से आपको भेंट है।। क्रुगर पार्क की सफाई देख कर, अपने देश की व्यवस्था पर शर्म आती है।। हम दोनो व्यापार कर बहुत पैसा कमा सकते हैं।। फैंटम टार्ज़न ... यह कौन हैं?।। हिन्दुस्तानी, बिल्लियों से क्यों डरते हैं।। आपको तो शर्म नहीं आनी चाहिये।।। लगता है, आप मुझे जेल भिजवाना चाहती हैं।। ऐसा करोगे तो, मैं बात करना छोड़ दूंगी।।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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सांकेतिक शब्द
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बढ़िया .आप बहादुर हैं .
ReplyDeleteयह व्यक्ति तो वाकई उन्मुक्त ही है। हम तो चाहते हैं कभी आप भी उन्मुक्त हो जाएँ और हम आप को सामने से भी निहार सकें।
ReplyDeleteइसका क्या प्रमाण है की यह उन्मुक्त जी ही हैं -कोई और भले ही मान जाय जैसे मेरे अनुज आपको बहादुर घोषित कर चुके हैं -मैं तो कदापि नहीं मानने वाला -विग्यानानुशाषित को केवल प्रमाण चाहिए ,केवल प्रमाण !
ReplyDeleteआपने कह दिया तो अविश्वास कैसा?
ReplyDeleteअनुमान लगा सकता हूँ, आप सुनील दीपक से काफी मिलते जुलते होंगे. :)
आप सुनील दीपक से काफी मिलते जुलते होंगे > यह कद-कांठी शक्ल सूरत के संदर्भ में लिखा है.
ReplyDeleteआप बहादुर और बेशक उन्मुक्त हैं, यात्रा विवरण अच्छा लगा।
ReplyDeleteआपने कह दिया हमने मान लिया ..यह उन्मुक्त हवा में लटकने वाले हमारे उन्मुक्त भईया ही है
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