यह मेरी कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा की पहली कड़ी है।
मुझे त्रिवेन्द्रम में होली के आस-पास कुछ काम था। मुझे लगा कि यह बहुत अच्छा मौका है कि जब हम होली में उत्तर भारत से दूर रह सकते हैं और केरल घूम सकते है। इसीलिए हम लोगों ने ऎसा प्रोग्राम बनाया कि मैं त्रिवेन्द्रम में अपना काम कर सकूं और हम केरल भी घूम सकें।
हम लोग दिल्ली से, हवाई जहाज के द्वारा कोचीन के लिए चले। शाम का समय था। दाहिने तरफ की खिड़की से, पश्चिम दिशा में, डूबता हुआ सूरज दिखाई पड़ रहा था और क्षितिज पर लाल सी पंक्ति दिखाई पड़ रही थी ऎसा लगता था कि क्षितिज में चारो तरफ आग लगी हुई है।
उस समय आकाश में केवल एक ही तारा चमक रहा था और बहुत देर बाद अस्त हुआ। मेरे विचार मे वह शुक्र (venus) ग्रह था। वह तारा हमको अपने कस्बे में काफी नीचे दिखाई पड़ता है पर यहां ऊंचाई पर था। शायद, यह इसलिए था कि हम हवाई जहाज में बहुत ऊपर थे।
हम लोग हवाई जहाज पर दिल्ली से कोचीन गये। रास्ते में, एक महिला ने इस बात की घोषणा की। उसने जानकारी दी कि,
- आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है।
- यह दिन, किस प्रकार से लोगों को महिलाओं का सम्मान व आदर करने की याद दिलाता है।
- वे चाहते हैं कि महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाय।
'यह घोषणा मैंने नहीं पर हवाई जहाज की महिला चालक ने की थी। उसने भी, यह अपने मन से नहीं कहा था पर उसे कम्पनी के तरफ से जो सामग्री दी गयी थी उसे केवल पढ़ा था।'मैंने कहा कि लेकिन जो पढ़ा था क्या उसमें यह क्यों नहीं बताया गया था कि महिला दिवस क्यों शुरू हुआ क्योंकि और यह रोचक है। परिचायिका ने कहा,
'यदि आपको इसके बारे में मालुम है तो बतायें।'
यूरोप के बहुत सारे देशों में, महिलाओं को वोट देने का अधिकार बीसवीं शताब्दी में, द्वितीय विश्वयुद्व के बाद ही मिला।
मैंने उसे बताया, कि महिला दिवस, बीसवीं शताब्दी के शुरू में, महिलाओं को वोट का अधिकार दिलवाने के लिये शुरू किया गया था। परिचायिका को यह सुनकर आश्चर्य हुआ और उसने पूछा,'क्या कभी ऎसा भी था जब महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था?'मैंने उसे बताया कि बीसवीं शताब्दी में अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था और यूरोप के बहुत सारे देशों में तो यह बीसवीं शताब्दी में, द्वितीय विश्वयुद्व के बाद ही मिला। इंगलैंड में भी उन्नीसवी शताब्दी में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। उन्हे भी यह अधिकार बीसवीं शताब्दी में, १९१८ में मिला।
६ मई १९१२ को न्यू यॉर्क में वोट के अधिकार के लिये जलूस निकालती महिलायें - चित्र विकिपीडिया से।
मैंने उसे यह भी बताया कि दुनिया में पहले महिलाओं को व्यक्ति नहीं माना गया (विस्तार से यहां और यहां पढ़ें)। सबसे पहले महिलाओं को व्यक्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना उन्होंने यह कॉर्निया सौरबजी नामक महिला को ९ अगस्त १९२१ में वकील के रूप में पंजीकृत कर किया। यह कार्य, हाऊस आफ लार्ड ने १९२८ में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के लगभग सात साल बाद, किया।
हम लोग साढ़े आठ बजे तक कोचीन पहुंचे। हम लोगो को रात कोचीन में ही बितानी थी और अगले दिन कुमराकॉम जाना था।
हम लोगों ने घूमने का पैकेज 'इन्टर साइट टूरस् एवं ट्रैवल्स्' कम्पनी से लिया था। उनकी तरफ से हवाई अड्डे पर हमें प्रवीन लेने आये थे। इस ट्रवैल कम्पनी और प्रवीन के बारे में अगली बार।
कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।।
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सांकेतिक शब्द
cochin, कोचीन, international women day, women rights,kerala, केरल, Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण,