इस चिट्ठी में, आमिर डी ऐक्ज़ल (Amir D Aczel) के द्वारा, गणितज्ञ जॉर्ज कैंटर (George Cantor) की जीवनी पर लिखी पुस्तक 'द मिस्ट्री ऑफ द एलेफ: मैथमेटिक्स, द केबालह, एन्ड द सर्च फॉर इंफिनिटी' (The mystery of the Aleph: Mathematics, the Kabbalah, and the Search for Infinity) की समीक्षा है।
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो ऊपर दाहिने तरफ का पृष्ट, "'बकबक' पर पॉडकास्ट कैसे सुने" देखें।
कुछ समय पहले साईबर अपराध की श्रंखला लिखते समय मैंने कोर्ट गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त और उस पर पढ़ी निम्न पुस्तकों का जिक्र किया था।
- Gödel: A life of Logic by John L Casti (गर्डल: ए लाइफ ऑफ लॉज़िक लेखक जॉन एल कास्टी)
- A world Without Time: The forgotten legacy of Gödel and Einstein by Polle Yourgrau (ए वर्ल्ड विथआउट टाइम: द फॉरगॉटन लेगसी ऑफ गर्डल एंड आइंस्टाइन लेखक पॉले योरग्रॉ)
- Gödel, Escher, Bach: An Eternal Golden Braid by Douglas R. Hofstadter (गर्डल, ऍशर, बाख: एन ईटर्नल गोल्डेन ब्रेड लेखक डगलस आर हॉफस्टैडर)
- The Emperor's New Mind: Concerning Computers, Minds and The Laws of Physics (द एमपररस् न्यू माइंड: कंसर्निग कंप्यूटरस्, माइंडस् एण्ड द लॉज़ ऑफ फिज़िक्स लेखक रॉजर पेनरोज)
इस श्रंखला लिखने के बाद, लेकिन उसके प्रकाशन के समय मैंने 'द मिस्ट्री ऑफ द एलेफ: मैथमेटिक्स, द केबालह, एन्ड द सर्च फॉर इंफिनिटी' (The mystery of the Aleph: Mathematics, the Kabbalah, and the Search for Infinity) पुस्तक को भी पढ़ा। इसमें भी कुछ चर्चा कोर्ट गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त की है।
कैंटर, सेट थ्योरी के पिता कहे जाते हैं। अनन्तता (infinity) पर सबसे महत्वपूर्ण काम कैंटर ने किया है। इस पुस्तक में, इसकी विस्तार से चर्चा है। इस पुस्तक के पहले कुछ अध्यायों में, कैंटर के पहले अनन्तता पर किये गये कार्य और उन गणितज्ञयों की भी चर्चा है।
अनन्त भी एक सेट है। मैंने अपनी चिट्ठी, ईश्वर का आस्तित्व नहीं है में सेट के बारे में लिखते समय बताया था,
A set is a collection of well defined distinct objects।
सेट चीज़ों, वस्तुओं, पदार्थों का संकलन है।
सेट में जितने सदस्य होते हैं वह उस सेट की गणनीयता (cardinality) कहलाता है। यह सीमित अथवा असीमित या अनन्त हो सकता है। अनन्त नंबरों को कैंटर ने हीब्रियू (Hebbrew) लिपि के अक्षर א (ऍलेफ) से दर्शाया।
अनन्त के भी अजीब गुण हैं।
- एक मीटर लम्बी लाइन में अनन्त बिन्दु होते हैं। यह उतने ही हैं जितने कि दो मीटर या उससे लम्बी लाइन में;
- एक मीटर लम्बी लाइन में उतने ही बिन्दु हैं जितने की १ वर्ग मीटर या कितने भी वर्ग मीटर में;
- एक मीटर लम्बी लाइन में उतने ही बिन्दु हैं जितने की १ घन मीटर या कितने भी घन मीटर में।
हैं न कितना अजीब।
यह अनन्त सेट भी कई प्रकार के हो सकते हैं। प्रत्येक अनन्त सेट बराबर नहीं होते हैं। कुछ गणनीय अनन्त सेट (countably infinite or denumerable sets) {जैसे कि पूर्ण संख्याओं (integers) का सेट} होते हैं। इस तरह के सेटों की गणनीयता को कैंटर ने א० (ऍलेफ शून्य) से दर्शाया। अनन्त सेटों के गुण भी अजीब होते हैं, जैसे,
א० + १ = א०
א० + क = א०
א० x क = א०
א० x א० = א०
कुछ अगणनीय अनन्त सेट (uncountably infinite sets) होते हैं जैसे कि वास्तविक नंबरों का सेट (set of real numbers) (real numbers include rational and irrational numbers)। इस सेट को सातत्यक (Continuum) (कन्टिन्युअम) कहा जाता है। यह गणनीय अनन्त सेट से बड़े होते हैं। कैंटर ने वास्तविक नंबरों के सेट की गणनीयता को א१ से दर्शाया।
अगणनीय अनन्त सेट भी बराबर नहीं होते हैं। ज्यामितीय वक्रों (geometrical curves) की संख्या का सेट, वास्तविक नंबरों का सेट से बड़ा है। कैंटर ने इसकी गणनीयता को א२ से दर्शाया। अभी तक कोई ऐसा सेट नहीं मिल जो कि इससे बड़ा हो। यानि कि कोई सेट नहीं है जिसे א३ से दर्शाया जा सके।
कैंटर का चित्र - विकिपीडिया से |
कैंटर का कहना था,
'There is no set whose cardinality is strictly between that of the integers and that of the real numbers'इसे सातत्यक अनुमान (Continuum Hypothesis) कहा गया। इसका दूसरा प्रतीकात्मक रूप है
गणनीय अनन्त सेट א० और वास्तविक नंबरों का सेट (set of real numbers) के सेट या सातत्यक (Continuum) (कन्टिन्युअम) א१ के बीच कोई अनन्त सेट नहीं है।
२אक = אक+१
हिलबर्ट के २३ प्रश्नों के बारे में मैंने यहां लिखा है। उसका पहला प्रश्न इसी अनुमान को सही या गलत सिद्ध करने के बारे में है। इस क्षेत्र में, कोर्ट गर्डल ने भी काम किया है। इसी लिये, इस पुस्तक में, उसका भी जिक्र है।
कैंटर का कहना था
'अनन्तता वास्तविक है। क्योंकि उसे इसके बारे में ईश्वर ने ही उसे बताया था और यह अनुमान ईश्वर की ही देन है। इसे समझना ईश्वर के पास पहुंचना है।'ऐसा ही विचार, उस समय, कुछ पादरी गणितज्ञों का भी था।
गर्डल और उसके बाद कोहन (Paul Cohen) ने सिद्ध किया कि इस समय जो भी गणित के नियम है उसके अन्दर Continuum Hypothesis न तो सही और न ही गलत सिद्ध की जा सकती है। इन नियमों के अन्दर यह एक पहेली (enigma) ही रहेगी। यानि की, यह इस समय के गणित नियमों की अपूर्णता है जिसे गर्डल ने १९३१ में सिद्ध किया था। शायद गणित का कोई अन्य नियम निकले, तभी इसका हल ढ़ूंढ़ा जा सके।
लेकिन क्या यह इत्तिफाक है कि जब जब कैंटर और गर्डल ने Continuum Hypothesis पर कार्य किया तब दोनो का मानसिक संतुलन बिगड़ गया। उन दोनो की मृत्यु भी, एक ही तरह से हो गयी। दोनो ने स्वयं को भूखा रख कर मार दिया।
यदि आपको गणित में रुचि है तब इस पुस्तक को अवश्य पढें। यदि आपके बेटे या बेटी गणित में रुचि रखते हों। तो उन्हें अवश्य पढ़ने को दे। लेकिन इसका आनन्द लेने के लिये इंटरमीजिएट कक्षा की गणित का ज्ञान आवश्यक है। यदि आपको अनन्तता के बारे में रुचि हो तो जॉर्ज गैमव (George Gamov) की लिखी पुस्तक 'वन टू थ्री...इंफिनिटी फैक्टस् एण्ड स्पेक्यूलेशन ऑफ साइंस' (One Two Three...Infinity: Facts and Speculations of Science' भी अवश्य पढ़ें। इस पुस्तक के बारे में मैंने यहां चर्चा की है।
कुछ समय पहले बीबीसी ने डेंजरस् नॉलेज (Dangerous Knowledge) नामक श्रृंखला प्रसारित की थी। यह श्रृंखला चार विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति, जिसमें तीन गणितज्ञ- जॉर्ज कैंटर (George Cantor), कोर्ट गर्डल (Kurt Gödel) और ऐलन ट्यूरिंग (Alan Turing) - और एक भौतिक शास्त्री लुडविंग बॉल्टज़मैन (Ludwig Boltzmann) पर थी।
यह बेहतरीन श्रृंखला है और यदि इसे आपने नहीं देखा है तो यूट्यूब में देख सकते हैं। हांलाकि इस श्रृंखला में, इनकी जीवनी के बारे में कुछ सूचनायें सही नहीं हैं। इसमें कैंटर का भाग यहां देखिये।
यह बेहतरीन श्रृंखला है और यदि इसे आपने नहीं देखा है तो यूट्यूब में देख सकते हैं। हांलाकि इस श्रृंखला में, इनकी जीवनी के बारे में कुछ सूचनायें सही नहीं हैं। इसमें कैंटर का भाग यहां देखिये।
श्रृंखला 'तू डाल डाल, मैं पात पात' की कड़ियां
भूमिका।। नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है।। नाई, महिला है।। मिस्टर व्हाई - यह कौन हैं।। गणित, चित्रकारी, संगीत - क्या कोई संबन्ध है।। क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं।। भाषायें लुप्त हो जाती हैं - गणित के सिद्घान्त नहीं।। ऐसा कोई कंप्यूटर नहीं, जिसे हैक न किया जा सकता हो।। साइबर या कंप्यूटर कानून क्या होता है। भारत में साइबर कानून।। साइबर कानून का उल्लंघन और उसके उपाय।। कंप्यूटर या सर्वर को लक्षय कर किये गये साईबर अपराध।। साइबर अपराध, जिनका लक्षय कंप्यूटर नहीं होता है।। अन्तरजाल, एकांतता का अन्त है।।
श्रृंखला 'तू डाल डाल, मैं पात पात' के पुनः लेख
ईश्वर का आस्तित्व नहीं है।। अनन्तता समझो, ईश्वर के पास पहंचो।।सांकेतिक शब्द
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काश गणित के प्रति मेरी अभिरुचि बचपन से ही बढ़ी होती ....
ReplyDeleteअब तो लगता है मुश्किल है इस ओर गंभीरता से उन्मुख हो पाना ..
ज्ञानार्जन हुआ -आभार!
पुस्तक पढ़ने का प्रयास करते हैं, अनन्त को समझने की बूता तो हममें नहीं है।
ReplyDeleteइस महत्वपूर्ण पुस्तक के बारे में जानकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteजब से ब्लॉग जगत में आए हैं, तब से अपनी गणित कुछ ज्यादा ही कमजोर हो गयी है। :)
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खींच लो जुबान उसकी।
रूमानी जज्बों का सागर है प्रतिभा की दुनिया।
यह पोस्ट मेरे सर के ऊपर से निकल गया।
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी मुझे दुख लगा कि आपको समझने में मुश्किल लगी। शायद, मुझे इस चिट्ठी पर और मेहनत करनी चाहिये थी।
ReplyDeleteधन्यवाद इस पुस्तक के बारे में बताने के लिए. बीबीसी की एक डॉक्युमेंटरी 'डेंजरस नॉलेज' में बड़ी सरल भाषा में इसे समझाया गया है.
ReplyDeleteअभिषेक जी, इस चिट्ठी का वीडियो, बीबीसी की इसी श्रृंखला से है।
ReplyDeleteहम क्या लिखें. अकल काम नहीं कर रही है.
ReplyDelete@एक मीटर लम्बी लाइन में अनन्त बिन्दु होते हैं। यह उतने ही हैं जितने कि दो मीटर या उससे लम्बी लाइन में;
ReplyDeleteक्या यह वाकई उतने ही हैं? एक्ज़ैक्टली? गणित की कोई खास समझ तो नहीं है, फिर भी ऐसा लगता है कि - शायद नहीं।
अनुराग जी, यह ठीक उतने ही हैं न एक कम न एक ज्यादा। यह कैसे है यहां बता पाना मुश्किल है लेकिन एक चिट्ठी लिखूंगा यह बताते हुऐ।
Deleteआपका पूछना अच्छा लगा वरना लगता था कि इस तरह की चिट्ठियों को कोई पढ़ता भी है। क्या इनका हिन्दी चिट्ठाजगत में इस तरह की बातों की प्रासंगिकता है।
exactly - ???
Deleteएग्ज़ेक्टली का अर्थ तो गाणितिक बराबरी है न ? गणित के अनुसार तो हम प्रूव कर भी सकते हैं की कोई भी संख्या किसी और संख्या के बराबर है, किन्तु यह सही नहीं है | (our students easily prove that 1 =100 etc ) | क्योंकि इसे प्रूव कर भी रहे हैं यदि हम - तो उसमे हम कुछ assumptions use कर रहे हैं जो शुरुआती स्तर पर ही गलत हैं |
जैसे हम बचपन से पढ़ते हैं की १+१=२ = | जो कांसेप्ट हम पढ़ते हैं कि यदि मेरे पास एक सेब फल था, और माँ ने एक और दिया - तो मेरे पास दो हो जायेंगे | किन्तु यह गिनती हमने सीखी है एक सेब फल को एक इकाई मानते हुए | किन्तु अब "ज़ादेह" के गणित के सिद्धांत के अनुसार "एक सेब फल" जैसी इकाई ही गलत है | यह अपने आप में ही एक approximation है |
आमतौर पर हम set theory में यह पढ़ते हैं कि A U A ' = universal set , और A ^ A ' = empty set - जो दोनों ही ज़ादेह के fuzzy logic mathematics में शुरुआती रूप से ही गलत हैं | इसलिए - हर वह equation जो हम mathematically prove कर सकते हैं - वह आवश्यक नहीं कि सही ही हो |
शिल्पा जी १ = १०० नहीं होता। यदि आपके विद्यार्थी यह सिद्ध कर सकते हैं तो वह गलता तरीके से सिद्ध करते हैं।
Deleteकुछ समय पहले नितिन व्यास जी ने ४=५ सिद्ध कर, इस पर मुझे लिखने के लिये कहा था। उनके सिद्ध करने का तरीका गलत था। मैं इसे अन्य तरह से लिखना चाहता था। इसलिये उनके सिद्ध करने के तरीके को चार बराबर पांच, पांच बराबर चार, चार… नामक चिट्ठी में प्रकाशित किया और पठकों से इसका जवाब बताने की प्रार्थना की। पठकों ने टिप्पणियां कर इस प्तरीके में गलती बतायी।
मैं ४=५ को अन्य तरह से बताना चाहता था। यह मैंने आईने, आईने, यह तो बता – दुनिया मे सबसे सुन्दर कौन नाम से चिट्टी में लिखा है। यदि आपको गणित और विज्ञान में रुचि हो तब यह चिट्ठियां देखें आपको शायद पसन्द आये।
मेरे ४=५ की विवेचना को शायद नितिन जी भी नहींं सोचते थे। इसलिये उन्होंने मेरी चिट्ठी एक अनमोल तोहफ़ा के जवाब में लिखी चिट्ठी खेल खेल में में लिखा,
'इसलिये उन्होंने उदाहरण के तौर पर मेरी लिखी ४= ५ वाली ईमेल और उसका इतना गंभीर मतलब! शायद मैं ऐसा कभी ना सोच पाता।'
एक मीटर की पंक्ति में उतने ही बिन्दु होते हैं जितने की दो मीटर लम्बी पंक्ति में और इसे सिद्ध करने के तरीके में कोई गलती नहीं है। इसके बारे में विस्तार से लिखूंगा। मैंने पहले इसलिये नहीं लिखा था क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि हिन्दी चिट्ठाजगत लोग इस तरह की बातें पढ़ना चाहते हैं। मैं ऐसा इसलिये सोचता हूं कि मेरी चिट्ठियों पर शायद सबसे कम टिप्पणियां होती हैं। आप सब की टिप्पणियां पड़ कर बहुत उत्साहवर्धन हुआ।
यदि आपको इससे पहले इसके बारे में जानना हो तो इस चिट्ठी में बतायी George Gamov की लिखी पुस्तक One Two Three...Infinity: Facts and Speculations of Science पढ।े। यह बेहतरीन पुस्तक है। आपकी काफी जिज्ञासा शान्त होगी।
ji |जी , आप ठीक कह रहे हैं | यह तो मैं भी मान रही हूँ के १=१०० नहीं होता है | और यह कह रही हूँ कि इसे - जो नहीं है - इसे भी कुछ basic गलत assumptions को लेकर prove किए जा सकता है | मैं आपकी इस post का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हूँ | और इस ब्लॉग को follow करने का भी लिंक ढूंढ रही हूँ - जो नहीं मिल रहा | rss फीड लेती हूँ |
Deleteमैं fuzzy mathematics पढ़ रही हूँ - जिसमे एक ओर तो १ = १ भी नहीं हो सकता है , और दूसरी ओर ९००=१०००=११०० भी हो सकता है | तो जोड़ना और घटाना सब ही fuzzy results देते हैं | ये input और output दोनों ही numbers , "fuzzy " numbers कहलाते हैं |
हाँ यह तो सच ही है कि एक मीटर की लाइन हो या दो मीटर की - दोनों में infinite पॉइंट्स हैं | परन्तु infinity = infinity सिर्फ एक assumption है - बल्कि assumption नहीं - सिर्फ approximation भर है | इनफिनिटी और इनफिनिटीजीमल "is equal " न हो कर "tend to " की भाषा में शायद बेहतर समझे जाते हैं | हाँ - एक मीटर के लाइन हो या एक वर्ग मीटर का क्षेत्र, पॉइंट तो infinite हैं ही - किन्तु "exactly " शब्द से थोडा confuse हुई - आपके प्रूफ का इंतज़ार है | मैं आज पहली बार आई हूँ यहाँ - और इसी पोस्ट पर - यह बहुत ही अच्छी लगी मुझे |
शिल्पा जी यह दोनो अनन्ता ऍलेफ शून्य हैं। सारी ऍलेफ शून्य अनन्तायें बराबर होती हैं। ऍलेफ एक अनन्त ऍलेफ शून्य अनन्त से बड़ा होता है और ऍलेफ दो अनन्त ऍलेफ एक अनन्त से बड़ा होता है। अभी तक कोई ऐसा अनन्त नहीं है जो कि ऍलेफ दो से बड़ा हो। यही इस चिट्ठी में बताया गया हे।
Deleteयदि आप गणित की विद्यार्थिनी हैं तब George Gamov की लिखी पुस्तक One Two Three...Infinity: Facts and Speculations of Science अवश्य पढ़ें। उसक बाद आपको यह स्पष्ट होगा।
मुझे गणित की पढ़ायी छोड़े ४२ साल हो रहे हैं पर जहां तक मुझे ख्याल पड़ता है है fuzzy logic analogue की दुनिया में काम करता है और मैं digital संसार की बात कर रहा हूं।
इस चिट्ठे को follow करना आसान है दाहिने तरफ का कॉलम में ईमेल से प्राप्त करने या RSS feed दोनो दिये हैं। ऐसे मैं तीन चिट्ठे लिखता हूं और एक पॉडकास्ट करता हूं।
१- एक तो यही चिट्ठा है।
२- छुटपुट
३- लेख
मेरा कोई अज्ञात मित्र जिसे मैं नहीं जानता इन तीनो को मिला कर हिन्दी चिट्ठाकार उन्मुक्त की चिट्ठियाँ -
मेरा पॉडकास्ट है बकबक
मेरी पत्नी भी मुन्ने के बापू नाम से चिट्ठा लिखती है।
ji- you are right. though i am not a student of mathematics, i am very much interested in it.
Deletethough i am hesitant to discuss this here on this platform, still, ....
1. Is alef0 = alef0 ??? really ? (i know the book says so - but is it actually so??)
2. Is the concept of alef fitable in this definition of a mathematical equation like x=y, or operations like +, -, x, / at all???
3. is 1/0 = 2/0 = ... 10/0 = .... = infin?? [equal to, or tends towards it ? ]yes - may be they are mathematically represented like that, BUT is this formulation correct?
the cardinality of the set of integers is definitely less than that of reals which in turn is less than curves BUT .... these are all mathematical strategies to understand/ represent something beyond our available laws of mathematics/our vocabulary, language. no wonder people trying to understand it have lost their minds !!! :)
अंग्रेजी में लिखने के लिए माफ़ी चाहूंगी | तीनों चिट्ठों के पते के लिए आभार आपका |email subscription ले लिया है |यह पुस्तकें पढने का प्रयास अवश्य करूंगी |
शिल्पा जी, मैं माफी चाहूंगा। आपके चिट्ठे से लगता है कि आपको दर्शन में रुचि है। यह सब समझने के लिये गणित का ज्ञान आवश्यक है। यदि आप गणित की विद्यार्थी नहीं हैं तब आपके लिये यह समझना मुश्किल होगा। फिर भी आप उन किताबों को पढ़ कर देखिये जिनका जिक्र मैंने किया है। शायद आपको समझ में आये।
Deleteआपके पहले और दूसरे नम्बर पर लिखीं बातों का जवाब 'हां' है। तीसरे नम्बर पर लिखी बात कि '1/0 = 2/0 = ... 10/0 = .... = infin' गलत है। मेरे द्वारा इस चिट्ठी में लिखी बात एकदम ठीक है। मुझे गणित छोड़ ४० से अधिक साल हो चुके हैं पर मेरी पत्नी ... गणितज्ञ है। यह सब चिट्ठियां उसे एक बार दिखा देता हूं।
यह साल रामानुजन के जन्म का १२५वां साल है। यह गणित वर्ष के रूप में मनाया जायगा। इस उपलक्ष्य में मैं रामनुजन और रोचक नंबरों पर एक श्रृंखला इस समय चल रही श्रृंखला 'गोकोण्डा का किला और विश्व प्रसिद्ध हीरों' के बाद लिखूंगा। उस पर आपके द्वारा लिखी तीसरे नम्बर की बात पर लिखूंगा।
मेरा ईमेल यह है मुझे आपसे ईमेल पर बात कर प्रसन्नता होगी।
ji
Deleteok
shilpa
आइये, अनंत को परिभाषित करें !! (http://www.basicuniverse.org/2013/04/blog-post_25.html)
ReplyDeleteउन्मुक्त जी, क्या आप बता सकते हैं किस आधार पर संख्यात्मक मान सर्वाधिक होगा ?
ReplyDeleteमुझे गणित छोड़े ४० साल हो गये हैं। माफी चाहूंगा, आपका सवाल ठीक से नहीं समझ पाया।
Deleteउन्मुक्त जी, यह गणित विषय का प्रश्न नही लगता। :-) परन्तु मेरे अनुमान इसका उत्तर गणित में ही छुपा है।
ReplyDeleteमेरे प्रश्न का आशय किस गुण में सर्वाधिक भिन्नताएँ हैं ? उदाहरण के लिए मैं जंतुओं को आधार मानता हूँ। तो मैं देखता हूँ कि जंतुओं में मुश्किल से अधिकतम १० लाख प्रजातियाँ होंगी। या उससे थोड़ी और ज्यादा.. परन्तु किस गुण में सर्वाधिक विभिन्नताएँ हैं ?
ठीक इसी तरह से एक और प्रश्न मन में उठता है वह कौन सा गुण है जिसका मान सर्वाधिक है ?
मैं कह नहीं सकता। मेरा पास इसका जवाब नहीं है। शायद कोई अन्य पाठक इसका जवाब दे पाये।
Delete