Tuesday, July 31, 2007

गुलमर्ग में तारगाड़ी

गुलमर्ग में अगले दिन हम लोग सुबह 'गंडोला' तारगाड़ी पर गऐ। १० बजे टिकट मिलना था, लाइन पर लगे रहे, लगभग ११ बजे टिकट मिला। गंडोला दो चरण में है पहला चरण खिलनमर्ग के पास तक १०,५०० फीट तक जाता है और दूसरा चरण उपर १३,००० फीट तक जाता है।

दूसरे चरण पर जाने के लिये हम लोग ने लाइन लगायी। यहां पर मेरी मुलाकात अहमदाबाद में काम कर रहे डाक्टरों से हुई। वे मुझसे गुजराती में बात करने लगे। मैं ने बताया कि मैं गुजरात से नहीं हूं न ही गुजराती समझ पाता हूं। इसके बाद वे हिन्दी में बात करने लगे।

इन लोगों के मुताबिक गुजरात के हालात बहुत अच्छे हैं। मैने पूछा कि क्या मुसलमान भी ऎसा सोचते हैं। उन्होंने कहा,
'हम चार परिवार एक साथ आये हैं एक मुसलमान परिवार है। आप उनहीं से पूछ लीजये।'
मैंने मुसलमान डाक्टर से बात की तो उसका भी वही जवाब था। इनका कहना था,
'अगले पाँच साल में गुजरात बाकी राज्यों को बहुत पीछे छोड़ देगा। हमारे अस्पताल में कोई बिजली का जेनरेटर नहीं है। क्योंकि पिछले दो साल में दो मिनट के लिए भी बिजली नहीं गयी और पानी २४ घंटे आता है। हालांकि बिजली के लिए ८/-रू० प्रति यूनिट देना पड़ता है।'
मैंने कहा कि मीडिया तो कुछ अलग सी रिपोर्ट करता है। उनके मुताबिक यह तो मीडिया ही बता सकती है।

मेरे पूंछने पर फर्जी मुठभेड़ (Encounter) के बारे में उनका क्या कहना है। उनका जवाब था,
'वह शक्स पुलिस को मारने के जुर्म में हत्यारा था इसलिए मुठभेड़ में मार दिया गया। ऎसा हर जगह होता है। पुलिस ने यदि बचाव के लिये मुख्य मंत्री का नाम डाल दिया तो कोई बात नहीं। हमारे गुजरात में रात को लड़किया सुरक्षित (Safely) घूम सकती हैं।'
मैं बहुत साल पहले, अपने बच्चों को स्पोकन इंगलिश की परीक्षा दिलवाने, अहमदाबाद ले गया था। मुझे गुजरात का कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं है।

मुझे यह डाक्टर पसंद आये। वे अपने प्रदेश के बारे अच्छे विचार रखते थे। भारत के कई प्रदेशों के लोग, अपने प्रदेश के बारे में अच्छी राय नहीं रखते हैं।

मैं उन लोगों से और बात करना चाहता था और उनके चित्र भी लेना चाहते था पर वहां ओले गिरने लगे। हमें श्रीनगर भी जाना था। हमें लगा कि हम दूसरे चरण में नहीं जा पायेंगे और वापस आ गए।

हम लोगों से गलती हो गयी थी। सुबह खिलनमर्ग तथा आसपास हमें घोड़े पर चले जाना चाहिये था दस बजे तक सारा काम कर गंडोला के पहले स्टेज पर घोड़े से पहुंचकर, दूसरे स्टेज का टिकट लेना चाहिये था। मिलता तो ठीक था नहीं तो गंडोला से वापस चले आना था। गंडोला में एक तरफ का भी टिकट मिलता है। चलिये अगली बार इसी तरह से ही करेंगे।

आप दूसरे स्टेज के टिकट के लिये खड़े रहिये - मैं तो चलता हूं श्रीनगर जहां मिलते हैं फिनलैंड से आयी डाक्टर हेलगा कैटरीना से और बात करते हैं लीनुक्स की। जी हां मैंने लीनुक्स ही लिखा है लिनेक्स नहीं। अब यह टिप्पणी मत कर दीजियेगा कि मुझे इसके अलावा कुछ समझ में नहीं आता है :-)


कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने चौकीदार को क्यों निकाल दिया।। आप स्विटज़रलैण्ड में हैं।। हम तुम एक कमरे में बन्द हों।। Everything you desire – Five Point Someone।। गुलमर्ग में तारगाड़ी।।

3 comments:

  1. "...भारत के कई प्रदेशों के लोग, अपने प्रदेश के बारे में अच्छी राय नहीं रखते हैं।..."

    माफ़ कीजिएगा, उन्मुक्त जी, एमपी में यदि आप रह देखें तो फिर कुछ कहें. न सड़कें हैं, न बिजली, न पानी. पानी एक दिन छोड़कर आता है. बिजली कभी भी चली जाती है.

    वैसे गुजरात के बारे में जैसा आपको लोगों ने बताया, कुछ वैसा ही एक यात्रा के दौरान मैंने भी सुना था - व्यापार व्यवसाय इतना फल फूल रहा है कि आज वहां पर हर आदमी प्रसन्न है - इर्रेस्पेक्टिव ऑफ रेस एंड रिलीजन.

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  2. गुलमर्ग से खिलन मर्ग तो पैदल भी जाया जा सकता है। वैसे अभी का तो हम नही कह सकते है हम लोग तो अस्सी के दशक मे गए थे।उस समय ये तारगाडी नही हुआ करती थी।

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  3. शुक्रिया यह विवरण साझा करने के लिए!!

    रवि रतलामी जी से सहमत इसलिए हूं क्योंकि जब तक हम एमपी मे थे यही हाल था यहां भी।
    छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां हालात सुधरे हैं तो एमपी में बिज़ली के मामले में हालात और भी बिगड़ गए!!

    पूरे गुजरात का तो नही कह सकता पर दंगों के बाद अहमदाबाद जाना हुआ था, दो तीन दिन रहा, अच्छा लगा, रात मे भी लोगों को बेखौफ़ सड़कों पर घुमते देख कर!!

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