Saturday, April 07, 2012

क्या शून्य को शून्य से भाग देने पर एक मिलेगा

इस चिट्ठी में, रामानुजन के प्रारंभिक जीवन के बारे में, चर्चा है।
रामनुजन के सम्मान में निकाल गया स्टैम्प एवं प्रथम दिवस लिफाफा

इसे आप नीचे चलाने के चिन्ह ► पर चटका लगा कर सुन सकते हैं।

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म २२ दिसम्बर, १८८७ को अपनी ननिहाल कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में हुआ था। लेकिन उनका बचपन कुम्बकोणम शहर में बीता। उनके पिता साड़ी की एक दुकान में मुंशी थे तथा मां अक्सर शाम को मंदिर में गाती थी।

रामानुजन की मां ज्योतिष में विश्वास रखती थी। उनकी मां के अनुसार, उनकी जन्म पत्री में दो बातें थी,

  • पहली, वह एक दिन वह नाम कमायेगा लेकिन उसकी उम्र कम रहेगी, या 
  • दूसरी वह अपना पूरा जीवन साधारण व्यक्ति की तरह जियेगा।
उसकी मां को लगा कि पहला विक्लप ही उसके बेटे के लिए अच्छा रहेगा। 

कुम्बकोणम में रामानुजन का घर - चित्र विकिपीडिया से
रामानुजम को बचपन से ही गणित में रूचि थी। वे केवल गणित की पढ़ाई करते थे और उन्होंने अन्य विषयों की ओर ध्यान नहीं दिया। यही कारण था कि वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह गये। गणित में भी, वे अक्सर अच्छे नम्बर नहीं ला पाते थे क्योंकि स्कूलों में पढ़ायी जाने वाली गणित उन्हें बोर करती थी। उनकी गणित का स्तर, स्कूलों की गणित से कहीं ऊपर था।

एक बार जब वह तीसरी कक्षा के विद्यार्थी थे तब उसके अध्यापक उसे बता रहे थे कि किसी भी नम्बर को उसी नम्बर से भाग दिया जाए तो एक मिलेगा। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया, कि यदि तीन आम को तीन लोगों में बाँटा जाए तो प्रत्येक को एक आम मिलेगा। इस पर रामानुजन ने उससे पूछा,

'क्या शून्य को शून्य से भाग देने पर भी एक मिलेगा? यदि शून्य आम, शून्य लोगों को बांटे जांय तो क्या प्रत्येक को एक आम मिलेगा?'
सच तो यह है कि वह प्रति भूत निर्धारित (Indeterminate) के बारे में बात कर रहे थे जो कि इण्टर की कक्षा में पढ़ाया जाने वाला विषय था। रामानुजन उच्च शिक्षा से वंचित रह गये थे। इसलिए उन्होंने बहुत से गणित के प्रमेय स्वयं सिद्ध किये जो कि बहुत पहले सिद्ध किये जा चुके थे।
 

इस श्रृंखला में, रोचक नंबरों की भी चर्चा करने की बात है। इसलिये इस श्रृंखला की अगली कड़ी में एक अन्य गणितज्ञ दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर और उनके द्वारा निकाले कुछ रोचक नंबरों की चर्चा करेंगे।

अनन्त का ज्ञानी - श्रीनिवास रामानुजन
भूमिका।। क्या शून्य को शून्य से भाग देने पर एक मिलेगा।।

इस श्रंखला की पिछली कड़ी सुनने के लिये ऑडियो प्लेयर के चिन्ह ► पर चटका लगायें



About this post in Hindi-Roman and English 
hindi (devnagri) kee is chitthi mein, ganitagya Srinivasa-Ramanujan ke prarambhik jeevan ke baare mein charchaa hai. ise aap kisee aur bhasha mein anuvaad kar sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

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सांकेतिक शब्द  
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8 comments:

  1. अति-बुद्धिमान छात्रों का सामान्य विद्यालयों में सामान्य छात्रों व शिक्षकों के बीच होना एक अति कष्टकारी और संघर्षमय अनुभव है। रामानुजम जैसे कुछ प्रतिभाशाली फिर भी नज़र आ जाते हैं, न जाने कितने ऐसे असामान्य छात्रों की प्रतिभा दबी कुचली और अज्ञात ही रह जाती है।

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  2. thik hai ...... hum ba-raste apke ankho ka khel dekhna chahenge........

    pranam.

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  3. शून्य से अनन्त का रास्ता खुलता है।

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  4. बहुत अच्छा लगा
    धन्यवाद जी

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  5. बहुत अच्छा लगा श्रीनिवास रामानुजन

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  6. Kisi bhi sankhya me 0 se multiply karne par 0 kyo aata hai??????!!?

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  7. यह सच नहीं है कि किसी भी संख्या को शून्य से गुणा करने पर शून्य आता है। यदि आप शून्य को अनन्त से गुणा करेंगे तब उसका फल शून्य नहीं होता है। न ही अनन्त को अनन्त से भाग देने पर एक आता है। इनका फल अनिश्चित होता है। यह कुछ प्रति भूत निर्धारित (Indeterminate) से संबन्धित है।

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