रामानुजन के हार्डी को लिखे पत्र का महत्व समझने के पहले, इस चिट्ठी में, अभाज्य अंकों की चर्चा है।
इटालियन चित्रकार के चित्र 'स्कूल ऑफ ऐथेंस' में यूक्लिड, जिसने सिद्ध किया अभाज्य अंक अनगिनत है। चित्र विकिपीडिया से। |
प्राकृतिक नम्बर १,२,३,४,५,६ है। वे दो श्रेणी में बांटे जा सकते हैं - अभाज्य अंक और संयुक्त या भाज्य अंक।
- अभाज्य अंक (Prime Number) एक से बड़े वे अंक होते हैं जिन्हे केवल एक या उसी अंक से भाग दिया जा सकता है इन्हें अन्य किसी अन्य नम्बर से भाग नहीं दिया जा सकता है। यानी कि उनका गुणांक नहीं होता है। जैसे २,३,५,७,११ ... इन अंकों को स्वयं उसी नम्बर से या १ से भाग दिया जा सकता है।
- बाकी सारे अंक, जैसे ४, ६, ८ ९, १० ... को संयुक्त या भाज्य अंक (Composite Number) कहा जाता है। यह सारे अंक, किसी न किसी, अभाज्य अंकों को गुणा कर प्राप्त किये जा सकते हैं।
अभाज्य अंक असंख्य है, अनंत हैं। सबसे पहले इस बात को यूक्लिड ने सिद्ध किया। इसे सिद्ध करने के लिये, उसने, ग्रीक गणितज्ञों के सबसे प्रिय नियम था reductio ad absurdum (क्या कोई इसकी हिन्दी बतायेगा) का सहायता ली। इसमें आप किसी बात को सही मानते हैं फिर उससे निकला फल मानी गयी बात को ही गलत सिद्ध करता है, जिससे यह पता चलता कि आपके द्वारा मानी गयी बात गलत है।
यूक्लिड ने माना कि अभाज्य नम्बर सीमित हैं और केवल P1, P2,... Pn ही अभाज्य अंक हैं। तब एक अन्य अभाज्य नम्बर Pn+1=P1xP2...xPn + १ होगा जो किसी भी अन्य अभाज्य नम्बर से भाग नहीं दिया जा सकेगा। क्योंकि सबसे भाग देने पर हमेशा १ बचेगा। इसलिये पहले मानी गयी बात, कि अभाज्य अंक सीमित होते हैं - गलत है।
अभाज्य नम्बर अनगिनत, अनन्त हैं। उनकी, कोई सीमा नहीं है। लेकिन उनके बारे में सबसे मुश्किल बात यह है कि यह पता नहीं चलता है कि कब, कहां, और कैसे मिलते हैं। इनको पता करने का कोई भी सूत्र नहीं है। सूचना प्रद्यौगिकि में गोपनीयता, अभाज्य अंकों के इसी गुण के कारण है।
बर्नहार्ड रीमैन (Bernhard Riemann) एक जर्मन गणितज्ञ थे। १८५९ में उन्होंने एक तरीका निकाला जिससे यह पता चला कि किसी अंक से कम, कुल कितने अभाज्य नम्बर होगें । इस तरीके को रीमैने हाईपोथिस कहा गया। अगली बार कुछ बर्नहार्ड रीमैन और रीमैने हाईपोथिस के बारे में।
अनन्त का ज्ञानी - श्रीनिवास रामानुजन
सांकेतिक शब्द
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अभाज्य अंकों के ऊपर बहुत सरल अवं ज्ञान वर्धक लेख .... reductio ad absurdum का exact हिंदी अनुवाद तो नहीं मालूम ..पर जो पद्धति इस आधार पर .. किसी बात को मान कर चलने और बाद में उसकी काट निकलने को दार्शनिक क्षेत्र में ' प्रासंगिकता एवं माध्यमिकता ' कहा जाता है. ' प्रासंगिकता एवं माध्यमिकता ' is way of logical learning in philosophy .
ReplyDeleteJust now i used my brain that sometimes gives wonderful results :-) below is the conclusion .
ReplyDelete'reductio ad absurdum' is Latin word its english translation will be 'reduction to absurdity '. so now do hindi translation 'बेतुकेपन तक न्यूनता ' :-) how is it sir ?
काश आप जैसा कोई हमारा गणित टीचर रहा होता तो मछली विभाग से तो कम से कम मुक्ति मिल गयी :होती -)
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