Saturday, September 14, 2013

ऎसी चट्टानें तो केवल भगवान बना सकते हैं

मुक्तेश्वर में चौथी जाली के बगल में कुछ रोमांचकारी खेल हो रहा थे। इस चिट्ठी में, उसी की चर्चा है।
रॉक क्लाइंबिंग में, नीचे ३५ फुट की गहराई, जहां जा कर फिर वापस चढ़ना
चौली जाली के बगल की चट्टानों पर, कुछ रोमांचकारी खेल - रॉक क्लाइंबिंग (चट्टानों पर चढ़ना), रस्सी की सीढ़ी पर चढ़ना, फ्लाइंग फाक्स - हो रहे थे। 

रॉक क्लाइंबिंग के लिये चट्टानों पर उतरने और फिर चढ़ने के लिए एक  ३५ फिट और  ७० फिट की गहराई थी। एक लड़का, इस खेल को बढ़ावा दे रहा था। वह इसका विशेषज्ञ भी था। वह पहले ऊपर से नीचे गया फिर नीचे से ऊपर आया। उसने दिखाया कि कैसे रॉक क्लाइंबिंग की जाय।

मुझे लगा कि एक बार मैं भी इसको कोशिश करके देखू। लेकिन मुझे लगा कि शायद मैं चट्टानों से नीचे  तो जा सकता था लेकिन मेरे हाथों में इतना दम नहीं है कि मैं पुन: चट्टान पर रस्सी से अपने आप को ऊपर खींच कर चढ़ सकूंगा। यही सोचकर मैं रह गया। लेकिन यह न करने का एक कारण और भी था। 

मैं जब वहां पर उस लड़के को चट्टानों पर उतरते और चढ़ते देख रहा  था तब बहुत सारे लोग थे। एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या यह चट्टान बनायी गयी है या यह कहीं से लाकर रखी गयी है।  इस पर मुझे हंसी आ गयी। मैंने हंसते हुए कहा कि क्या ऎसी चट्टाने बना सकता है। इसे तो केवल भगवान ही बना सकते है। 


मेरे हंसने और कहने पर कुछ आस-पास के बच्चे भी हंसने लगे। शायद यह सही नही था। उस वक्त शायद कोई सम्बंधी हो या महिला हो उसने मुझसे कहा,  
'इस बात पर हंसना ठीक नहीं है।'
मालूम नहीं क्यों जिस तरह से उस महिला ने कहा, मुझे डर सा लगा। मैं अंधविश्वासी नहीं हूं। फिर भी मुझे लगा कि इस पर चढ़ना ठीक नहीं होगा और कहीं कुछ गलत न हो जाए। यही सोचकर मैंने रॉक क्लांबिंग नहीं की, केवल फ्लाइंग फॉक्स पर ही गया। 

इस श्रंखला के आखरी पड़ाव में हम लोग पीडब्लू के इंसपेक्शन हाउस में चलेंगे, जहां जिम कॉर्बेट बाघिन को मारने आये समय में ठहरे थे।

जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।। इस अदा पर प्यार उमड़ आया।। उंचाई फिट में, और लम्बाई मीटर में नापी जाती है।। चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका।। नैनीताल में सैकलीज़ और मचान रेस्त्रां जायें।। क्रिकेट का दीवानापन - खेलों को पनपने नहीं दे रहा है।। गेंद जरा सी इधर-उधर - पहाड़ी के नीचे गयी।। नैनीताल झील की गहरायी नहीं पता चलती।। झील से, हवा के बुलबुले निकल रहे थे।। नैनीताल झील की सफाई के अन्य तरीके।। पास बैटने को कहा, तो रेशमा शर्मा गयी।। चीनी खिलौने - जितने सस्ते, उतने बेकार।।कमाई से आधा-आधा बांटते हैं।। रानी ने सिलबट्टे को जन्म दिया है।। जन अदालत द्वारा, त्वरित न्याय की परंपरा पुरानी है।। बिन्सर विश्राम गृह - ठहरने की सबसे अच्छी जगह।। सूर्य एकदम लाल और अंडाकार हो गया था।। बिजली न होने के कारण, मुश्किल तो नहीं।। हरी साड़ी पर लाल ब्लाउज़ - सुन्दर तो लगेगा ना।। यह इसकी सुन्दरता हमेशा के लिये समाप्त कर देगा।। सौ साल पुरानी विरासत, लेकिन रख रखाव के लिये  पैसे नहीं।। वहां पहुंचने का कोई सुविधाजनक तरीका न था।। ठीक रख-रखाव के लिये, पुस्तक पर सोने की प्लेटिंग।।ठंडा रखने के लिये, प्रकृति का प्रयोग।।किलमोड़ा - अलमोड़ा नाम इसी नाम से पड़ा।।मोक्ष का स्थान - मुक्तेश्वर।। बाघिन को मार कर पोस्ट ऑफिस के सामने रखा था।। सन्तान प्राप्त करने का तरीका।।ऎसी चट्टानें तो केवल भगवान बना सकते हैं।।
 
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This post in Hindi (Devnagri script) is about adventure sport near Chauthi jaali, Mukteshwar. You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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3 comments:

  1. न चाहते हुए भी हम डर जाते हैं,क्यों ?

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  2. यह कौन शिल्पकार है।

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