उन दिनों, मेरे एक इंजीनियर फूफा जी, जमाइका में, प्रतिनियुक्ति पर थे; मेरे एक चाचा ने अमेरिकन से शादी कर ली थी वे एरिज़ोना में रहते थे; और मेरे भाई के साले अरुण, सैन फ़्रांसिस्को में रहते थे। अम्मां, वहां उन लोगों के पास भी गयी थीं। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।
जमाइका में बैठे हुए बांये से राजश्री बुआ, अम्मां और पीछे खड़े हुऐ मानू फूफा जी |
दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा
भूमिका।। लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन।। फ्लोरिडा के सी-वर्ल्ड में मस्ती।। जमाइका, एरिज़ोना और सैन फ़्रांसिस्को की यात्रा।।
खूब- सा प्यार
हम लोगो ने फ्लोरिडा में सी-वर्ल्ड देखा। उसके बाद हम लोग हवाई-जहाज से जमाइका गये। वहाॅ पर राजश्री बुआ और फूफा जी हैं।
जमाइका का समुद्र बड़ा सुन्दर व शान्त है। फूफा जी हमें १०० मील दूर नेगरिल समुद्र तट (Negril beach) पर ले गये। यह सात मील लम्बा सफेद रेत का समुद्र है। आधे मील-तक समुद्र एकदम गहरा नहीं है। तुम्हारे बाबाजी व हम सब लोगों खूब नहाया।
यहां पर अधितर नीग्रो लोग रहते हैं। रात में उनका नाच देखने गये व गाना सुना। फूफाजी हमें एक होटल में खाना खिलाने ले गये। यहां का खाना हमारे खाने की तरह नही होता। हमारी मोटर लगातार समुद्र के किनारे चलती रही। यहां पर सांप-बिच्छू कीड़ा-मकोड़ा, चिड़िया कुछ नही पायी जाती।
यहां से हम लोग हवाई- जहाज से एरिज़ोना गये। यहां पर तुम्हारे धीरेन्द्र बाबाजी व एल्यॉस दादीजी रहती हैं। वे कार से लेने आये थे। यहां पर रेगिस्तान है व बड़ी गर्मी पड़ती है जैसे इलाहाबाद में। सबके घर व मोटर एयर कन्डिशन्ड होती है। इसलिए घर के अन्दर व मोटर मे गर्मी पता नहीं चलती।
एरीज़ोना में मेरे धीरू चाचा और एल्यॉस आन्टी |
हम लोग बस मे बैठकर ग्रैन्ड कैन्यन देखने गये। पूरा पहाड़ दो टुकड़ों में बट गया है। कहीं-कहीं पहाड़ एकदम सीधे फटे है - लगता है चाकू से किसी ने काटा है। बीच में, नीचे एक तेज नदी बह रही थी। वहीं पर हमें एक बस मिली, जिसने ६० मील हमें घुमाया और हम ग्रैन्ड कैन्यन, उसके जंगल, नदी व जानवर देखते रहे। जहां सुन्दर स्थान थे बस रुक जाती थी और हम उतरकर देख लेते थे। जंगल मे हिरण, नेवला, लोमड़ी आदि दिख जाते थे। मोर भी हमारे होटल के पीछे था। दो दिन वहां रुककर हम धीरेन्द्र बाबाजी के पास आ गये।
वे अपनी कार से हमें मेक्सिको ले गये। उनके पास दो बड़ी-बड़ी मोटर हैं। तुम सबके बारे मे पूछ रहे थे। यहां पर तरह-तरह के कैक्टस उगते है। वहां से हवाई जहाज से हम लोग सैन फ़्रांसिस्को गये।
वहां सोनल दिद्दा के अरुण मामा व रोशनी मामी रहती हैं। वे कार से लेने आये। यह शहर समुद्र के किनारे बसा है। बड़ा सुन्दर शहर है। अमेरिका की तरह खूब ऊंची बिल्डिंग व प्राकृतिक चीजें, पहाड़,समुद्र व बड़े सुन्दर फूल है। पहाड़ी होने के कारण कहीं बहुत ऊंचा व कहीं बहुत नीचा। अलग-अलग मुहल्ले के, अलग-अलग नाम, एक चाइना टाउन है। चीन की सुन्दर चीजे व जगमग रोशनी।
सैन फ़्रांसिस्को में बायें से - रौशनी, अम्मां, दद्दा और अरुण |
समुद्र के किनारे एक जहाजों का अड्डा है जिसे पियर ३९ कहते है। बड़ी अच्छी सुन्दर दुकाने हैं, होटल हैं। तरह-तरह के समुन्द्री जानवर रखें है। होटल मे पके समुन्द्री जानवर (सी-फूड) खाने को मिलते है। यहां पर एक गोल्डन गेट ब्रिज है। उसे देखकर हरिद्वार के लक्ष्मण-झूला की याद आती है।
समुन्द्र के उपर, ९ मील लम्बा बे-ब्रिज (Bay bridge) है। इसमें दो मोटर जा वा दो आ सकती हैं। हम लोग देखने गये। खूब गहरा समुद्र लहरा रहा था। यहां पर केबल कार चलती है। एक जगह से, पूरे शहर की गाड़ी का कन्ट्रोल है। घूमने मे बड़ा आनन्द आया। यह शहर अमेरिका मे सबसे सुन्दर शहर है। चीजे भी सस्ती व अच्छी। अरुण मामा ने प्रोजेक्टर पर चित्र दिखाये। यहां से अरुण मामा की कार से लॉस एंजेलिस गये।
सस्नेह दादी मां
#Jamaica #Arizona #SanFrancisco
So nice that you shared this Mamaji. A good travel log along with seeing the pics and Nani's handwriting.
ReplyDeleteधीरु चाचा तो गजब Dapper look में हैं
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