इस चिट्ठी में, डा. रवी प्रकाश के साथ, वेस्ट वर्जीनिया में, न्यू-वृन्दावन घूमने की चर्चा है।
न्यू वृन्दावन में, डा. रवी प्रकाश के साथ |
दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा
भूमिका।। लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन।। फ्लोरिडा के सी-वर्ल्ड में मस्ती।। जमाइका, एरिज़ोना और सैन फ़्रांसिस्को की यात्रा।। विश्व हिन्दू परिषद के लॉस एंजेलिस सम्मेलन में।। नियागरा फॉल्स - हैलीकॉपटर पर।। न्यू-वृन्दावन - मथुरा में बृन्दावन जैसा है।।
प्यारे बेटे ...
खूब-सा प्यार
पिछले पत्र में हमने लिखा था कि 'नियागरा जल-प्रपात' देखा। हम लोग बफेलो से हचाई-जहाज से बाल्टीमोर आये। यहाँ पर डा. रवि चाचा मोटर लेकर आ गये। बाल्टीमोर से ३०० मील दूर वर्जीनिया में न्यू-वृन्दावन है। वे अपनी कार से हमे वहां ले गये।
डा रवि चाचा की गाड़ी जापान की ट्योटा है। बड़ी सुन्दर गाडी है उसके सारे काम कंप्यूटर से होते है मोटर में जो खराबी हे अपने आप कंप्युटर बता देता है। स्पीड लिमिट बता देगा। बटन दबाओ तो बता देगा कितने मील चले। टाइम बताता है कि कितनी देर तुम चले क्या कन्सम्प्शन (खपत) है। कितना पेट्रोल बाकी है। बटन दबाओ तो सब शीशे अपने आप बंद व खुल जाते है। हम लोग घूमते हुए रात में आठ बजे बृन्दावन पहुंचे।
हमारे भारत में, जैसा मथुरा में बृन्दावन है, वैसा ही वे बना रहे ह। सात मन्दिर राधा कृष्ण के बन रहे हैं। एक बहुत ही शानदार पैलेस है, जिसके आस-पास यह बन रहा है। जयपुर से मूर्ति लाकर लगायी गयी हे। सुबह ४ बजे से पूजा शुरू हो जातीहे। यहां पर एक गो-शाला है। जिसमें एक-एक गाय, ३५ लीटर दूध, एक दिन में देती है। खूब ऊची-ऊची टंकी दूध रखने को बनी हे। रस-मलाई, पेडा, आइसक्रीम खाने को मिलता है।
वहां से लौटकर रास्ते में हमने हॉवर्ड जॉनसन की आईसक्रीम खायी। यह यहां की सबसे मशहूर आईसक्रीम है। यहां से, कार से, हम लोग बाल्टीमोर आये और वहां से हवाई-जहाज में बैटकर न्यूयार्क पहुंचे।
वहां (न्यूयार्क में) बड़ी गर्मी थी। एक दिन बाज़ार घूमे व शहर देखा। दूसरे दिन सुबह ट्रेन मे बैठकर हम एक बस अड्डे के पास पहुँचे। वहां से बस मे बैठकर स्टैचू ऑफ लिबर्टी देखा, यूएनओ गये और फिर इतनी तेज बारिश होने लगी कि कुछ पूछो न। सबसे ऊंची एमपाइर स्टेट ब्लिडिंग देखी, जो सिक्स स्टोरी नीचे जमीन के अन्दर भी थी। वर्लड ट्रेड सेन्टर देखा। उसके बाद हम लोग हवाई-जहाज में बैठकर दिल्ली वापस आ गये।
सच, बड़ा ही आनन्द आया। अमेरिका में टेलीफोन सिस्टम बड़ा अच्छा हे। जैसे ही करो, तुरन्त मिल जाता है। टेलीफोन करो, तो बड़ा ही सुन्दर संगीत सुनने को मिलता है। न्यूयार्क से एक बार तुम्हारे पापा को प्रयाग में टेलीफोन किया तो १ मिनट में मिल गया।
वहां पर, खूब फलों का रस पीने को मिलता है। सारी बसें व प्राइवेट मोटर एयर कन्डिशन होती हैं। चाहे जितनी दूर मोटर में जाओ पता नही चलता। हर जगह मोटर रोक नहीं सकते ८०-९० मील की दूरी पर रेस्ट हॉउस । वहीं मोटर रोको खाओ पिओ,बाथरूम जाओ।
पापा-मम्मी को प्यार
तुम्हारी दादी-मां
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I read your posts sir. Such kind of letters are as precious as our grandparents.
ReplyDeleteचिट्ठी के माध्यम से न्यू वृंदावन का बहुत ही सुंदर वर्णन।
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