ताज गार्डन रिट्रीट कुमाराकॉम में महिला सशक्तिकरण के कई रुप देखने को मिले। इस चिट्ठी में उनमें से एक रूप की चर्चा है।
सुबह के समय अप्रवाही जल से कुमाराकॉम का दृश्य
ताज गार्डन रिट्रीट होटल पहुंचते ही हमारा स्वागत नारियल की माला पहनाकर किया गया। एक ताजा नारियल, जल पीने के लिए दिया गया। उस समय वहां तीन युवतियां भी आयी। वे भी वहीं ठहरी हुई थीं। हमें देखकर उन्होंने कहा कि हमारा ऐसा स्वागत क्यों नहीं हुआ। स्वागत कक्ष में बैठी युवती कुछ परेशानी में पड़ गयी। मैने उसके बचाव में कहा,
‘हम दोपहर को आये हैं, गर्मी है- इसलिये हमारा इस तरह से स्वागत हुआ है।'उसमें से एक युवती ने कहा,
‘हम भी कल दोपहर को आयें थे फिर भी हमारा इस तरह से स्वागत नहीं हुआ।'मैंने बात टालने के लिये कहा,
‘अरे, मुझे यह मालूम होता तो कोई और बहाना बनाता।‘वे मतलब समझ गयी। इस बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
इन महिलाओं को जब पता चला कि हम उत्तर भारत से हैं तो उनमें से एक बोली,
‘क्या आप सक्सेना है। मेरे पति भी सक्सेना है, और वहीं से है। लगता है कि सक्सेना लोग वहीं पाये जाते हैं।‘मैंने कहा,
‘सक्सेना, कायस्थ होते हैं और उत्तर भारत में शायद ज्यादा तादाद में हैं इसलिये आपको ऐसा लगता है पर मैं सक्सेना नहीं हूं।‘
यह तीनों अपने तीस के या फिर चालीस के दशक में थी। इनसे बात करने पर पता चला कि यह बम्बई से आयी हैं और विज्ञापन कम्पनी में काम करती हैं।
इन तीनों के साथ इनका परिवार नहीं था। वे अपने पतियों और परिवार को छोड़कर सहेलियों के साथ मस्ती मारने आयी थीं। मुझे यह बात कुछ अजीब लगी।
परिवार के बारे में पूछने पर बताया बच्चों के स्कूल हैं, पति काम पर हैं और बच्चों की देखभाल भी कर रहे हैं। इस कारण उनके परिवार उनके साथ नहीं आ सके।
यह महिलायें ज्यादा समय अपने कॉटेज़ में रहती थीं। मैं भी वहां की शान्ति और सुन्दरता में इतना व्यस्त रहा कि इनके चित्र नहीं खींच पाया। इसलिये पोस्ट नहीं कर पा रहा हूं।
होटेल में श्यनकक्ष के अन्दर
महिला सशक्तिकरण का यह रूप भी देखा - पुरुष काम के साथ बच्चों को देखे और महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ मस्ती करें :-)
मैं और शुभा कई बार काम से अकेले गये। शुभा दुनिया के सारे कोने में अकेले जा चुकी है। कई साल उसने अकेले अमेरिका और कैनाडा में पढ़ाया है। लेकिन आज तक हम कभी भी, अपने परिवार को छोड़कर, मौज मस्ती मारने नहीं गये। हम जब भी मौज मस्ती करने गये, हमारा परिवार हमारे साथ रहा। ऐसे मौकों पर, जब तक मेरी मां जीवित रहीं, वे भी हमारे साथ रहती थीं। मेरे विचार से, ऐसे मौकों पर अगली पीढ़ी को साथ रखना चाहिये। इससे न केवल, वे बहुत कुछ सीखते हैं पर परिवार में संबन्ध भी प्रगाढ़ होते हैं।
लेकिन, यह भी सच है कि कभी-कभी, केवल मित्रों के साथ मस्ती मारने का अलग मज़ा है।
अगली बार मुलाकात करेंगे एक अंग्रेज दंपत्ति से और देखेंगे महिला सशक्तिकरण का एक दूसरा रूप।
क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।
मैं और शुभा कई बार काम से अकेले गये। शुभा दुनिया के सारे कोने में अकेले जा चुकी है। कई साल उसने अकेले अमेरिका और कैनाडा में पढ़ाया है। लेकिन आज तक हम कभी भी, अपने परिवार को छोड़कर, मौज मस्ती मारने नहीं गये। हम जब भी मौज मस्ती करने गये, हमारा परिवार हमारे साथ रहा। ऐसे मौकों पर, जब तक मेरी मां जीवित रहीं, वे भी हमारे साथ रहती थीं। मेरे विचार से, ऐसे मौकों पर अगली पीढ़ी को साथ रखना चाहिये। इससे न केवल, वे बहुत कुछ सीखते हैं पर परिवार में संबन्ध भी प्रगाढ़ होते हैं।
लेकिन, यह भी सच है कि कभी-कभी, केवल मित्रों के साथ मस्ती मारने का अलग मज़ा है।
अगली बार मुलाकात करेंगे एक अंग्रेज दंपत्ति से और देखेंगे महिला सशक्तिकरण का एक दूसरा रूप।
कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।
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सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
- डार्विन को लिखा पत्र और उसका व्यक्तित्व: ►
- किसी को नहीं मालुम कि कैसे सृष्टि, प्राणी जगत की रचना हुई: ►
यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
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बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
सांकेतिक शब्द
Kumarakom, Taj Garden Retreat, कुमाराकॉम, कानून, सूचना , महिला सशक्तिकरण, women empowerment,
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उन्मुक्त जी, वे दिन लद गए जब पति की 'हुकूमत' चला करती थी. आजकल तो लगभग सभी पति बच्चों को संभालने जैसे और भी कई काम करने लगे हैं. मुझे ही लें, कभी-कभी जब पत्नी बेबी को नहीं देख पाती तब उसकी सूसू डायपर का काम करना पड़ता है. इसमें ख़ुशी भी मिलती है.
ReplyDeleteआज का नवयुवा पति अपने बच्चों का काम करके खुश है तब भला आपको क्या तकलीफ है? सदियों पुराने युग ने करवट बदली है तब हमें उसका स्वागत करना चाहिए। यह महिला के सशक्तिकरण से अधिक पुरुष का संस्कारित होना है। अब पति अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं और गृहस्थी का अर्थ भी।
ReplyDeleteमैं माफी चाहूंगा कि मेरी बात पहले स्पष्ट नहीं थी पर मैंने चिट्ठी का संशोधन कर अब ठीक करने का प्रयत्न किया है।
ReplyDeleteye tho achi nehi hai
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