Sunday, July 12, 2009

पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें

ताज गार्डन रिट्रीट कुमाराकॉम में महिला सशक्तिकरण के कई रुप देखने को मिले। इस चिट्ठी में उनमें से एक रूप की चर्चा है।


सुबह के समय अप्रवाही जल से कुमाराकॉम का दृश्य

ताज गार्डन रिट्रीट होटल पहुंचते ही हमारा स्वागत नारियल की माला पहनाकर किया गया। एक ताजा नारियल, जल पीने के लिए दिया गया। उस समय वहां तीन युवतियां भी आयी। वे भी वहीं ठहरी हुई थीं। हमें देखकर उन्होंने कहा कि हमारा ऐसा स्वागत क्यों नहीं हुआ। स्वागत कक्ष में बैठी युवती कुछ परेशानी में पड़ गयी। मैने उसके बचाव में कहा,
‘हम दोपहर को आये हैं, गर्मी है- इसलिये हमारा इस तरह से स्वागत हुआ है।'
उसमें से एक युवती ने कहा,
‘हम भी कल दोपहर को आयें थे फिर भी हमारा इस तरह से स्वागत नहीं हुआ।'
मैंने बात टालने के लिये कहा,
‘अरे, मुझे यह मालूम होता तो कोई और बहाना बनाता।‘
वे मतलब समझ गयी। इस बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।


इन महिलाओं को जब पता चला कि हम उत्तर भारत से हैं तो उनमें से एक बोली,
‘क्या आप सक्सेना है। मेरे पति भी सक्सेना है, और वहीं से है। लगता है कि सक्सेना लोग वहीं पाये जाते हैं।‘
मैंने कहा,
‘सक्सेना, कायस्थ होते हैं और उत्तर भारत में शायद ज्यादा तादाद में हैं इसलिये आपको ऐसा लगता है पर मैं सक्सेना नहीं हूं।‘


यह तीनों अपने तीस के या फिर चालीस के दशक में थी। इनसे बात करने पर पता चला कि यह बम्बई से आयी हैं और विज्ञापन कम्पनी में काम करती हैं।

इन तीनों के साथ इनका परिवार नहीं था। वे अपने पतियों और परिवार को छोड़कर सहेलियों के साथ मस्ती मारने आयी थीं। मुझे यह बात कुछ अजीब लगी।

परिवार के बारे में पूछने पर बताया बच्चों के स्कूल हैं, पति काम पर हैं और बच्चों की देखभाल भी कर रहे हैं। इस कारण उनके परिवार उनके साथ नहीं आ सके।

यह महिलायें ज्यादा समय अपने कॉटेज़ में रहती थीं। मैं भी वहां की शान्ति और सुन्दरता में इतना व्यस्त रहा कि इनके चित्र नहीं खींच पाया। इसलिये पोस्ट नहीं कर पा रहा हूं।


होटेल में श्यनकक्ष के अन्दर


महिला सशक्तिकरण का यह रूप भी देखा - पुरुष काम के साथ बच्चों को देखे और महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ मस्ती करें :-)
मैं और शुभा कई बार काम से अकेले गये। शुभा दुनिया के सारे कोने में अकेले जा चुकी है। कई साल उसने अकेले अमेरिका और कैनाडा में पढ़ाया है। लेकिन आज तक हम कभी भी, अपने परिवार को छोड़कर, मौज मस्ती मारने नहीं गये। हम जब भी मौज मस्ती करने गये, हमारा परिवार हमारे साथ रहा। ऐसे मौकों पर, जब तक मेरी मां जीवित रहीं, वे भी हमारे साथ रहती थीं। मेरे विचार से, ऐसे मौकों पर अगली पीढ़ी को साथ रखना चाहिये। इससे न केवल, वे बहुत कुछ सीखते हैं पर परिवार में संबन्ध भी प्रगाढ़ होते हैं।

लेकिन, यह भी सच है कि कभी-कभी, केवल मित्रों के साथ मस्ती मारने का अलग मज़ा है।

अगली बार मुलाकात करेंगे एक अंग्रेज दंपत्ति से और देखेंगे महिला सशक्तिकरण का एक दूसरा रूप।


कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा

क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।

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Click on the symbol after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
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  • Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में – सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।







यात्रा विवरण और महिला अधिकार पर लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां



About this post in Hindi-Roman and English

hum log kumarakom mein taj garden retreat hotel mein tthahre the. vhan mahilasashktikarn ke kai roop dekhne ko mile. is chitthi mein, uske ek roop kee charcha hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


We had stayed in Taj Garden Retreat at Kumarakom. We saw different shades of women empowerment. This post talks about one of them. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
Kumarakom, Taj Garden Retreat, कुमाराकॉम, कानून, सूचना , , ,

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4 comments:

  1. उन्मुक्त जी, वे दिन लद गए जब पति की 'हुकूमत' चला करती थी. आजकल तो लगभग सभी पति बच्चों को संभालने जैसे और भी कई काम करने लगे हैं. मुझे ही लें, कभी-कभी जब पत्नी बेबी को नहीं देख पाती तब उसकी सूसू डायपर का काम करना पड़ता है. इसमें ख़ुशी भी मिलती है.

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  2. आज का नवयुवा पति अपने बच्‍चों का काम करके खुश है तब भला आपको क्‍या तकलीफ है? सदियों पुराने युग ने करवट बदली है तब हमें उसका स्‍वागत करना चाहिए। यह महिला के सशक्तिकरण से अधिक पुरुष का संस्‍कारित होना है। अब पति अपनी जिम्‍मेदारी समझने लगे हैं और गृहस्‍थी का अर्थ भी।

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  3. मैं माफी चाहूंगा कि मेरी बात पहले स्पष्ट नहीं थी पर मैंने चिट्ठी का संशोधन कर अब ठीक करने का प्रयत्न किया है।

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  4. Anonymous11:10 am

    ye tho achi nehi hai

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