त्रिवेन्दम के समुद्र होटेल में मेरी मुलाकात, इटैलियन सुन्दरी सिलविया से हुई। यह चिट्ठी उसी के बारे में है।
मेरी जब भी सिविया से मुलाकात हुई तब कैमरा साथ नहीं था इसलिये उसका
चित्र नहीं खींच पाया :-( इस चिट्ठी में त्रिवेन्दम के चिड़िया घर में
खींचे चित्रों से काम चलाइये।
त्रिवेन्दम में हम केटीडीसी के समुद्र होटेल में ठहरे थे। शाम को समुद्र तट पर घूमते हुऐ, एक चट्टान दिखायी पड़ी। हम लोग जाकर उसी पर बैठ गये। समुद्र में ऊंची लहरे उठ रहीं थी। इसलिये वहां पर कोई नहीं नहा रहा था। कुछ समय बाद, हम लोगों ने देखा कि एक विदेशी महिला आयी और समुद्र के अन्दर अकेली ही तैरती हुई चली गयी। इस कारण वह मुझे वह हिम्मती लगी। मैंने ताली बजाकर और हाथ हिला कर, उसका अभिवादन किया और उसकी हिम्मत की दाद दी।
अंधेरा होते ही हम लोग होटल में आ गये। हम लोगों ने सुबह से दिन का खाना नही खाया था इसलिए भूख भी जोरों से लग रही थी। हम लोग स्वागत कक्ष पर, यह पूछने के लिये गये कि रात का खाना खाने कहां जाना है। हम जल्दी खाना खाकर सोना चाहते थे क्योंकि अगले दिन सुबह कन्याकुमारी जाना था।
स्वागत कक्ष में एक जगह बेचने की मशीन लगी थी। वहां पर काजू वगैरह मिल रहे थे। मशीन में पैसा डालने पर वह पैकेट बाहर कर देती थी। मैं स्वागत कक्ष पर बैठी महिला से बात करने लगा। मुन्ने की मां उस मशीन को देखने लगी। इतने में समुद्र तट पर अकेले नहाने नहाने वाली युवती आयी। वह इटैलियन थी। उसने अपना नाम सिलविया बताया। उसके पास काजू का का पैकेट था। उसने मुन्ने की मां से पूछा कि क्या वह काजू खरीदना चाहती हैं। शुभा ने कहा,
'नहीं इसमे बहुत कैलरी होती है। मैं तो केवल देख रही थी कि यहां क्या मिल रहा है।'सिलविया ने कहा फिर भी वह उसे कुछ काजू खाने के लिए देगी। हमने, उसके दिये काजू खाये। सिलविया पैरों में सुन्दर सुनहरे पायल पहने हुयी थी मैंने इसकी तारीफ की तो उसने कहा,
'यह असली सोने के नही हैं पर बनावटी हैं। मैंने इसे स्पेन में खरीदा था।'सिलविया अगली रात हमें पुन: खाने में मिली पर वह केवल एक पैर में पायल पहने थी। मैने पूछा कि वह एक पायल क्यों पहने है। उसने वह पैर दिखाते हुए कहा,
'सुबह जब मै समुद्र में नहा रही थी तब लहरें मेरे एक पैर का पायल ले गयीं।'रात के खाने पर वह मुझे कुछ गुस्से में लगी। मैंने उससे इसका कारण पूछा तो उसका कहना था कि वेटर उसके पेपर नैपकिन के प्रयोग करने पर आपत्ति कर रहा है। उस दिन रात के खाने में स्वादिष्ट फ्राइड फिश बनी थी पर उसमें तेल ज्यादा था। सिलविया पेपर नैपकिन में उसे सुखा कर, खा रही थी इस कारण उसने कुछ अधिक पेपर नैपकिन इस्तेमाल कर लिये। वेटर इसी पर आपत्ति कर रहा था। मुझे लगा कि वह, कितने भी पेपर नैपकिन प्रयोग करे आपत्ति नहीं करनी चाहिये। मैंने वेटर को अलग बुला कर बात की। उसने कहा,
'यह युवती आज पहली बार यहां खाने आयी है और लगभग २०० पेपर नैपकीन प्रयोग कर चुकी है।'मैंने उसकी मुश्किल बतायी तो वेटर ने कहा,
'यदि उसने हमें बताया होता तो उसके लिए कम तेल वाली मछली बनवा देते पर २०० नैपकीन का दाम २०० रूपये से भी ज्यादा है जो कि रात के खाने से ज्यादा है।'
मैंने उससे कहा कि विदेशी है और युवती गुस्से में है। तुम मेरे साथ चलो। मैं तुम्हे उसके सामने डाटूंगा। तुम माफ़ी मांग लेना बात इसी तरह समाप्त हो जायेगी। तुम उसके लिए कम तेल की मछली बनवा दो।
मैंने वेटर को सिलविया के सामने डांट दिया उसका गुस्सा शांत हो गया।
अगले दिन वेटर मुझे पुन: मिला और कहने लगा कि उस युवती ने आज नाश्ता नही किया है उसका पेट खराब हो गया है कल उसने ज्यादा मछली खा ली थी।
अगली बार चलेंगे कन्याकुमारी और जानेगे वहां की कथा।
कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।। भारतीय महिलाएं, साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।। पति, बिल्लियों की देख-भाल कर रहे हैं।। कुमाराकॉम पक्षीशाला में।। क्या खांयेगे - बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट।। आखिरकार, हमें प्राइवेट और सरकारी होटल में अन्तर समझ में आया।। भारत में समुद्र तट सार्वजनिक होते हैं न की निजी।। रात के खाने पर, सिलविया गुस्से में थी।। हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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सांकेतिक शब्द
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इटैलियन लोग चालू ना० वन होते है, वो वहा रही भी होगी खाना भी खाया होगा ओर किराया भी नही दिया होगा,यकिन ना आये तो सोचो....
ReplyDeleteउन्मुक्त जी, संभलकर लिखें. कहीं वह वितो कोर्लिओनी की भतीजी हुई तो!
ReplyDeleteमैं अपने विभाग से जुडी बात करूंगा -मछली खाने से अक्सर भारत के पांच सितारा होटलों,ज्यादातर कोलकाता के , में लोगों के पेट खराब होते हैं -यह आश्चर्यजनक है ! और यह घातक भी हो सकता है ! बाटुलिनम संदूषण के कारण !
ReplyDeleteनिश्चित ही इन होटलों में मछली को जैसी सहज पकने वाले खाद्य को भी ठीक तापक्रम पर पकाया नहीं जाता होगा !
200 नैपकिन का प्रयोग, लगा कि वेटर अतिशयोक्ति कर रहा होगा
ReplyDeleteलेकिन आखिर में बात समझ आयी, जरूर उन्होंनें ज्यादा खा लिया होगा
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आपकी यात्राएं हमें बहुत कुछ दे जाती हैं।
ReplyDeleteधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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Ye bhi post khoob rahee..soojh boojh badee pasand ayee...
ReplyDeleteDiwaliki anek shubh kamnayen!