Sunday, September 06, 2009

क्या खांयेगे - बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट

केरल में, बीफ, काफी खाया जाता है। इसका आभास हमें कुमारकॉम से त्रिवेन्दम जाते समय, रास्ते में हुआ। इसी की चर्चा इस चिट्ठी में है।
इस यात्रा के दौरान, कन्याकुमारी में विवेकानन्द रॉक मेमोरिएल से समुद्र का चित्र  

कुमाराकॉम से त्रिवेन्द्रम के लिये हम लोग टैक्सी से निकले। रास्ते में  हरि पार्क नामक जगह आयी। मैंने  प्रवीण से कहा कि हम लोग कहीं पर रुककर कॉफी पायेंगे और बाथरूम का प्रयोग करना चाहेंगे। वह हम लोगों को इन्डियन कॉफी हाउस ले गया। 

कॉफी हाउस को कोऑपरेटिव सोसायटी चलाती हैं। इनका हेड ऑफिस त्रिशूल में है। इस कॉफी ऑफिस की दीवारों में, कुछ बड़े अक्षरों में उनके मीनू लिखे हुए थे। उस मीनू में  प्रमुख था बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट और बीफ कटलेट। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि किसी भी रेंस्ट्रा में इतनी आसानी से बीफ मिल सकता है। मेरे कस्बे में तो बीफ इस तरह से नहीं बिक सकता। शायद लोग बुरा मान जाएँ। मुझे आश्चर्य लगा कि बीफ इतने खुले तरीके से बिक रहा है। प्रवीण ने बताया,

'यहाँ पर हिन्दू भी बीफ खाते है। इसलिये यह सब जगह मिल जाता है। यह केवल केरल में ही है और दक्षिण के किसी अन्य प्रान्त में ऐसा नही है। यहाँ पर जो अलग दूसरे प्रान्त के हिन्दू लोग आकर रहते हैं वे भी बीफ नहीं खाते हैं।'

मैंने कभी बीफ नहीं खाया था। मैं खाकर देखना चाहता था कि खाने में कैसा लगता है। मैंने अपने लिए बीफ कटलेट मंगाया। यह स्वाद में आलू के कटलेट की तरह था। मुझे  तो कोई अन्तर नहीं लगा। मैंने वेटर से पूछा कि इसमें कितना बीफ था। वह  नहीं बता सका। वह उसके  बनाने वाले को मेरे पास लेकर आया। उसने बताया,

‘मैं चालीस कटलेट के लिए,  एक किलो बीफ का प्रयोग करता हूं।‘
यह अनुपात शायद बहुत कम है। इसलिये इसका स्वाद पता नहीं चल पाया।

हम कटलेट खा कर आगे चले पर वहां जैम, अरे मेरे मतलब ट्रैफिक जैम इंतजार कर रहा था। यह पोंगल त्योहार के कारण था। इस श्रंखला की अगली कड़ी में इसी के बारे में।


कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
 क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।। साइकलें, ठहरने वाले मेहमानो के लिये हैं।। पुरुष बच्चों को देखे - महिलाएं मौज मस्ती करें।। भारतीय महिलाएं, साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।। पति, बिल्लियों की देख-भाल कर रहे हैं।। कुमाराकॉम पक्षीशाला में।। क्या खांयेगे - बीफ बिरयानी, बीफ आमलेट या बीफ कटलेट।।


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यात्रा विवरण पर लेख चिट्ठे पर अन्य चिट्ठियां



About this post in Hindi-Roman and English
keral mein beef kaafee khaayaa jaata hai. iskaa aabhaas hme trivandum ke raaste mein hua. is chitthi mein, isee kee charchaa hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.


It is common to eat beef in Kerala. We realised this on our way to Trivandum. This post talks about the same. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
Beef,
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Hindi, हिन्दी,

19 comments:

  1. बस आपने बीफ कटलेट खाई और पोस्ट खत्म हो गयी ? यह तो पाठकों के साथ सरासर नाइंसाफी है -और केरल में तो बीफ खाने के लिए अलग से कोई आर्डर देने की जरूरत नहीं है -वहां हर खाद्य वस्तु में यह अविभाज्य रूप से मिश्रित रहता है .चावल का ऑर्डर करिए तो बिरयानी मिलेगी और दाल मांगिये तो 'लखदावा '(किसी सब्जी के टुकडों से मिश्रित दाल )-वहां शाकाहारियों की शामत है -आपने बीफ चाप क्यों नहीं टेस्ट किया ? तब आपको बीफ का स्वाद भी मिल जाता !उसने आपको वही कटलेट दिया जो वह शाकाहारियों को भी सर्व करता है !मेरे तो केरल के अनुभव बहुत खराब हैं खान पान को लेकर !

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  2. जारी रहिये....भूलवश एक बार मैं भी खा चुका हूँ और स्वाद में अंतर न पता कर पाया किन्तु मालूम चलने के बाद खा भी न पाया.

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  3. हमने तो हमेशा होटलों में बड़े बड़े अक्षरों में केवल यही पढ़ा है कि यहाँ बीफ़ नहीं मिलता है, केरल के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ।

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  4. भारत सरकार दावे से कहती है की सम्पूर्ण भारत में गौहत्या/गौमांस पर प्रतिबन्ध है, फिर यह सब कैसे चल रहा है?

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  5. भारत में बीफ का उपयोग.. आपकी पोस्‍ट को पढकर कुछ आश्‍चर्य हुआ .. टिप्‍पणियों को पढकर अधिक !!

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  6. बड़े गंदे आदमी हो यार... थू...थू...।

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  7. Anonymous11:08 am

    मालूम चलने के बाद तो हम भी ना खा पायें

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  8. यह पोस्‍ट पढ़कर बहुत दुख:द एहसास हुआ, अपने अपने नाम से उन्‍मुक्‍त बताया है, उन्‍मुक्‍तता में सब पैरो का बढ़ने की क्षमता आप में है।

    यदि आप मुस्लिम धर्म से सम्‍बन्‍ध रखते है तो आपके लिये यह जायज हो सकता है किन्‍तु यदि आप हिन्‍दु अथवा किसी धर्म से सम्‍बन्धित है तो आपको सोचना चाहिये था।

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  9. विहिप वाले कहां घास खोद रहे हैँ!

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  10. Anonymous6:34 pm

    आपने गाय का मांस खाया???!!!!!

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  11. आपने बीफ खा लिया तो लोगों को इतना आश्चर्य क्यों हो रहा है?

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  12. बडाही साफ़ गोई से लिखा है आपने ..आज बड़े अरसे के बाद आपका सही लिंक खुला ..! कहींसे follow करते ,करते पहुँची हूँ ...अब पोड कास्ट भी सुनही लूँगी ..! आपको बहुत कुछ कहना /पूछना चाहती हूँ , मेरे लेखन को लेके ..एक रहनुमाई भी . ..गर नज़रे इनायत हो !

    कोई खता नही गर अनजाने में हमसे गलती हो ..मै तो उसे गलती भी न कहूँ ! जबकि , मै ख़ुद तकरीबन शाकाहारी हूँ ..फिर भी..गनगा नदी समझ उसमे स्नान करनेवाला उतना ही puny पायेगा,जितना की, असली gangaa se pata....खैर..मै इस तरह के पुण्य को नही मानती..जो रोज़मर्रा के काम सही नीयत से करे, वही साधक होता है...पुण्य वही कमाता है..!

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  13. आप यकीनन इसाइयों के हाथों बिके हुओं में से एक हैं|आपने बीफ खाया या फिर गटर का कचरा, ये आपका व्यक्तिगत मामला है|इस तरह से इस बात का प्रचार करने से आपका क्या मतलब है?आप अपनी बेशर्मी का नमूना दिखा रहे हैं या फिर हिन्दुओं के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं ?मुझे आश्चर्य है कि ऐसे वाहियात पोस्टों को यहाँ जगह कैसे मिल जाती है|

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  14. काफ़ी सारे लोगों के लिये ये जानकारी नयी होगी. इसे सार्वजनिक करके ठीक ही किया.

    पर मेरा तो यही मानना है कि गौ-मांस भक्षण गाली खाने लायक ही काम है. एक हिन्दू होकर ऐसा कोई कैसे कर सकता है?

    वैसे किसी भी प्रकार का मांस भक्षण करने वाला पूरी तरह इंसान कहलाने के लायक नहीं.

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  15. मैं शुद्ध शाकाहारी ब्राहमण परिवार से हूँ ..कोई क्या खाता है अथवा क्या खाना गलत समझता है यह उसका निजी मामला है इसे निरर्थक विवाद का विषय नही बनाया जाना चहिये. न सिर्फ केरल बल्कि कोलकाता के कई प्रतिष्ठित रेस्टुरेंट बड़े शान से बीफ परोसतें हैं और खाने वाले खाते हैं ..पर आई टिप्पनिओं को देखकर साफ जाहिर हो रहा है लोग अब तक बहुत गलफ़त में पड़े हैं. दुखद है यह.

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  16. मेरी समझ से खान पान निजी मामला है और इसे लेकर यहाँ उद्विग्नता यही दिखाती है है की हम सोच के स्तर पर अभी भी संस्कारित नहीं हो पाए -विवेकानंद ने कहा था की लोगों ने रसोई को मंदिर और बर्तनों को देवता बना रखा है !
    उन्मुक्त जी अब आगे से यह ध्यान रखियेगा की आप हिन्दी ब्लाग जगत में हैं !

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  17. भाई ,केरल की यात्रा कराने के लिए शुक्रिया

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  18. वाकई चिंतनीय... घिनौना ..

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आपके विचारों का स्वागत है।