हिडिम्बा मन्दिर |
मनाली में हिडिम्बा का मंदिर है। कहा जाता है कि यहीं पर भीम की मुलाकात हिडिम्बा से हुई थी। हिडिम्बा को काली का अवतार का अवतार कहा गया है। इसी कारण इस मंदिर के अन्दर दुर्गा की मूर्ति भी है। इस मंदिर में, हिडिम्बा के पैर के ही निशान हैं जो कि एक गुफा के अन्दर हैं।
इसके चारो तरफ मंदिर बना हुआ है। इस हिस्से को राजा बहादुर सिंह ने १५५३ बनवाया था। हिडिम्बा के मंदिर में, बाहर की तरफ बहुत सारी सींगें लगी थीं। मैंने इसका कारण पूछा तब बताया गया कि यहां पर जानवरों की बलि दी जाती है और उसके बाद उनकी सींग यहीं पर टांग दी जाती है।
मनु मन्दिर |
कहा जाता है कि मनाली में, महर्षि मनु ने तपस्या की थी। इसी लिये, इस जगह को पहले मनुआलय कहा गया। बाद में, यह मनाली हो गया। जिस जगह मनु ने तपस्या की थी वहीं पर उनका मन्दिर बना दिया गया। हिडिम्बा के मन्दिर देखने के बाद, हम लोग मनु के मन्दिर को भी देखने गये।
रास्ते में लोग, ताश खेल रहे थे। उन्होने बताया,
'सीज़न के समय पर्यटको के कारण, दम मारने की फुरसत नहीं रहती लेकिन जब सीज़न न हो, तब समय ही समय रहता है। इस समय हम लोग ताश खेलकर अपना मनोरंजन करते हैं।'वे लोग टिल्ली नामक खेल खेल रहे थे । जब उन्होने विस्तार से इस खेल के बारे में बताया तब मुझे लगा कि यह रमी की तरह का ही खेल है। एक बार जीतने पर ५ प्वाइंट मिलते हैं। २१ प्वाइंट जीत जाने पर जितने पैसे की शर्त हो वह जीत लेता है। वे लोग ५०/-रूपये शर्त के साथ खेल रहे थे।
मनु के मंदिर में, बहुत सारे बच्चे थे। वे कुछ अजीब सा खेल खेल रहे थे। मैंने पूछा कि यह कौन सा खेल है उन्होंने बताया कि वे घोड़ा-घोड़ा खेल रहें है। इसमें दीवाल के सहारे, झुक एक लड़का खड़ा हो जाता था। उसके बाद उसके पीछे से एक लड़का दौड़ता हुआ आता था और उसकी पीठ पर चढ़ जाता था। उसके बाद घोड़े बने लड़के को, दूसरे को गिराना होता है। यदि पीठ पर चढ़ा लड़का, गिर जाता था तब वह घोडा बनता था। इनमें से एक लड़का बड़ा था। मैंने उससे कहा कि तुम तो बहुत बड़े हो। उसने बताया,
'इसीलिए मै अकेले हूं और बाकी तीन लड़के एक साथ खेल रहे हैं।'मैंने न यह खेल कभी अपने बचपन में खेला, न इसके पहले कभी सुना था। मनाली मैदान नहीं हैं। इसीलिये बच्चों ने यह खेल निकाल लिया। बच्चों के दिमाग में कितनी ऊर्जा और सोचने की शक्ति होती है। वे मनोरंजन के लिए कैसे तरह, तरह के खेल निकाल लेते हैं।
इस श्रृंखला की अगली चिट्ठी में, मनाली में इस्रायली खाना और वहां पर गोवा में क्रिकेट की कोचिंग करते ऑस्ट्रेलिया दम्पत्ति से मुलाकात की चर्चा होगी।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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सचमुच बच्चों में बहुत ऊर्जा और संकल्पना शक्ति होती है।
ReplyDeleteअब एक हिडिम्बा की भेंट तो भीम से इधर कोटा और झालावाड़ के बीच दरा वन्य जीव अभयारण्य में भी हुई थी। जहाँ एक विशाल चबूतरा बना है इस पर बने मंदिर के भग्नावशेष भी शेष नहीं रहे हैं। इसे भीमचौरा कहते हैं। यह राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 12 से एक दम सटा हुआ है। पुरातत्व विभाग ने यहाँ बोर्ड पर यह दंतकथा चस्पा कर रखी है।
नये स्थान के नये खेलों के बारे में जानकारी रोचक रही ।
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट .. अगली पोस्ट की प्रतीक्षा अभी
ReplyDeleteसे ही हुलास मारने लगी है !
बलि पूर्णरूपेण खत्म होना चाहिये...
ReplyDelete"बच्चों के दिमाग में कितनी ऊर्जा और सोचने की शक्ति होती है। वे मनोरंजन के लिए कैसे तरह, तरह के खेल निकाल लेते हैं।".......
ReplyDeleteaur paristhitiyo se ladane ki shakti bhI ........is baare me mel me bataaungi.......
उन्मुक्त जी, मनाली वाकई बहुत सुंदर जगह है। मैं वहाँ जा चुका हूँ। उन यादों को ताजा करवाने का शुक्रिया।
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भविष्य बताने वाली घोड़ी।
खेतों में लहराएँगी ब्लॉग की फसलें।
रोचक जानकारी है। बहुत से स्थानिय खेलों के बारे मे हमे जानकारी ही नही है। अगली कडी का इन्तजार क्यों कि मै अभी तक मनाली नही गयी हूँ। धन्यवाद
ReplyDeleteमनाली तो मैं भी गया हूँ लेकिन वहाँ की सुंदरता में ही डूबा रहा. यह सब तो देखा ही नहीं...!
ReplyDelete..सुंदर वर्णन के लिए आभार.
इसमें कोई दो-राय नहीं हो सकती।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
चलिए मनु मंदिर में हिडिम्बा पुत्र घटोत्कच के आधुनिक प्रतिरूपों से भी भेट हो गयी !
ReplyDeleteमनाली की सैर कराने के लिए धन्यवाद
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