मनाली के एक साइबर कैफे में, हिन्दी को लेकर एक रोचक हादसा हो गया था। इसी की चर्चा इस चिट्ठी में है।
मनाली में जॉन्सन होटल है। इसके रेस्ट्रॉं में बढ़िया स्मोक्ड ट्राउट फिश मिलती है। हम लोग एक दिन वही दोपहर का खाना खाने गये। वहीं पर वेटर ने, साइबर कैफे का पता बता दिया था।
मैं अपनी पत्नी को रेस्ट्रॉं में छोड़ कर, साइबर कैफ़े में आ गया। जब मैं अपनी ईमेल देख रहा था तभी वहां एक विदेशी आया। उसने साइबर कैफ वाले से पूछा,
'क्या स्काइप है?'साइबर कैफे के मालिक के हामी भरने पर, विदेशी ने युरोप में किसी से स्काइप पर बात की, पैसा दिया, और चलते बना। मैं अपना काम समाप्त करके चलने को ही था तभी दो व्यक्ति वहां पर आये और साईबर कैफे के मालिक से पूछा,
'मुझे अति आवश्यक संदेश हिन्दी में टाइप कराना है। क्या आप कर सकते है?'साईबर कैफे के मालिक ने कहा,
'न तो मैं हिन्दी में टाइप करवा सकता हूं न ही मैं मनाली में किसी ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो हिन्दी में टाइप कर सके।'मैं उनकी बात सुन रहा था। मैनें कहा,
'हिन्दी में टाइप करने में क्या मुश्किल है। यह तो बहुत ही आसान है।'मैंने उन्हें आफलाइन हिन्दी में टाइप करने कैफे हिन्दी, और आन लाइन हिन्दी में टाइप करने के लिये, गूगल ट्रास्टलिट्रेशन की सलाह दी। कैफे हिन्दी डाउन लोड किया। उसे उनके कम्पूटर पर डाला। लेकिन वह चला नहीं। शायद मैथली जी कुछ प्रकाश डालना चाहें।
मैंने गूगल ट्रांसलिटरेशन का पेज निकाला। उसमें टाइप करके बताया। जैसे ही मैंने अंग्रेजी में टाइप किया और वह हिन्दी में बदल गया, उनके चेहरे पर प्रसन्नता से भर गये। वे उत्साहित हो उठे। मैंने उनसे कहा,
'आप खुद टाइप करें। मैं लिनेक्स में काम करता हूं। इसलिए मुझे गूगल ट्रांसलिटरेशन में काम करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यही कारण है कि मैं इस पर ठीक से टाइप नहीं कर पा रहा हूं। आप ट्रायल, ऎरर से टाइप कर लें।'वे लोग बहुत ही तेजी से टाइप करने लगे और उनका काम हो गया। उनमें से एक व्यक्ति नाम छोटे लाल था। वह इंजीनियर है और दिल्ली के बिहार भवन में कार्यरत है। उन्होने मुझसे बताया,
'हम शिव भक्त हैं और हमारे शिव शिष्य परिवार नामक संस्था से जुड़े हैं। हमारे गुरू देव भी आये हैं। उन्हीं का संदेश टाइप करवाना था। आप हमारे गुरूदेव से मिल लीजिए और शिव भक्त बन जांए।'मैंने कहा,
'जैसे आप शिव भक्त है उसी तरह मैं हिन्दी का भक्त हूं । आप हिन्दी में टाइप न होने के कारण परेशान लग रहे थे। इसलिए मैने हिन्दी में टाइप करना आपको सिखा दिया। मेरे पास समय की कमी है। इसलिए आपके गुरूदेव से न मिल सकूंगा। इसके लिए आप मुझे माफ़ करें।'बाहर निकलते समय दूसरा व्यक्ति आया उसने कहा,
'आप क्यों नही शिव भक्त हो जाते हैं? यदि आप कहे तो मैं घोषणा कर दूं।'मैं अज्ञेयवादी हूं। न ही इन बातों में विश्वास करता हूं और न ही किसी ऐसी संस्था का सदस्य हूं। मुझे कुछ हिचक लग रही थी। वे इतने उत्साहित और खुश लग रहे थे कि मुझे लगा कि यदि मैं मना कर दूंगा तो वह दुखी हो जायेंगे। मैं चुप रहा। उसने मेरे मौन को हांमी समझ, मेरे नाम से घोषणा की, कि मैं शिव भक्त हो गया और कहा,
'आप जब कभी मुश्किल में पड़े तो शिव को याद करियेगा। आपकी सारी मुश्किल दूर हो जायेगी। हमें हिन्दी में टाइप करने की मुश्किल थी। हमने भगवान शिव को याद किया। जैसे, उन्होंने आपको हमारी सहायता के लिए भेज दिया वैसे वे आपकी मुश्किल दूर करने के लिये किसी को भेज देंगे, या स्वयं दूर कर देंगे।'
साइबर कैफे मालिक भी प्रसन्न हो गये क्योंकि उसने भी कुछ नया सीखा। मैं चलने लगा तो उसने अपनी दुकान का कार्ड दिया। यह लोग स्पेशल टूर इंडिया के नाम से पर्यटन की कम्पनी भी चलाते हैं। मैं जब चलने लगा तो उसने मुझसे केवल दस रुपया लिया। मुझे लगा कि यह बहुत कम है। उसने कहा,
'आपने मेरी सहायता की है और हिन्दी टाइप करना सिखाया है पर इस लिए मैं केवल दस रूपये ले रहा हूं। वैसे सही दाम ५० रुपया होता है।'मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई की मैं मनाली में भी हिन्दी की कुछ सेवा कर सका।
हम लोग, मनाली में स्टर्लिंग रिज़ॉर्ट में ठहरे थे। यह कुछ अलग तरह के होटेल हैं। इनके बारे में इस श्रंखला की अगली कड़ी में।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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good report
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इस प्रकार की घटनाऐं यकायक घट जाती है और आजीवन स्मरण रहती है, ये इत्फाक ही रहा होगा कि उसे तब हिन्दी की जरूरत पड़ी जब आप मौजूद थे।
ReplyDeleteउन्मुक्त जी,
ReplyDeleteहमारे लिए यह केवल एक छोटा काम है कि हम किसी को हिन्दी लिखना सिखा दें। लेकिन उन के लिए जो इसे नहीं जानते यह बहुत बड़ी सहायता है। जब भी किसी को इस तरह हिन्दी मदद चाहिए अवश्य ही करनी चाहिए।
दिया हर जगह रोशनी ही बिखेरता है -आप शिव भक्त के भक्त हैं !
ReplyDeleteमेरे लिये तो यह घटना ना होकर प्रेरक प्रसंग है।
ReplyDeleteधन्यवाद
प्रणाम
आपने बहुत अच्छा कार्य किया । साधुवाद ।
ReplyDeleteउनको बिलकुल सही आदमी मिल गया और इसी बहाने उनका भरोसा भी बढ़ा ...
ReplyDeleteआपकी हर पोस्ट जानकारी का खजाना होती है। शुक्रिया।
ReplyDeleteऔर हाँ, आपकी पोस्ट में मनाली का जिक्र पढकर हमें जून 2002 के दिन याद आ गये। उस वक्त मैं हनीमून पर वहीं गया हुआ था। और चांस की बात देखिए कि मैं भी स्टर्लिंग रिजार्ट में ठहरा था।
कैसे लिखेगें प्रेमपत्र 72 साल के भूखे प्रहलाद जानी।
हिन्दी के सेवक को हिन्दी के सेवक का प्रणाम।
ReplyDeleteसाधुवाद!
ReplyDeleteमन को छू गया ये प्रसंग आपकी हिन्दी सेवा को सलाम और वो भी मेरी जन्मभूमि पर । शुभकामनायें
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