रोहतांग पाइंट के रास्ते में पैराग्लाइडिंग होती है। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।
रोहतागं पॉइंट के रास्ते में पैरा-ग्लाईडिंग भी होती है। रोहतागं पॉइंट से वापस आते समय, हमें रास्ते में कुछ लोग पैरा-ग्लाईडिंग करते हुए मिले। एक जगह कुछ लड़के, खड़े हुए थे। वहीं से पैरा-ग्लाईडिंग हो रही थी। मैंने ड्राइवर से कहा कि गाड़ी उनके पास ले चलो। मेरी पत्नी शुभा को यह बात बिल्कुल पसंद नही थी कि मै पैरा-ग्लाईडिंग करूं। वह कहने लगी कि हमें सीधे चलना चाहिए। मैंने कहा कि कम से कम बात तो करने दो। मैं जब उनके पास पहुंचा, तो उन्होंने बताया,
'हमारे पास दो विकल्प है। छोटी उड़ान और बड़ी उड़ान। छोटी उड़ान में आप मरहीं तक जा सकते है। लम्बी उड़ान, सोलंग वैली तक जाती है। छोटी उड़ान के लिए दो हजार रूपया और सोलंग वैली के लिए ३५००/-रूपये लगते हैं।'मरहीं पर हम लोगों ने आते समय नाश्ता किया था और वापस लौटते समय वहीं खाना खाने की बात थी। इसलिए मैं छोटी उड़ान लेना चाहता था। मैंने पूछा कि क्या पैसा सही है। उसने हामी भरी। हांलाकि मुझे लगा कि यह पैसा कुछ ज्यादा है। शुभा बिलकुल नहीं चाहती थी कि मैं पैरा ग्लाईडिंग करूं। लेकिन मैं पैरा ग्लाईडिंग करना चाहता था। मैंने उसे समझाया।
'गोवा में पैरा-सेलिंग के समय मैं अकेला था। लेकिन यहां पर पैराग्लाइडिंग करते समय मेरे साथ एक ट्रेनर भी रहेगा इसलिए मुश्किल की कोई बात नहीं है तुम मुझे पैसे दे दो।'इस पर वह गुस्से से बोली।,
मैंने उससे चित्र खीचने को कहा। उसने कहा,'तुम किसी की बात नहीं सुनते हो। जो करना हो सो करो।'
'चित्र खींचना तो दूर, मैं तो यह सब देख भी नहीं सकती।'लेकिन उसने २००० रूपये दे दिये पर मुंह दूसरी तरफ कर लिया।
पैरा ग्लाइडिंग करते समय मैं आगे था और ट्रेनर पीछे की ओर। सारे कंन्ट्रोल उसी के पास थे। वह डोरी की सहायता से दायें बायें या ऊपर नीचे करता था। गोवा में पैरागलाइडिंग करते समय अकेला था तो कुछ डर लगा था। लेकिन यहां पर ट्रेनर साथ था। इसलिए मुझे कोई डर नहीं लगा और बहुत मज़ा आया। हम सात मिनट में नीचे आये। शुभा गाड़ी में थी और उसको यह दूरी तय करने में लगभग चालीस मिनट लगे।
नीचे आते समय देखा कि कुछ लोग वीडियो और कुछ लोग साधारण कैमरे से फोटो ले रहे हैं। नीचे उतरने पर उन्होंने मुझे चित्र और वीडियो दिखाया और पूछा,
'क्या आप वीडियो या चित्र लेना चाहते हैं। सीडी में देने के लिये २०० रूपया लगेगा। चार चित्रो को प्रिंट करके देने में सौ रूपया लगेगा। यदि आप चित्र सीडी में चाहते है तो लगभग दस चित्र के १५०/-रूपये लगेंगे।'मैंने कहा कि मैं लूंगा। बगल में तम्बू लगे थे। जिसमे कंप्यूटर रखे थे और वहीं उस कंप्यूटर में सीडी पर लिखने या चित्र प्रिंट करने की सुविधा थी। सारे कंप्यूटर विंडोज़ पर थे।
मैंने पूछा,
'क्या आप लोग लाइनेक्स पर काम नहीं करते?'उन्होंने कहा,
'लाइनेक्स, क्या बला है?'
ट्रेनर राजाराम |
मैंने कुछ देर पैरा-ग्लाईडिंग में साथ आये ट्रेनर से बात की। उसने बताया,
'मेरा नाम राजाराम है। मैं केवल इण्टरमीडिएट तक पढ़ा हूं। मैंने यह पैराशूट यूरोप से मंगाया है। यह दो लाख रूपये का पड़ा है। यह पैसा मेरे परिवार वालों ने दिया है। मैं अपनी जीविका इसी से चलाता हूं। इससे अच्छा पैसा मिल जाता है और दो साल के अन्दर दो लाख रूपये की भरपाई हो जाती है। 'वहां पर वह अकेले नहीं था। उसके साथ उसके ३-४ सहयोगी भी थे। २-३ अन्य ट्रेनर भी थे। वहां पर बहुत से लोग खड़े थे लेकिन कोई हिम्मत नही कर रहा था। लेकिन मुझे देखा-देखी और लोग भी आ गये। बाद में और लोगो ने बताया कि वह इस काम के लिए कुछ ने पन्द्रह सौ रूपये और कुछ ने बारह सौ रूपये दिए है। मुझे लगा कि मैं भी मोल भाव करता, तो वह पैसा कम कर सकता था। लेकिन यह मेरे स्वभाव में नहीं है। मेरी मां भी इसी तरह की थीं। वे दूसरे पूरे तरह से विश्वास करती थीं। यह मुझे उन्हीं से मिला है।
मुझे पैरा-ग्लाइडिंग वालों की यह बात अच्छी नहीं लगी, कुछ दुख हुआ। मेरे कारण वहां पर ५-६ लोगों में पैरागलाइडिंग की। सच बात तो यह है कि उसे मुझसे कम पैसा लेना चाहिए था बल्कि यहां पर तो उल्टा ही हुआ। मुझे यह भी सबक मिला कि वहां मोल भाव करना चाहिये था पर मुझे पैसा वापस मांगना ठीक नहीं लगा।
लगभग चालीस मिनट बाद शुभा और अन्य लोग आये। हम लोगों ने वहीं खाना खाया फिर सोलंग घाटी गये।
अगली बार सोलंग घाटी के बारे में।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
- कोर्ट गर्डल की जीवनी और उस पर दो पुस्तकें: ►
- गणित में प्रत्येक व्यवस्था अपूर्ण है: ►
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने'
सांकेतिक शब्द
। Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो, मौज मस्ती,
। Hindi, हिन्दी,
। Hindi, हिन्दी,
आपका अनुभव रोमांचक रहा। थोड़ा बहुत मोल भाव तो कर लेना चाहिये, इसी बहाने संवाद हो जाता है।
ReplyDeleteआनन्द आया वृतांत पढ़्कर पैरा ग्लाइडिंग का....
ReplyDeleteवैसे: लाइनेक्स, क्या बला है?' हा हा हा हा!! बताईये न!!
नापा तुला सुन्दर पोस्ट. मन में पैरा ग्लाइडिंग की इक्षा जागृत हो गयी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर वर्णन ....
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी है। धन्यवाद।
ReplyDeleteकभी कभी पत्नियों की बात मान लेनी चाहिए :)
ReplyDeleteएक बार समुद्र में लहरों के बीच बोट पर मैं जाना चाहा तो रेखा ने मना किया. पर मैं गया. मजा आया. दूसरी बार उसके मना करते रहने व डरते रहने के बावजूद उसे भी ले गया. इस बार इतनी तेज लहर आई कि हमारा बोट पच्चीस फीट उछल गया और धड़ाम से नीचे. ग़नीमत ये रही कि हमें बड़ी चोटें नहीं आई. बाजू में चल रही एक बोट तो पलट ही गई थी.
वैसे, मेरे विचार में शुभा जी को भी पैराग्लाइडिंग का आनंद लेना चाहिए था...
सही कहा आपने, कौन किसकी सुनता है यहाँ?
ReplyDelete................
नाग बाबा का कारनामा।
व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?
अच्छी लगी यात्रा !
ReplyDeleteप्राईमरी रंगों की खोज किसने की थी?
भई, बात तो सुनना चाहिए. हम पूछते की लाइनक्स किस चिड़िया का नाम है मगर सुब्रमण्यम जी ने पहले ही पूछ लिया.
ReplyDeleteग्यारहवीं कक्षा में NCC में, मैंने भी para sailing की थी...आपके रोचक वर्णन ने याद दिला दिया। Rs २०००/- मेहेंगे नहीं हैं इतने मजेदार अनुभव के लिए।
ReplyDeleteबहुत प्यारा अनुभव रहा आपका। बस यही ख्याल आ रहा है कि काश, हम भी आपके साथ होते।
ReplyDelete………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
आपका व़त्तांत पढते हुए लग रहा है जैसे हम खुद वहां उपस्थित हैं। मजा आ गया।
ReplyDelete