Friday, July 30, 2010

रानी मुखर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी

रानी मुकर्जी - चित्र विकिपीडिया से
इस चिट्ठी में मानाली की सोलंग घाटी की चर्चा है।


सोलंग घाटी जाने का रास्ता हरा भरा था और सुन्दर लगा। वहां पर एक बहुत बड़ा मैदान था। वहां पर तारगाड़ी का निर्माण चल रहा था। इसके कारण मैदान बिगड़ गया था। वहां पर एक बंगाली सज्जन मिले। वे अपने परिवार के साथ थे। वह बहुत गुस्सा हो रहे थे। मैंने इसका कारण पूछा तब उन्होंने बताया। 
'हम  २००२ में यहां आये थे। उस दिन आये थे जिस दिन रानी मुखर्जी अपनी फिल्म की शूटिंग कर रही थी। उस समय यह मैदान घास से भरा था। बहुत सुन्दर लग रहा था। अब यह बिल्कुल बरबाद कर दिया गया है।'
अब रानी मुकर्जी हों तो दुनिया की सारी जगहें सुन्दर लगेंगी :-)

यह सच था कि उस समय, वह मैदान बेकार लग रहा था। इसका कारण यह भी था कि वहां तारगाड़ी का निर्माण हो रहा था। मुझे लगता है तारगाड़ी के निर्माण हो जाने के बाद वह फिर से सुन्दर हो जायेगा। यह भी हो सकता है उन सज्जन को रानी मुखर्जी के कारण वह जगह ज्यादा सुन्दर लगी या फिर रानी मुकर्जी से पुनः न मिलने की निराशा हो। 
सोलंग घाटी में तारगाड़ी का निर्माण

सोलंग घाटी पर भी पैरा ग्लाईडिंग हो रही थी और बहुत से लोग कर रहे थे। हम लोग थक  गये थे क्योंकि रोहतागं में काफी पैदल चले थे। वापस आकर खाना खाया और निद्रा देवी की गोद में पहुंच गये।

अगली बार हम लोग मनाली में वशिष्ट जी के मन्दिर देखने और वहां पर गर्म चश्में की कथा सुनेंगे।


उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें। 

देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।

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7 comments:

  1. बिन रानी सब सून!! :)

    आगे इन्तजार है!

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  2. मैंने तो समझा कि आपसे मुलाक़ात हो गयी तभी भागा आया हूँ -मगर -यह भी कोई बात हुयी भला ?
    यह अंक तो ले गयीं रानी आपके मनाली दर्शन का अब आगे ?

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  3. upar mukarji ko mukhrji kar len

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  4. उस समय रानी मुखर्जी के सामने घास का मैदान देखने की फुर्सत कहाँ होगी।

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  5. Jab,jab aise prawas warnan padhti hun,to aisi jagahon pe jane ka bahut man karta hai!

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  6. हम तो सोच रहे थे रानी मुखर्जी के साथ आपकी फोटो दखने को मिलेगा, पर ....
    पाँच मुँह वाला नाग?
    साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।

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  7. तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती, नजारे हम क्या देखें।
    यही गीत गुनगुना रहे होंगे बंगाली साहब उस समय तो।

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