इस चिट्ठी में, फिल्म इंडिपैंडेंटस डे (Independence day) और इसका साईबर अपराध से संबन्ध की चर्चा है।
इस चिट्ठी को, सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने' देखें।
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इंडिपैंडेंटस डे एक विज्ञान कथा पर आधारित फिल्म है। इसकी कहानी कुछ इस प्रकार है।
दूसरे ग्रह से कुछ प्राणी आते हैं। पृथ्वीवासी उनका स्वागत करते हैं। लेकिन वे लोग पृथ्वी पर आकर, जन-जीवन को नष्ट करने लगते हैं। उनमें से एक प्राणी पकड़ा जाता है तब पता चलता है कि दूसरे ग्रह के निवासी नये, नये ग्रहों पर जाते और वहां के रहने वालें का जीवन समाप्त कर देते हैं। उसके बाद उनकी प्राकृतिक सम्पदा हर कर, दूसरे ग्रह पर चले जाते हैं। इस बात का पता चलते ही यह आवश्यक हो जाता है कि किसी तरह इनको समाप्त किया जाए।
जब दूसरे ग्रह से आयी उड़नतश्तरियों पर आक्रमण किया जाता है तब वह विफल हो जाता है। उनके चारो तरफ एक सुरक्षात्मक ढ़ाल थी जिसके अन्दर पृथ्वीवासियों के बम नहीं जा पा रहे थे।
इस ढ़ाल को भेदने के लिये, उनकी मुख्य उड़नतश्तरी के कंप्यूटर में एक वायरस भेजा जाता है। इसके कारण उनकी सुरक्षात्मक ढ़ाल में एक छेद हो जाता है। उस छेद से, एक हवाई जहाज, मुख्य उड़नतश्तरी के अंदर जाता है और उसमें एक परमाणु बम रख कर बाहर आ जाता है। परमाणु बम के फटने के बाद, न केवल मुख्य उड़नतश्तरी समाप्त हो जाता है पर बाकी उड़नतश्तरियों के चारो तरफ की सुरक्षात्मक ढ़ाल भी समाप्त हो जाती है। इसके बाद उन्हें समाप्त करने में कोई मुश्किल नहीं होती है। इस तरह से पृथ्वीवासियों की जीत होती है।
इस फिल्म में भी, कोर्ट गर्डल के अपूर्णता के सिद्वान्त का बाखूबी से प्रयोग किया गया है। दूसरे ग्रह के प्राणी पृथ्वीवासी से अधिक प्रगतिशील थे। उनके कंप्यूटर भी अच्छे थे। उसके बावजूद, वे उस पर वायरस जाने से नहीं रोक सके।
'इंडिपेन्डेन्स डे' फिल्म का चित्र विकिपीडिया से |
कहने का अर्थ यह है कि आप तकनीक की दृष्टि से अपने कंप्यूटर को जितना भी सुरक्षित कर लें, उसे हमेशा भेदा जा सकता है। कंप्यूटर में हैकिंग को केवल तकनीक के द्वारा नहीं रोका जा सकता है इसके लिए जरूरी है कि गलत काम को रोकने के लिए कानून बनाया जाए। इसलिए दुनिया में साइबर कानून है। इसके पहले साइबर अपराध पर नज़र डाले कुछ बातें साइबर कानून के बारे में।
इस फिल्म का ट्रेलर देखिये और आनन्द लीजिये।
तू डाल डाल, मैं पात पात
भूमिका।। नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है।। नाई, महिला है।। मिस्टर व्हाई - यह कौन हैं।। गणित, चित्रकारी, संगीत - क्या कोई संबन्ध है।। क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं।। भाषायें लुप्त हो जाती हैं - गणित के सिद्घान्त नहीं।। ऐसा कोई कंप्यूटर नहीं, जिसे हैक न किया जा सकता हो।।
सांकेतिक शब्द
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कुछ ऐसी घुमावदार कहानी होती है इनकी कि रोचकता बनी रहती है अन्त तक।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है.
ReplyDeleteयदि मनुष्यों से अधिक विकसित परग्रहवासी हों तो यह ज़रूरी नहीं कि मनुष्यों के स्वभावगत दोष उनमें भी मौजूद हों.
वे अतिक्रूर हो सकते हैं, इतने कि पृथ्वी पर आते ही मानवों को खा जाएँ. या फिर वे इतने निश्छल हो सकते हैं कि उन्हें पता ही न हो कि झूठ बोलना या बैरभाव रखने जैसी कोई चीज़ भी होती है.
गर्डल के अपूर्णता सिद्वान्त के बारे में सोदाहरण रोचक जानकारी!
ReplyDeleteसच है कोई भी कम्प्यूटर पूरी तरह से वाईरस अभेद्य नहीं है !
ज्ञान की कोई सीमा नहीं.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteअमेरिकन को अपने सिवा कोई अच्छा ओर सायाना नही लगता, इस धरती पर सब का जीवन नर्क बना कर अब अन्य ग्रहो के बारे भी इन की यही गंदी सोच हे, अच्छा सोचना इस के जींस मे नही हे, इस फ़िल्म के बारे क्या कहुं
ReplyDeleteरोचक जानकारी है। धन्यवाद।
ReplyDeleteसही कहा आपने। जब मानवीय ज्ञान की कोई सीमा नहीं है, तो फिर कम्प्यूटर की सुरक्षा का कोई पैमाना कैसे तय हो सकता है।
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