हम लोग मनाली से चायल गये। मेरे कुछ मित्रों ने कहा था।
'जब तुम शिमला और मनाली जा रहे हो तब चायल जाना बेकार ही है। वहां रूकने की भी जरूरत नहीं है।'लेकिन मुझे यहां आकर लगा कि इन सब जगहों में चायल सबसे सुन्दर है।
पिछले साल जब हम सिक्किम गये थे तब वहां बहुत हरे भरे दृश्य दिखायी पड़े थे। लेकिन शिमला या मनाली में हर जगह हरियाली दिखायी नहीं पड़ी। वहां पर कभी कभी अक्सर हरियाली रहित पहाडियां दिखती थी। लेकिन चायल आते समय हम लोगो को रास्ता सुन्दर लगा। चायल के रास्ते में कोई भी पहाड़ी हरियाली रहित नहीं नजर आयी। सब में इतनी हरियाली थी जितनी और कहीं नहीं। वहां पर प्राकृतिक सौंदर्य भी था और हवा में प्रदूषण भी कम।
चायल में महाराजा और पटियाला यादुवेन्द्र सिंह का महल था। यह भवन १८९१ में बना था। हिमाचल सरकार के पर्यटन विभाग ने इसे १९७२ में महाराजा पटियाला से ख़रीद लिया। उसके बाद महाराजा पटियाला और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच एक मुकदमा भी चला।
महाराजा का कहना था कि उसने केवल भवन बेचा है जब कि हिमाचल प्रदेश सरकार का कहना था कि उसने सारी जमीन भी बेची है। यह मुकदमा अन्त में हिमाचल सरकार के पक्ष में तय हुआ। इसमें अब एक प्रीमियम हैरीटेज़ होटल बना दिया है।
हम लोग वहां पर गये। यह करीब ७२ एकड में, बहुत सुन्दर होटल है। इसके अन्दर जाने के लिए सौ रुपये का टिकट लेना पड़ता है। यदि आप उस होटल में ठहरते हैं तब यह आपके कमरे के रेट के साथ जुड़ जाता है अन्यथा केवल सौ रुपया इस जगह को देखने के लिए ही है। हम लोग जब अन्दर गये तब टिकट लिया। एक लम्बी सी ड्राइव-इन के बाद हम महल में पहुंचे। रास्ते में, टेनिस बैडमिंटन खेलने के लिए बने हुए कोर्ट दिखे।
राहुल और उनकी पत्नी चायल पैलेसे के सामने लॉन में |
महल के सामने एक सुन्दर सा लान है। यहां मेरी मुलाकात राहुल और उनकी पत्नी से हुई। राहुल दिल्ली में इंजीनियर हैं और इलेक्ट्रानिक डिज़ाइन का काम करते है। जब मैंने उनसे यहां आने का कारण पूछा तब उनका जवाब था,
'मैं पूरा हिमालय घूम चुका हूं। मेरी पत्नी हिमालय जाना चाहती थी। मुझे लगा कि मैं उसे सबसे सुन्दर जगह ले जाऊं। यह हिमालय की सबसे सुन्दर जगह है। इसलिये मैं उसे यहां लाया हूं।'मैंने पूछा,
'होटल के कमरे कैसे है। सुना है कि बहुत महंगे है।'उसने कहा,
'सच पूछिए तो यह लोग जिस तरह की वह सुविधा देते है। उसके हिसाब से यह बहुत सस्ता है।'हम लोग होटल के स्वागत कक्ष पर गये। स्वागत कक्ष जाते समय, लॉन में मेरी मुलाकात सुन्दर केशों का मलिका, साहिबा से हुई थी। इसकी चर्चा मैं पहले यहां कर चुका हूं।
स्वागत कक्ष महाराजा का प्राइवेट थियेटर हुआ करता था। वे कभी-कभी फिल्में भी देखा करते थे। स्वागत कक्ष पर मेरी मुलाकात सुश्री सरला चोपड़ा से हुई। वे बात करने में बहुत ही मधुर थीं। उन्होनें बताया,
'इस होटल में बहुत सारी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। इसमें प्रमुख रूप से दाग, झुक गया आसमान, कुदरत, और थ्री इडियट है। आईसीसीआई प्रूडिशयल के विज्ञापन की भी शूटिंग यहीं हुई है।'थ्री इडियट में, १० साल बाद जब रैन्चो से मिलने, उसके घर जाते हैं, तब इसी होटेल को उसका घर दिखाया गया है।
मैंने सरला जी से पूछा कि मैने तो सुना है कि इसके कमरे बहुत ही महंगे हैं। उन्होनें मुझ को एक कार्ड निकाल कर दिया। उस कार्ड के अनुसार वहां पर कुछ लॉगहट हैं। इनके १५००/-रूपये प्रतिदिन के हिसाब से शुरू होता है। सबसे महंगा कमरा महाराजा स्वीट है। इस रेट १५,०००/-रूपये प्रतिदिन का है।
मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं महाराजा स्वीट देख सकता हूं। उन्होनें कहा अवश्य और उन्होंने लच्छू को चाभी देकर कहा,
'इन लोगों को महाराजा स्वीट दिखा दो।'महाराजा स्वीट में दो बेड रूम, दो बाथरूम और एक ड्रेसिंग रूम है और बहुत ही सुन्दर कमरे हैं। इसके बाद हम उनके रेस्त्रां भी गये। वहां पर कोल्ड काफ़ी और एक कटलेट खाने को लिया। यह वही कमरा है जो महाराजा के समय में डाइनिंग रूम हुआ करता था।
होटल में कुछ आयुर्वेद रिजूवेशन भी चलता है जिसमे अलग अलग तरीके का मालिश भी करा सकते है। मुझे यह पता नहीं चल पाया कि यह मालिश उसी तरह की है जैसे केरल में होती है या इसकी कोई दूसरी विधि है। उनके पैम्फ्लेट पढने से लगा कि शायद यह कुछ केरल की तरह की है।
होटेल के बाहर आने के बाद लगा कि, राहुल जो मुझे बाहर लॉन में मिले थे, शायद उनकी बात सच है। मुझे दुख लगा कि मैं यहां क्यों नहीं ठहरा था। अगली बार चायल जाऊंगा तब वहीं ठहरूंगा।
'उन्मुक्त जी, सब समझ में आया लेकिन इस चिट्ठी का शीर्षक समझ में नहीं आया। मालुम नहीं आप शीर्षक क्या देते हैं और लिखते क्या हैं।'
अरे मैं तो भूल गया। यह दाग फिल्म का प्यारा सा गाना है जो चायल में फिल्माया गया है। चायल के सुन्दर दृश्य शर्मिला टैगोर और राजेश खन्ना के साथ देखें।
अगली बार मिलेंगे, तब कुफरी चलेंगे।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में, या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। नग्गर में, रोरिख संग्रहालय।। मेरे दिल में आज क्या है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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सांकेतिक शब्द
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उन्हें शीर्षक समझने दिजिये, हम तो आपको शुभकामनाएँ देने आये हैं:
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
नमस्कार,
ReplyDeleteब्लॉग बनाने से पहले से याहू पर आपको फ़ॉलो कर रहा हूँ, कमेंट शायद पहली बार कर रहा हूँ, credit goes to title of this post:)
मेरा फ़ेवरेट गीत है ये, टाईटिल देखकर समझ गया था कि इसकी शूटिंग हिमाचल में हुई होगी। जानकारी शेयर करने के लिये आभार, अब तो यहाँ जाना ही होगा।
शुभ दीपावली।
चायल पैलेस प्रीमियम हेरिटेज होटेल !
ReplyDeleteज्योति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !
आपको सपरिवार दिपोत्सव की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteचायल जाकर अच्छा लगा..
ReplyDeleteपूरा होटल दर्शन करा दिया आपने।
ReplyDeleteदीपावली आपको सुख ,समृद्धि और शांति प्रदान करे इसी कामना के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें .......
ReplyDeleteमुझे अगर कोल्ड एलर्जी न होती ...आपके अनुभवों का फायदा उठाया जाता :-(
ReplyDeleteपिछले साल सिक्किम से ...लाल आँखे और बहती नाक लेकर लौटी थी....उसपर भी पहाड़ी स्थानों में साँस लेने में मुझे समस्या होने लगती है....वो लोग कितने भाग्यशाली होते हैं जिन्हें यह सब समस्याएं नही होती :)
पता नहीं था इसके बारे में. भुत खुबसूरत जाने लायक जगह लगती है.
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