Friday, March 25, 2011

शिव ने पार्वती को चूम लिया

दक्षिण में चोल राजवंश ने ९वीं से १४वीं शताब्दी तक राज्य किया। उन्होंने गंगई कोंडा चोलापुरम में वृहद ईश्वर मंदिर बनवाया। इस चिट्ठी में, इस मन्दिर की चर्चा है।
बृहद ईश्वर मन्दिर - चित्र विकिपीडिया से

दक्षिण में  चोल राजवंश ने ९वीं  से  १४वीं शताब्दी तक राज्य किया। ११वीं शताब्दी की शुरुवात में, राजेन्द्र चोल-I (१०१२-१०४४ ईसवी) ने वृहद ईश्वर मंदिर का निर्माण किया। इस मंदिर का निर्माण, पाला राजवंश पर जीत के स्मरणोत्सव के रूप में किया गया है। यह मंदिर शिव भगवान को अर्पित है। इसे, युनेस्को के द्वारा, विश्व धरोहर स्थान का दर्जा दिया गया है।

इस मंदिर के बाहर की तरफ, कई तरह की मूर्तियां हैं। इनमें से एक मूर्ति, गणेश जी की, नृत्य करते हुए है। इसकी कथा कुछ इस प्रकार की है 

एक बार गणेश जी को, एक तरफ से पार्वती और एक तरफ से शिव, चूम रहे थे। गणेश जी नीचे बैठ गये। इस कारण, शिव और पार्वती ने एक दूसरे को चूम लिया। इस बात पर प्रसन्न होकर, गणेश जी नृत्य करने लगे। इस मूर्ति में यही दर्शाया गया है। यह  मूर्ति, देवताओं में, मानवीय गुणों को बताती है। 
अर्ध-नारीश्वर


एक अन्य मूर्ति थी जिसमें कुछ अर्द्व नारीश्वर का रूप दिया गया है। इसमे आधा नर और आधा नारी का रूप दिखाया गया है।

लिंग केवल स्त्री और पुरूष में नहीं  बाँटा जा सकता है। कुछ लोग बीच के हैं। मेरे विचार से,  अर्ध-नारीश्वर की कल्पना, इस तरह के लोगों को समाज में मान्यता देने के लिए, की गयी है। इस तरह की चर्चा, मैंने अपनी चिट्ठी Trans-gendered – सेक्स परिवर्तित पुरुष या स्त्री में भी की है। 

इस मंदिर में रोज़ ऊपर जाने की अनुमति नहीं होती थी। लेकिन उस दिन श्री अरबिन्दो आश्रम के स्कूल के बच्चे आये थे। उनके लिए खास अनुमति थी। जिसके कारण हम लोग भी, मंदिर के ऊपर जा सके।

वहां पर लोगों ने बताया कि मंदिर पूजा करने का ही स्थान नहीं होता था। वहां पर बहुत कुछ अन्य कार्य भी किया जाता था। ऊपर से दूर तक दिखाई पड़ता था। यह इसलिए था कि यदि बाहर से कोई आक्रमण हो तो वह दिखाई पड़ सके।
 
आश्रम विद्यालय के छात्रों को, उनके गुरुदेव समझाते हुऐ
भगवान शिव को नटराज भी कहा जाता है और शायद इसीलिए कहा जाता है कि वह नाट्य शास्त्र के गुरू है और इसकी कथा भी कुछ इस तरह बतायी गयी।

कुछ ऋषि  थे। लेकिन वे अच्छे नहीं थे। भगवान शिव और  विष्णु को लगा कि इन्हें समाप्त किया जाना चाहिए। भगवान विष्णु ने एक मोहनी का स्वरूप रखा और भगवान शिव ने एक शिकारी का रूप रख कर वहां पहुंचे। मोहिनी पर, ऋषि लोग मोहित हो गये और उनकी पत्नियां शिकारी पर। 
  
बाद में, ऋषियों को पता चला यह लोग धोखा दे रहे हैं। तब वे लोग, इन दोनों को मारने के लिए, एक यज्ञ कर उसमें अपनी शक्ति डाली। इस पर उसमें से एक बाघ निकला। कहा जाता है कि जब वह भगवान शिव की तरफ बढ़ा तब उन्होंने उसकी गर्दन पकड़ कर मरोड़ दी और उसकी खाल निकाल कर पहन ली।
नटराज की मूर्ति

जब उनका पहला प्रयत्न विफल हो गया तब उसके बाद उन्होंने दूसरे प्रयत्न में, अपनी शक्ति से, सांप निकाले। शिव जी उन्हें पकड़कर अपने गले में डाल लिया।



तीसरी बार,  यज्ञ से एक छोटा सा बौना दानव निकला। वह अंधा था। जब वह शिव जी के पास मारने के लिए आया तो शिवजी ने उसको पैर रख कर दबा दिया और प्रसन्न कर और नृत्य करने लगें। उस समय भारत मुनि उपस्थित थे। उन्होंने उसका वर्णन किया और तभी नृत्य शास्त्र का जन्म हुआ।

नटराज की नृत्य करती हुई यह प्रतिमा अक्सर दिखाई पड़ती है। उसके एक हाथ में डमरू तथा दूसरे हाथ में आग है और उसके पैर के नीचे जो बौना दिखाई पड़ता है वह वही अंधा बौना दानव है। यह हर मूर्ति में नहीं है पर अधिकतर मूर्तियों में दिखायी पड़ता है। 

वास्तव में जो यह नटराज की मूर्ति नृत्य करते हुए है। यह एक प्रकृति की सृजन एवं विनाश को बताती है कि किस तरह से इस सृष्टि की रचना और उसका अंत। इसके बारे में कार्ल सेगन ने अपनी टीवी श्रृंखला में बताया है। इसकी चर्चा मैंने, डार्विन की श्रृंखला की इस कड़ी में की है।

हम लोग जब गंगई कोंडा चोलापुरम गये थे तो वहां पर कोई भी ढ़ंग का शौचालय नहीं था। वहां पर बहुत सारे विदेशी पर्यटक और अपने देश के पर्यटक जाते हैं। यदि साफ सुथरा
शौचालय होगा तब पर्यटन को अधिक बढ़ावा मिलेगा। 

मेरे विचार से, साफ सुथरा शौचालय का निर्माण बहुत आसानी से हो सकता है। वहां पर पंचायतें हैं। उन्हें पंचायत निधि भी मिलती है। इस निधि से इसका आसानी से निर्माण किया जा सकता है। हमने वहां के प्रधान को यह सलाह दी। उसने हमसे वायदा किया गया कि वह ऐसा ही करेगा। आप जब कभी जायें तो हो सकता है कि आपको वहां साफ सुथरा शौचालय भी मिले। इस तरह की, सलाह हमने कुफरी में भी दी थी।

अगली बार कुछ चर्चा श्री अरबिन्दो की समाधि एवं मां की।

नोट: राहुल जी ने टिप्पणी की,
'गंगई कोंडा चोलापुरम' नाम में गंगा का पानी के साथ जुड़ा इतिहास है, इसकी भी एक पंक्ति लगा दें तो बेहतर।
उनसे ईमेल से वार्ता होने के बाद, उन्होंने बताया,
'गंगई कोंड चोलपुरम' नाम, जैसा मैं याद कर पा रहा हूं कि गंगा का पानी और चोलों के पुर का द्योतक है, शायद चोलों के उत्‍तरी विजय अभियान के स्‍मारक स्‍वरूप दिया गया नाम।

मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा
 हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर, गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।। शाम सुहानी लग रही थी।। महिलाएं बेवकूफ़ बन रही हैं।। पैंतालिस मिनट में पांच हजार लोगों का खाना।। यह स्कूल अनूठा है।। शिव ने पार्वती को चूम लिया।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने
  
 
About this post in Hindi-Roman and English 
is chitthi  mein ganganaikkonda cholapuran ke brihad ishwar mandir kee charcha hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post talks about Brihad Ishwar temple at Ganganaikkonda cholapuran. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो,  मौज मस्ती,

12 comments:

  1. बहुत रोचक जानकारी । आनंद आता है इस तरह के घुमंतू विवरण पढ़ते हुए।

    ReplyDelete
  2. अच्छी और नवीनतम जानकारी के लिए आपका आभार !

    ReplyDelete
  3. शिव का नृत्य आक्रमणों पर विजय पाने का नाम है।

    ReplyDelete
  4. कुछ फोटो और अपेक्षित थे...

    ReplyDelete
  5. 'गंगई कोंडा चोलापुरम' नाम में गंगा का पानी के साथ जुड़ा इतिहास है, इसकी भी एक पंक्ति लगा दें तो बेहतर.

    ReplyDelete
  6. राहुल जी की टिप्पणी से कुछ कुछ इतिहास की किताबों में पढ़े पृष्ठ ताजा हो गये।

    ReplyDelete
  7. अच्छी जानकारी, पिछले पोस्ट के स्कूल वाली जानकारी भी रोचक रही.

    ReplyDelete
  8. हमारे पुराणकार मनीषी कितनी उर्वर कल्पना वाले थे-शिव से जुड़े अनेक आख्यानों को आपने रोचक तरीके से प्रस्तुत किया . ...आश्चर्य यह है कि धुर कैलाश पर्वत(हिमालय ) से कन्याकुमारी तक इन लोक कथाओं में मामूली फेरबदल है ....पर हैं ये हर जगह विद्यमान ....क्या कारण हो सकता है -मानव आबादी का उत्तर या फिर दक्षिण से पलायन ? और स्मृति शेष के रूप में ये कथाये और स्थापत्य कलाएं !?
    कभी सोचिये !

    ReplyDelete
  9. बहुत अच्छा लगा इस मंदिर के बारे में जानकार । आपके दिए लिंक को भी देखा , बहुत रोचक समीक्षा है।

    ReplyDelete
  10. ज्ञानवर्धक जानकारी ...

    ReplyDelete
  11. शिव-पार्वती महिमा अच्छी रही,पोस्ट को चित्र से ज्यादा स्थान (मुखपृष्ठ)पर दें तो अच्छा रहेगा !

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।