इस चिट्ठी में, रामानुजन के द्वारा हार्डी को लिखे पत्र की, चर्चा है।
हार्डी को, रामानुजन के द्वारा लिखे पत्र में एक प्रमेय - चित्र विकिपीडिया से |
हार्डी को, श्रीनिवास रामानुजन का पत्र, जनवरी १९१३ में मिला था। इस पत्र में लिखा था,
'Sir,
I beg to introduce myself as a clerk in the Accounts Department.. I have no University education... I have not trodden through the conventional regular course..but I am striking out a new path myself. I have made special investigation... and the result ... are termed as startling by local mathematicians.
...
Very recently I came across a tract published by you styled Orders of Infinity in page 36 of which I find a statement that no definite expression has been as yet found for the number of prime numbers less than any given number. I have found an expression which very nearly approximates to the real result, the error being negligible. I would request you to go through the enclosed papers. If you are convinced that there is anything of value I would like to have my theorems published. I have not given the actual investigations nor the expressions that I get but I have indicated the lines on which I proceed. Being inexperienced I would very highly value and advice you give me. Requesting to be excused for the trouble I give you.
I remain, Dear Sir, Yours truly,
S. Ramanujan.'
मैं एकाउन्ट विभाग में ....२० पाउन्ड पर एक क्लर्क हूं । मुझे विश्वविद्यालय की शिक्षा नहीं मिली है... मै अपने लिए एक नया रास्ता ढूंढ रहा हूं। मैने कुछ परिणाम निकाले है जिनके बारे में यहां के गणितज्ञ आश्चर्यजनक कहते है। यदि आपको यह ठीक लगते हो तो क्या इसे प्रकाशित करवाने में मेरी मदद करेगें।
…
कुछ समय पहले, मैंने आपके एक लेख 'ऑर्डरस् ऑफ इन्फिनिटी' को पढ़ा था इसके पेज ३६ पर लिखा है कि किसी संख्या से कम अभाज्य संख्याओं को पता करने के लिये अभी तक कोई तरीका नहीं मिला है लेकिन मैंने तरीका निकाला है जो कि वास्तविकता से मेल खाता है और उसमें गलती नहीं के बराबर है। कृपया इस पत्र के साथ संलग्न पेपर को देखें। यदि आपको लगता है कि उसमें कुछ महत्व की बात है तो मैं उसे प्रकाशित करवाना चाहूंगा। मैंने अपने वास्तविक खोजबीन या तरीके के बारे में नहीं लिखा है पर उस दिशा को बताया है जिस पर मैं चल रहा हूं। मेरे पास अनुभव की कमी है। यदि आप मुझे कुछ सलाह देगें तो मैं उसका आभार मानूगां । आपको कष्ट पहुचाने के लिये क्षमा करें।
इसमें उनके कुछ प्रमेय और उनके उत्तर लिखे थे। हार्डी के अनुसार, इनमें से कुछ गलत थे तथा कुछ को हार्डी मुश्किल से सिद्ध कर सकते थे। बहुत कुछ ऎसे भी थे जिनके बारे में हार्डी ने न कभी सुना था और न ही कभी देखा था और तब हार्डी के अनुसार,
'The romantic incident of my life began.'हार्डी को भेजे गये पत्र में लिखे, कुछ प्रमेयों ने हार्डी को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। वह प्रमेय निम्न था।
मेरे जीवन का रूमानी संयोग शुरू हुआ।
१+२+३+४+....+ ∞= -१/१२यह वही प्रमेय थे जिसके बारे में, एम जे एल हिल ने ग्रिफिथ के द्वारा उन्हें रामानुजन के काम के बारे में भेजे गये पत्र के जवाब में लिखा था,
१२+२२+३२+....+ ∞२= ०
१३+२३+३३+....+ ∞३= १/१२०
'Mr ramanujan has fallen into the pitfalls of the very difficult subject of Divergent series. Otherwise he could not have got the erroneous results you send me.'
रामनुजन, गणित में डाइवर्जेनट श्रृंखला विषय की मुशकिलों में फंस गये हैं। अन्यथा उन्हें वह गलत फल नहीं मिलते जो कि तुमने मुझे भेजें हैं।
पत्र में लिख एक और प्रमेय - चित्र विकिपीडिया से |
इन्हीं के बारे में, मैंने अपनी चिट्ठी 'रामानुजन, गणित की मुशकिलों में फंस गये हैं' में लिखा है। अगली बार समझेंगे कि क्यों इन प्रमेयों ने, हार्डी को क्यों सबसे ज्यादा प्रभावित किया? क्यों इन्हें हिल समझ नहीं पाये?
अनन्त का ज्ञानी - श्रीनिवास रामानुजन
सांकेतिक शब्द
। Ramanujan's letter to Hardy, prime numbers, Euclid, Bernhard Riemann, Riemann hypothesis, Riemann zeta function, । Srinivasa-Ramanujan,
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"मेरे जीवन का रूमानी संयोग शुरू हुआ।"
ReplyDeleteक्या बात कही हार्डी ने .....अब देखिये न रुमान का कोई रूढ़ अर्थ नहीं है जैसा कि ज्यादातर हिन्दी वाले समझते हैं!आपका भी मैथ से रूमानी रिश्ता है- अब यह पहला रुमान था या नहीं -आपने कभी बाताया नहीं!
आज की पोस्ट मुकम्मल है !
अरविन्द जी, जीवन विचित्र है। बहुत सी इच्छायें मन में ही रह जाती हैं।
Deleteone can start at any phase of life whenever feels one is comfortable enough .
DeletePure series ko itane rochak dhang se prastut karane ke liye dhanywaad.
ReplyDeleteइन सूत्रों को देखकर आश्चर्य के अतिरिक्त कुछ और नहीं हो सकता है...
ReplyDeleteIf i m not spoiling the sequence of blogger then those who want to read full proof of sigma N ( limit tends to infinity ) here is the link .
ReplyDeletehttp://math.ucr.edu/home/baez/twf_ascii/week126
also the second letter written by S Ramanujan to Hardy can be read at the bottom .
ReplyDeleteआपका आभार क्योकि आप से सदा ही नयी जानकारी प्राप्त होती है जो और कहीं से नहीं मिल सकती है ।