बचपन में एक कहावत पढ़ी थी Slow but steady wins the race धीरे पर निरन्तर चलने वाले की जीत होती है। इसको समझने के लिये एक कहानी कुछ प्रकार से बतायी जाती थी।
एक बार कछुवा और खरगोश में एक रेस होती है खरगोश आगे निकल जाता है पर सोचता है कि थोड़ी देर आराम कर लूं जब चाहूंगा तब कछुवे को हरा दूंगा। वह आराम करने लगता है और सो जाता है। थोड़ी देर में, कछुवा घीरे-धीरे चल कर उसको पार कर रेस जीत लेता है। खरगोश अपने आत्मविश्वास के कारण हार जाता है। इस कहानी में अब कुछ और जुड़ गया है।
रेस के बाद, रात को खरगोश को खुद पर शर्म आती है और वह कछुवे से रेस को एक बार फिर से करवाने के लिये कहता है। कछुवा सहमत हो जाता है। इस बार खरगोश आराम नहीं करता और आसानी से रेस जीत लेता है। कछुवे को शर्मिन्दगी महसूस नहीं होती क्योंकि वह अपने मजबूत और कमजोर पक्षों के बारे में जानता है। वह खरगोश से एक और रेस के लिए कहता है लेकिन शर्त यह है कि रेस का मार्ग कछुवा ही तय करेगा। खरगोश सहमत हो जाता है। वे दौड़ना शुरू करते हैं। खरगोश तेजी से दौड़ता है, लेकिन कुछ देर बाद अटक जाता है क्योंकि रास्ते में एक नदी है और खरगोश तैर नहीं सकता। कछुआ कुछ देर बाद पहुंचता है पर तैर कर नदी पार कर लेता है और मंजिल तक पहुंच जाता है।
पराजित खरगोश उसी रास्ते पर एक बार फिर रेस लगाने की प्रार्थना करता है, लेकिन एक नई रूपरेखा के साथ। वह सुझाव देता है कि जमीन पर रहते समय कछुवा खरगोश की पीठ पर बैठे, जबकि पानी में होने पर खरगोश कछुवे की पीठ पर बैठे। वे बिल्कुल ऐसा ही करते हैं और पहले से बहुत कम समय में रेस समाप्त कर लेते हैं और जल्दी ही प्रतिस्पर्धियों की जगह एक दूसरे का सहयोग करने वाले अच्छे दोस्त बन जाते हैं।
इस कहानी का सबक है - यदि लोग मिल कर चलेंगें और सहयोग से रहेगें तो न केवल सफर जल्दी कटेगा पर सुहाना भी होगा।
अब आप ओपेन सोर्स का साथ कछुवे और खरगोश के साथ का सम्बन्ध समझ गये होंगे। ओपेन सोर्स का पहला और सिद्धान्त है एक दूसरे का सहयोग करना - आप मेरी सहायता करें और मैं आपकी। हम मिलकर न केवल अच्छे सॉफ्टवेयर बना पायेंगें पर उसमें साथ का आनन्द भी पायेंगें।
मैं इसी के साथ यह चिट्ठी समाप्त करता हूं और आप पढ़िये फोर्बस् पत्रिका का यह लेख - क्या आने वाला कल लिनेक्स डेस्कटौप का होगा?
यदि आप ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर या लिनेक्स के बारे में पढ़ना चाहें तो मेरे लेख चिट्ठे पर यहां और यहां पढ सकते हैं।
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ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर श्रंखला की पुरानी कड़ियां
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कछुआ और खरगोश की परिवर्धित कहानी अच्छी लगी।
ReplyDeleteमैने आपकी कहावत कुछ ऐसी पढ़ी थी - स्लो एन्ड स्टीडी विन्स द रेस.
I think it was Slow and STEADY--
ReplyDeleteOkay, not to picky or something but it is "Slow but steady wins the race"
ReplyDeleteहां, टाईप करते समय गलती हो गयी - धन्यवाद।
ReplyDeleteहम्म्म ... इतनी टिप्पणियां तो मुझे कभी मिली नहीं।
टिप्पणी पाने का एक आइडिया मिल गया।
कछुए और खरगोश की कहानी का ओपेन सोर्स संस्करण अच्छा है और ओपेन सोर्स की महत्ता और मूल भावना को चुटकियोँ में प्रभावी रूप से प्रस्तुत करता है।
ReplyDeleteआपके कंटिये से मैं फंसा आया और सही जगह आया! :)
ReplyDeleteबढ़िया लेख है.
ज्ञानजी के ब्लाग पर देखने के बाद से दुबारा पढ़ा। अच्छा लगा।
ReplyDeleteइसे पोडकास्ट करने की अनुमति दीजिये उन्मुक्त जी
ReplyDeleteगिरीश जी, मेरी सारी चिट्ठियां और पॉडकास्ट में न कॉपीराइट, न प्रयोग करने की शर्त है। सबको इसका इसी प्रकार या संशोधन कर प्रयोग करने की स्वतंत्रता है।
ReplyDeleteशायद इसी लिये किसी अज्ञात मित्र ने यह शुरू किया है :-)