Sunday, February 14, 2010

अपने प्यार को ढ़ूंढिये

विश्वविद्यालयों का दीक्षांत समारोह, न उसके विद्यार्थियों के लिये पर विश्वविद्यालय के लिये भी महत्वपूर्ण होता है। विद्यार्थी इस दिन अपने नये जीवन में प्रवेश करते हैं और विश्वविद्यालय के लिये यह मील का पत्थर होता है। इस दिन, हर विश्विद्यालय किसी खास व्यक्ति को छात्रों के बीच व्याख्यान के लिये आमंत्रित करता है

स्टीव जॉबस् का यह चित्र विकीपीडिया से

'धत्त तेरे कि, हम तो समझे थे कि वेलेंटाइन दिवस पर उन्मुक्त जी, उन्मुक्त हो कर प्रेम चर्चा करेंगे। यहां तो मालुम नहीं कहां विश्वविद्यालय के चक्कर में पड़ गये हैं।'


स्टैनफोर्ड विश्विद्यालय दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय के वर्ष २००५ के दीक्षांत समारोह पर, स्टीव जॉबस्  व्याख्यान देने के लिये आये।


स्टीव,  ऍप्पेल कंप्यूटर के जनक हैं। इसमें शक नहीं कि इन कंप्यूटरों का कोई मुकाबला नहीं है। यह दुनिया के सबसे बेहतरीन कंप्यूटर हैं। विंडोज़ तो इसे केवल कॉपी करने की कोशिश है। 

ऍप्पेल कंप्यूटर के द्वारा, मैकिंटॉश कंप्यूटर २४, जनवरी १९८४ में बजार में उतारा गया था। इसका विज्ञापन, अमेरिका की सबसे बड़ी प्रोफेशनल लीग - नेशनल फुटबाल लीग (National Football League) - के द्वारा आयोजित सुपर बोल (Super Bowl) प्रतियोगिता के दौरान, २२ जनवरी १९८४ में दिखाया गया था। इस उत्पाद ने न केवल कंप्यूटरों  की दुनिया बदल दी पर विज्ञापनो के आयाम भी। इसके बारे में मैंने यहां विस्तार से लिखा है।

मेरे बेटे को मैक ऍप्पेल कंप्यूटर पसन्द हैं। वह इसी के लैपटॉप पर काम करता है। मैं स्वयं ओपेन सोर्स का समर्थक हूं और ओपेन सोर्स पर चलने वाले कंप्यूटरों का प्रयोग करता हूं। लेकिन यदि कभी ओपेन सोर्स को छोड़ूंगा तो फिर ऍप्पेल कंप्यूटर ही लूंगा। क्यों नकल की हुई चीज ली जाय।
'कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती। चालू हो गये उन्मुक्त जी, ओपेन सोर्स के बारे में।'
स्टैनफोर्ड विश्विद्यालय में, २००५ के दीक्षांत समारोह पर, स्टीव के द्वारा दिया गया यह व्याख्यान जितना प्रेणनाप्रद है, उतना प्रेरित करने वाला भाषण कम ही सुनने को मिलता है। कम से कम, मुझे याद नहीं कि मैंने इसके पहले कब ऐसा भाषण सुना था। इसे मैं कई बार सुन चुका हूं। मुझे लगा कि प्रेम के दिवस पर इससे अच्छी कोई और चिट्ठी नहीं हो सकती है।
'किसी ने सच कहा है कि बुढ़ापे की तरफ पहुंचते ही लोग सठियाने लगते हैं। उन्मुक्त जी, अधिक उम्र वाले हिन्दी चिट्ठाकार हैं। उनकी आंखें कमजोर हो गयीं हैं, २००८ में मरते मरते बचे थे - लगता है कि अब सठिया भी गये हैं। आज के रोज कोई बढ़िया सी प्यार के बारे में चिट्ठी लिखनी थी। यहां तो भाषण की बात करने लगे - भगवान ही इनका मालिक है।'

स्टीव के जीवन में तीन महत्वपूर्ण घटनायें हुई हैं,
  • पहली, वे विश्वविद्यालय तो गये पर डिग्री न ले सके। उन्होंने विश्विद्यालय छोड़ दिया (ड्रॉप आउट)। 
  • दूसरा, वे ऍप्पेल कंप्यूटर से निकाल दिये गये। ऍप्पेल कंपनी डूबने लगी। उसने स्टीव से वापस आने की प्रार्थना की। आज ऍप्पेल कंपनी पुनः बुलंदियों पर है। इसका कारण वे ही हैं।
  • तीसरा, उन्हे पाचक-ग्रंथि में कैंसर हो गया और पता चला कि वे छः महीने तक ही जीवित रह सकेंगे। लेकिन बाद में पता चला कि यह कैंसर ऑपरेशन से ठीक हो सकता है। वे ऑपरेशन करा कर ठीक हो गये।   
इस भाषण में, वे इन्हीं तीन घटनाओं का जिक्र करते हुऐ, जीवन के दर्शन को बताते हैं।
'मैं तो चला चिट्ठाचर्चा देखने। उन्मुक्त जी तो वहां मिलते नहीं हैं। लेकिन  आज तो वहां बढ़िया, बढ़िया प्रेम चिट्ठियों के लिंक होंगे। यहां तो बोरियत हो रही है। मालुम नहीं क्यों, आज के दिन यह चिट्ठी प्रकाशित कर दी है।'
अपने व्याख्यान में, स्टीव कहते है कि,
'The only thing that kept me going was that I loved what I did. You've got to find what you love ... the only way to do great work is to love what you do. If you haven't found it yet, keep looking. Don't settle. As with all matters of the heart, you'll know when you find it. And, like any great relationship, it just gets better and better as the years roll on.'
मैं जो भी करता हूं उससे प्यार करता हूं। इसी ने मुझे आगे चलते रहने की प्रेणना दी। तुम्हे वह तलाशना है जिससे तुम प्यार करते हो ... जीवन में किसी बड़े सफल काम को करने के लिऐ, तुम जो भी करो, उससे प्यार करो। यदि तुम्हें अपना प्यार नहीं मिला है तो उसे ढूंढो - रुको नहीं। तुम्हें मालुम चल जायगा जब वह तुम्हें मिलेगा। यह दिल के किसी भी अन्य विषय की तरह है। समय बीतते, यह किसी भी अन्य रिश्ते की तरह बेहतर होता जायेगा।
 
उसकी यदि आप स्टीव के भाषण को पढ़ें तो आपको लगेगा कि उसके जीवन की इन तीनों महत्वपूर्ण घटनाओं को, जीवन के दर्शन से जोड़ने वाला धागा,  प्यार ही है। बस, इसी लिऐ, मैंने इसे प्यार दिवस पर इस चिट्ठी को प्रकाशित किया है। 

यदि आपने इस वीडियो को नहीं देखा है तब अवश्य देखिये। अपने बेटे, बेटियों, और बहुओं को भी दिखायें। यह न केवल उनके लिऐ पर आपके  लिये भी महत्वपूर्ण है - चाहे आपकी उम्र जो भी हो।


जिसमें मन लगे उसे ही करो। यह बात न केवल स्टीव कहते हैं पर शायद हर बड़ा व्यक्ति। कुछ समय पहले भौतिक शास्त्र में नोबेल पुरुस्कार विजेता  रिचर्ड फाइनमेन पर एक श्रंखला लिख कर उसे यहां संग्रहीत किया है। इस श्रंखला में उनके द्वारा दूसरे शब्दों कही गयी यही बात यहां प्रकाशित की है। रिचार्ड फाइनमेन के लिखे पत्रों संग्रहीत कर लिखी गयी बेहतरीन पुस्तक 'Don’t you have time to think' है। मैंने इसकी समीक्षा कई कड़ियों में कर इसे यहां संग्रहीत किया है। 

लीसा से मेरी मुलाकात वियाना में कॉन्वेंट में हुई थी। उसके और मेरे बीच बीच ई-मेल की चर्चा में ई-पाती नामक श्रंखला में करता हूं। यह श्रंखला, नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ दूरी कम करने, और उन्हें जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है। इससे संबन्धित एक चिट्ठी,  लीसा, अपने मन की बात सुनो में मैंने इसे अपने शब्दों में लिखा है।
'उन्मुक्त जी, यह सब छोड़िये, यह तो बताइये कि क्या आप वह काम करते हैं जो आपके दिल के सबसे पास था?'
नहीं, मैं वह नहीं कर पाया। मेरे विद्यार्थी जीवन के समय, जो मां-बाप ने कह देते थे, वही किया जाता था। मैंने भी वैसा ही किया। मेरे पुराने सहपाठी जब भी मिलते हैं तो हमेशा कहते हैं कि वे कभी नहीं सोचते थे कि मैं फाइलों को इधर उधर करूंगा। लेकिन यह भी सच है कि मैंने जो भी किया या करता हूं उस पर न केवल विश्वास करता हूं पर उसे प्यार भी करता हूं। चाहे वह हिन्दी की चिट्ठाकारी ही क्यों न हो :-)

प्रेम और वेलेंटाइन से संबन्धित मेरी कुछ अन्य चिट्ठियां
जाने क्यों लोग ज़हर ज़िन्दगी में भरते हैं।। वेलेंटाइन दिवस, ओपेन सोर्स के साथ मनायें।। वेलेंटाईन दिन।। लिनेक्स प्रेमी पुरुष - ज्यादा कामुक और भावुक???।। तो क्या खिड़की प्रेमी ठंडे और कठोर होते हैं?।। Love means not ever having to say you're sorry।। अनएन्डिंग लव।। प्रेम तो है बस विश्वास, इसे बांध कर रिशतों की दुहाई न दो।। प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।। जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते है।। प्यार किया तो डरना क्या।।

जीवन के दर्शन के बारे में मेरी कुछ चिट्ठियां

अभिषेक जी ने टिप्पणी कर दस बेहतरीन दीक्षांत व्याख्यान के बारे में जानकारी दी है। इसके लिंक नीचे दिये गये हैं। इन्हें भी देखें।


हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi

सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने
देखें।




About this post in Hindi, Roman, and English
यह चिट्ठी नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ दूरी कम करने, और उन्हें जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है। यह बताती कि जो भी करो उससे प्यार करो तभी सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।

yeh chitthi nayee peedhee ko smjhne, unse dooree kum karne, aur unhein jeevan ke moolyon ko smjhaane ka praytna hai. yeh bataatee hai ki jo bhi karo usase pyaar karo tabhi saphalta tumhare kadam choomegee. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is an attempt to understand the new generation, bridge the between gap and to inculcate right values in them. You should love whatever you do - only then you will succeed. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
Steve Jobs, Stanford University, Valentine day,
culture, Family, life, Life, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन दर्शन, जी भर कर जियो, मौज मस्ती, पसन्द-नापसन्द,

Reblog this post [with Zemanta]

4 comments:

  1. सच कह रहे हैं..जानना बहुत जरुरी है की वास्तव में इन्सान चाहता क्या है ...इस चिठ्ठी का धन्यवाद.

    ReplyDelete
  2. उन्मुक्त जी कुछ अंश बहुत faded दिख रहे हैं -पता नहीं मुझे या औरों को भी !

    ReplyDelete
  3. अब सब कुछ स्पष्ट है -कल उद्धृत अंशों को पढने में दिकात हो रही थी पर आज नहीं .
    हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रति आपका प्रेम मन में एक गहरी आश्वस्ति जगाता है -
    प्रेम की सर्वव्यापकता पर काव्यमय आख्यान अच्छा लगा

    ReplyDelete
  4. ये भी देखिये: http://www.businessinsider.com/words-of-wisdom-10-best-commencements-2009-6#words-of-wisdom-steve-jobs-1

    ReplyDelete

आपके विचारों का स्वागत है।