इस चिट्ठी में, महाबलिपुरम में पांच रथ स्मारक का वर्णन है।
पांच रथ - महाबलिपुरम |
हम अपने गाइड लक्षमन के साथ सबसे पहले पांच रथ़ मंदिर देखने गये। लक्षमन के अनुसार यह कोई मन्दिर नहीं हैं पर अलग अलग जगहों में मंदिर बनाने के लिये नमूने हैं। इसमें चार एक लाइन में हैं और पांचवां बगल में है। यह सारे अलग अलग पत्थर बना के एक जगह इकट्ठा नहीं किये गये हैं पर एक चट्टान पर बनाये गये हैं।
लक्षमन के अनुसार,
- पहला दुर्गा जी का मन्दिर जिनका वाहन शेर है।,
- दूसरा, शंकर भगवान का है जिनका कि वाहन नंदी है।,
- तीसरा, भगवान विष्णु का है जिसमें विष्णु भगवान की मूर्ति है लेकिन लगता है जिस विष्णु भगवान शैय्या पर लेटे हो और पत्थर में कुछ कटा हुआ है लगता है कि उसमे शायद उनके वाहन गरूड़ बनाने की बात रही हो लेकिन वह बना नहीं है।
- चौथा सूर्य देवता का है। मैंने पूछा कि वह कैसे कहते है कि वह सूर्य देवता का है उसने एक मूर्ति दिखायी जिसमें लगता था कि चारो तरफ प्रकाश निकल रहा हो इसी से इसे वह सूर्य देवता का मन्दिर कह रहा था। नीचे पत्थरों को गाइड ने बताया कि शायद इसे घोड़ो में बदलना था लेकिन यह काम भी नहीं हो सका। ये चारों मंदिर एक लाइन में है।
- पांचवां, जो बगल में है वह एक हाथी है जो कि बहुत साफ दिखायी पड़ता है। लगता है कि यह ऐरावत है। इससे यह इन्द्र देव का मन्दिर लगता है।
पांच रथ महाबलिपुरम - दूसरी तरफ से दृश्य |
यह रथ, पांच पांडवों और द्रौपदी के नाम से जाने जाते हैं और उन्हीं के नाम से लोकप्रिय हैं। हांलाकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के द्वारा महाबलिपुरम पर प्रकाशित पुस्तक अनुसार, इनका महाभारत से कोई संबन्ध नहीं है। हमारे गाइड लक्षमन का भी यही कहना था।
यह सारे स्मारक या तो अधूरे हैं या फिर तोड़ दिये गये हैं। मैंने लक्षमन से जब यह सवाल पूछा कि ऐसा क्यों है तो उसका जवाब था,
'नवीं शताब्दी में, पल्लवों का युद्व चोल राजवंश (Chola dynasty) के राजा से हुआ था। इसमें वे हार गये थे। विजयी राजा चाहते थे कि पल्लव राजवंश की सारी निशानी नष्ट हो जाय। इसलिये इन्हें तोड़ दिया गया। हांलाकि, वे भी हिन्दू थे।'मुझे तो यही लगता था कि हिन्दओं ने कम से कम हिन्दू मन्दिर नहीं तोड़े पर यह सूचना तो इसे गलत साबित करती है। लगता है कि हिन्दुओं ने भी मन्दिर तोड़े। शायद, राज्य सत्ता को स्थापित करने के लिये, यह सब जायज़ हो या यह इस लिये किया गया हो कि इन्हें प्रतिष्ठित नहीं किया गया था एवं यह केवल मन्दिरों के नमूने थे।
लक्षमन आमिर खान को पांच रथ दिखाते हुऐ - आज-तक की खबर
उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।
मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा
हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
- अनन्तता समझो, ईश्वर के पास पहुंचो: ►
- ईश्वर का ्आस्तित्व नहीं है: ►
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने'
सांकेतिक शब्द
। Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो, मौज मस्ती,
इस देश में कई वैचारिक क्रांतियाँ आयीं और गयीं,,,बौद्धों के कितने प्रतीक विनष्ट किये गए और सनातनियों के भी ..सब प्रभुत्व का खेल है ..
ReplyDeleteकहीं हाथी किसी का प्रतीक है तो कहीं सिंह ..सभी अपने प्रतीकों की उच्चता को लेकर व्यग्र दिखे हैं ....
yakeen nahi hota ...
ReplyDelete