Monday, March 20, 2023

चाहता हूं, कुछ और भी दूं

इस चिट्ठी में, रज्जू भैया की कुछ और यादें और उनके जीवन दर्शन की चर्चा है।

१९९८ में, इलाहाबाद के प्रवास के दौरान, मेरी लिखी पहली पुस्तक पढ़ते हुऐ
  रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना

भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।। आपातकाल के 'निकोलस बेकर'।। भगवान इतने कठोर कि दूध पीने लगें।। चाहता हूं, कुछ और भी दूं

रज्जू भैया सार्वजनिक वक्ता नहीं थे। आम तौर पर वे कक्षा में व्याख्यान देते थे या आरएसएस के स्वयंसेवकों के सामने बोलते थे, हालांकि कभी-कभी जनता उनकी बैठकों में शामिल होती थी। उनके भाषण एकदम सुसंगत, स्पष्ट, और सटीक रहते थे। उनके भाषण के तरीके ने, उन्हें हिंदी के बेहतरीन वक्ताओं में से एक थे। लेकिन वे अंग्रेजी में नहीं बोलते थे।

१९८२ में, हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में भाग लेने के लिये अमेरिका गए, वहां बहुत से भारतीय और विदेशी ऐसे भी थे जिन्हें हिन्दी नहीं आती थी  इसलिये वे अंग्रेजी में बोले। लेकिन जब उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया, तो दर्शकों की सर्वसम्मत राय थी कि वह भाषण उनके द्वारा सुने गये भाषणों में सबसे अच्छा था।

डा. मुरली मनोहर जोशी परिवार सहित
कुछ दशकों पहले, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग ने डॉ मुरली मनोहर जोशी (बाद में केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री) को उनके ६०वें जन्मदिन पर विदाई देने के लिए एक समारोह आयोजित किया था। रज्जू भैया भी साथ थे। ऐसे समय 'शतायु भव' (आप सौ वर्षों तक जीवित रहें) आशीर्वाद देने का चलन है। बहुतों ने ऐसा कहा भी। लेकिन, रज्जू भैया ने कहा, 

“मैं तुम्हें सौ साल के जीने के लिए आशीर्वाद नहीं देता। लेकिन तुम्हारे लिये उस जीवन की कामना करता हूूं कि तुम्हारा हर पल दूसरों की सेवा में लगे; देश हित के लिए हो।”

जोशी ने ऐसा ही जीवन जिया। 

रज्जू भैया का दर्शन क्या था? किस बात ने उनका जीवन नियंत्रित किया। इसका पता उनके प्रिय गीत से लगता है।

हमारे बचपन में टेप रिकॉर्डर एक नवीनता थी। हमारे यहां यह १९६० के दशक में आया। शाम को, हम लोग अपने पसंदीदा गाने/कविता रिकॉर्ड कर रहे थे। उसी समय रज्जू भैया भी आ गये। हमने उनसे भी कुछ रिकॉर्ड करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह गीत सुनाया,  

तन समर्पित, मन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूं देश की मिट्टी,
तुझे कुछ और भी दूं।

यह गीत, उनके मन के सबसे करीब था; यही उनका दर्शन था; इसी के आधार पर उन्होंने ने अपना जीवन जिया; और वे यही चाहते थे कि हम सब इसी का अनुसरण करें। हमने इसकी पूरी कोशिश भी की - कितनी सफलता मिली शायद समय तय करेगा।

इस सदी के शुरू में, इलाहाबाद के घर में, रज्जू भैया के साथ - मेरा बेटा अभी, मैं और पत्नी नीता

About this post in Hindi-Roman and English

Hindi (devnaagree) kee is chitthi mein, rajju bhaiya kee kuchh yaden aur unke darshan kee charchaa hai .
In this post in Hindi (Devanagari script) is about some memories of Rajju Bhaiya and philosophy of his life

सांकेतिक शब्द
। Culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,
 #हिन्दी_ब्लॉगिंग #HindiBlogging 
#Biography #RajjuBhaiy #RSS

3 comments:

  1. Anonymous9:03 am

    विराट व्यक्तित्व

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  2. Anonymous5:47 pm

    सनातन धर्म के पुरोधा

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  3. Anonymous8:14 pm

    आपका परिवार प्रयागराज की धरोहर है

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