'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां' श्रंखला कि इस चिट्ठी में 'तारे, उनका वर्गीकरण और वे क्यों चमकते हैं' के बारे में चर्चा है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।
आकाश में रात्रि में चमकते तारे वास्तव में सूर्य हैं। सभी तारे एक रंग के नहीं होते? दूर से नंगी आँखों से देखने पर वे भले ही चमकदार प्रतीत हों, परन्तु टेलिस्कोप द्वारा देखने पर उनके रंग भिन्न-भिन्न दिखाई देते हैं। इसका कारण है तारों का भिन्न-भिन्न तापमान - रंग , सतह के तापमान पर निर्भर करता है। जैसे कि बिजली के बल्ब का प्रकाश पीला होता है, जबकि बिजली का हीटर गर्म होने पर लाल हो जाता है। ठीक इसी प्रकार अधिक गर्म तारे नीले रंग के दिखाई देते हैं, जबकि उनकी अपेक्षा ठंडे तारे लाल प्रतीत होते हैं। हमारा सूर्य न तो बहुत अधिक गर्म है, न ही बहुत ठंडा, इसलिए वह पीला दिखायी देता है।
कृतिका तारा समूह (pleiades), जिसे देहात में कचबचिया भी कहा जाता है। यह तारे सप्त ऋषियों की पत्नियां भी कहे जाते हैं।
उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त मैं हार्वड वेधशाला ने तारों का वर्गीकरण (stellar classification) इनसे निकली रोशनी का विश्लेषण (जो कि मोटे तौर पर उनके तापमान पर निर्भर करता है) कर इनका वर्गीकरण किया। इस वर्गीकरण को A से शुरू होकर M तक के अक्षरों तक के एल्फाबेट (मुझे इसकी हिन्दी नहीं मिली, क्या कोई बतायेगा) दिखाया गया। बाद मे कुछ वर्ग छोड दिये गये, कुछ दूसरे जोड़ दिये गये और एक नया वर्ग O भी जोड़ा गया। इन सब के बाद वर्ग A, B, F,G, K, M, औरO बचे। अब इनको याद कैसे रखा जाय। इसलिये एक वाक्य बनाया गया। उसके हर शब्द का पहला एल्फाबेट एक वर्ग को चिन्हित करता है। यह वाक्य है,
'Oh Be A Fine Girl Kiss Me'इसके बाद तीन नये वर्ग जोड़े गये जिन्हे R, N, और S इन एल्फाबेट को याद करने के लिये नया वाक्य बनाया गया
'Right Now Sweetheart'मैंने इस वर्गीकरण के बारे में यहां विस्तार से लिखा है।
हमसे सबसे पास तारा - हमारा सूरज
पृथ्वी पर उर्जा के स्रोत समाप्त हो रहे हैं पर सूरज और तारे कहां से इतनी उर्जा ला रहे हैं। वे अरबों साल से रोशनी और गर्मी दे रहे हैं और अरबों साल तक देते रहेंगे। कहां से वे ला रहे हैं इतनी उर्जा।
यह मुश्किल विषय है पर आसान तरीके से यह कहा जा सकता है कि सूरज और तारों पर प्रति संकेण्ड लाखों हाइड्रोजन बम्ब फूट रहे हैं। इसी कारण वे इतनी उर्जा प्रदान कर रहे हैं। मोटे तौर पर हाइड्रोजन हील्यिम में बदल रही है। इस प्रक्रिया में कुछ पदार्थ उर्जा में बदल रहा है। जिसके कारण रोशनी और गर्मी मिल रही है। यह सब अलबर्ट आइंस्टाइन (Albert Einstein) के प्रसिद्घ सिद्घान्त E=mc2 के कारण हो रहा है। इस समीकरण में E वह ऊर्जा है जो m संहति के उत्पन्न हो रही है और c प्रकाश का वेग है।
यह चित्र १ जुलाई १९४६ टाईम पत्रिका के कवर से है
कभी न कभी तो सारी हाइड्रोजन हील्यिम में बदल जायगी, उर्जा का स्रोत समाप्त हो जायगा - तब क्या होगा? इसकी चर्चा अगली बार।
इस चिट्ठी के पहले दोनो चित्र विकीपीडिया के सौजन्य से हैं और उसी की शर्तों के अन्दर हैं।
बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।। ग्रहण पर आधारित कहानियां।। जब रात हुई।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे। तारे, उनका वर्गीकरण, और वे क्यों चमकते हैं।।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.)
- वह तारा ►
- जब रात हुई ►
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
tare kyon chamkte hain, unka vergeekarn kis prkaar kiya gayaa hai - is post per, isse baat kee charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen. Why do the stars shine, how are they classified - is explained in this post. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. |
सांकेतिक शब्द
star, तारे, तारों का वर्गीकरणAstronomy, Astronomy, bible, Bible, culture, Family, fiction, life, Life, Religion, science fiction, Star of Bethlehem, बेथलेहम का तारा, जीवन शैली, धर्म, धर्म- अध्यात्म, विज्ञान, विज्ञान कहानी, समाज, ज्ञान विज्ञान,
उन्कुक्त जी, सभी तारों का तापमान एक सीमा मे अन्दर होता होगा उसी के अनुसार से उनका रंग अलग अलग दिखायी देता है, ऐसे मे रंग के आधार पर तारों को तापमानानुसार वर्गीकृत किया गया है या जा सकता है क्या?
ReplyDeleteस्त्रोत-->स्रोत, कृपया ठीक कर लें।
आपके चिट्ठे के हेडर पर लगी तस्वीर आधे हिस्से को खाली छोड़ रही है, अगर पूरी जगह पर फ़ैली तस्वीर हो तो और अच्छा लगे।
धन्यवाद।
इस महत्वपूर्ण लेख के प्रकाशन के लिए आभार, ऐसे ही नये-नये प्रसंग लिखें खगोलशास्त्र के बारे में!
ReplyDeleteमिश्र जी,
ReplyDeleteगलती सुधारने के लिये धन्यवाद। आपने यह गलती एक बार और भी सुधारी थी।
चित्र को पूरे हैडर पर कर देने से यह चौड़ा हो जाता है। जो न केवल चिट्ठे का स्वरूप बदल देता है पर देखने में अच्छा भी नहीं लगता। इसलिये पूरे हैडर पर नहीं किया है।
यह वर्गीकरण मोटे तौर पर तापमान से ही है। मैंने जहां वर्गीकरण की बात की है वहां stellar classification लिख कर विकीपीडिया की लिंक दे दी है। वहां आपको विस्तार से इसके बारे में सूचना मिल जायगी।
आभार जानकारी के लिए.
ReplyDeleteअरे वाह खगोल ज्ञान बांटने के लिए शुक्रिया......वाकई अच्छी जानकारी
ReplyDeleteतारों के जन्म से उनकी मृत्यु तक की कहानी -श्वेत और कृष्ण वामनों-कूपों की जानकारी भी कभी तफसील से दें!
ReplyDeleteउन्मुक्त जी बहुत अच्छा लगा पढ़कर मै अक्षय मेरे बेटे से कहूँगी वह भी जरूर पढें इतनी रोचक जानकारी देने के लिये शुक्रिया...
ReplyDeletequite interesting...
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