कुफरी में ठंढक में बर्फ जमी रहती है और स्नो स्कीइंग होती है।
वहां एक दंगल हो रहा था। इस दंगल में उत्तर भारत से और नेपाल से जाने माने लोग दंगल करने आये थे। कुफरी सठिया गांव के अन्दर आती है। इस दंगल को, सठिया गांव पंचायत ने आयोजित किया था। इसमे अलग अलग श्रेणी के लिए दो लाख रूपये का पुरस्कार भी था।
इस दंगल में कुछ ड्रम बजाने वाले लोग भी आये थे। कुश्ती के दौरान और बाद में वे चारों ओर ड्रम बजाते हुए घूमते थे। लोग आनन्द ले रहे थे।
यहां पर मेरी मुलाकात लायक राम से हुई। वे उस ग्राम पंचायत के प्रधान के भाई है। उन्होंने बताया,
'यहां पर सारी रोशनी सूर्य ऊर्जा से है। इस तरह के लगभग ५० बल्ब हैं जो कि २०० वॉट के हैं। ग्राम पंचायत ने इसके लिए ७,५००/-रुपया दिया है जब कि बाजार में इसका दाम ४५,००० से ५०,००० रुपया है। बाकी पैसा सरकार से अनुदान मिला है। बैटरी लगभग साल भर चलती है। बैटरी में तीन महीने में एक बार डिस्टिल वाटर डालना पड़ता है।'वहां महिलाओं और पुरूषों के लिए शौचालय भी बना हुआ है। मैंने उनसे पूछा कि क्या वह साफ है। उन्होंने कहा कि साफ होगा। मैंने चलकर देखने की बात की और उनके साथ उसे देखने गया। वह न तो साफ था और न ही पुरूष वाले शौचालय में पानी का नल ठीक था।
वहां पर खाने पीने की दुकानें थी। जिसमे लोग खा रहे थे और झूठा गंदगी वहीं फेंक रहे थे। मैने उन्हें दो सुझाव दिये,
उन्होंने कहा,
- पहला, आप शौचालय का प्रयोग करने के लिए पैसा लें और उस पैसे से उसकी देख-रेख करें और सफाई करवायें। मैंने उन्हे इस बारे में सिक्किम यात्रा के अनुभवों को बताया। जब यह वहां हो सकता है तो यहां क्यों नहीं।
- दूसरा, यहां पर कूड़ादान रखा हुआ है। उसमें कूड़ादान के अन्दर एक प्लास्टिक रखें ताकि लोग खाकर उसी में फेंके और उसके बाद वह प्लास्टिक बांध कर बाहर निकाल ली जाए और इसके बाद नई प्ललास्टिक लगा दी जाए। हम हिन्दुस्तानी तो एक दूसरे की देखा देखी करते है। यदि एक आदमी उस कूड़ेदान में फेकेंगा तो बाकी सब लोग भी फेंका करेगे। इससे सफाई कर्मचारियों को सुविधा रहेगी और आने वालों को भी अच्छा लगेगा।
'आपका सुझाव अच्छा है। आप जब अगली बार आयेगें तो आप की दोनो बातों पर अमल हो रहा होगा।'आप जब वहां जायें और ऐसा होता पायें तो मुझे अवश्य धन्यवाद दीजियेगा।
'उन्मुक्त जी, वे सुन्दर लड़कियां कहां हैं, जिससे आपने मिलावाने को कहा था।'उनसे तो मुलाकात, अगली बार होगी।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में, या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। नग्गर में, रोरिख संग्रहालय।। मेरे दिल में आज क्या है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।। तुमसे मिल कर, न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है।। हम हिन्दुस्तानी तो एक दूसरे की देखा देखी करते हैं।।
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चलिए कुछ और इंतज़ार करते हैं मिलने का :)
ReplyDeleteकट ही जायेंगे इन्तजार के कुछ और दिन भी :)
ReplyDeleteपूरी दुनिया में यही हाल है, सभी देखा देखी ही करते हैं...
ReplyDeleteसही कह रहे हैं. देखादेही ही तो है.
ReplyDeleteधन्यवाद तो अभी दिये देते हैं जी
ReplyDeleteहमें आशा है कि आपके कहे अनुसार पूरा अमल हो रहा होगा। जब जायेंगें तो आकर आपको जरूर बतायेंगे और साथी पर्यटकों को भी आपके बारे में बतायेंगें।
प्रणाम
कुफरी के आलू संस्थान की तो बात ही नहीं की आपने और क्या खरीदा वरीदा ..मैंने कुछ वूदें आईटम लिए थे और याक के संग फोटो खिंचाई थी !
ReplyDeleteरोचक संस्मरण। अच्छा है आप घूमते रहें ताकि कुछ तो सफाई होती रहे। जरूर कोई पहाडी लडकी होगी जिस से मिलवाने की बात कर रहे हैं। सही बात है न। शुभकामनायें।
ReplyDeleteआशा है आपके सुझाव मूर्त स्वरूप ले लें। अगली पोस्ट की व्यग्रता से प्रतीक्षा है।
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