चायल से हम लोग कुफरी भी गये थे। रास्ते में मैने देखा एक जगह बहुत से लड़के और लड़कियां इकट्ठा थे। और वे रॉक क्लाईबिगं का कर रहे थे। मैंने उतर कर उनके बारे में जानकारी ली।
यह लोग नोयडा के एच.सी.एल. कम्पनी में काम करते थे। वे लोग उनकी वार्षिक मीटिंग में आये थे। यह उनकी एक गति विधि थी। मैंने उनसे पूछा,
'क्या मैं भी कर सकता हूं?'उन्होंने कहा कि उसके लिए उन्होने पैसा दिये है। मुझे लगा कि मेरा इसमें भाग लेना अनुचित होगा।
इसमें बहुत से लड़के और लड़कियां थीं। युवक तो जोश में थे पर युवतियां कुछ घबरा रहीं थीं। लौटते समय हम लोग उनसे पुनः मिले। वे सब थके थे पर बहुत उत्साहित थे। उन्होंने बताया कि उन सब ने रॉक क्लाईंबिंग की और युवतियों का डर दूर हो गया था।
कुफरी जाते समय, हमारे साथ वहां के स्थानीय व्यक्ति विनोद भी थे वे सूचना के भंडार थे। उन्होने बताया,
'यहां पर खास तरह का मशरूम भी होता है जिसे गुच्छी कहते है। यह बहुत ही फ़ायदेमंद होता है और इसकी बहुत ज्यादा मांग होती है। यह तभी पैदा होता है जब बादल गरजते है।'मुझे उनकी बात ठीक नहीं लगी। बादल के गरजने से कुकरमुत्ते के पैदा होने का कोई सम्बंध नही होना चाहिए। हां यह हो सकता है कि जब बादल गरजते है तब पानी बरसता है और यह कुकरमुत्ते को उगाने के लिए सहायक हो।
वहां पर जूं करती हुई आवाज़ आ रही थी। विनोद के अनुसार यह झिंगुर की आवाज़ है। इसको पीस कर दवा बनायी जाती है जिससे मोटापा कम हो सकता है।
हम लोग कुफरी जाने से पहले, 'कुफरी में हॉलीडे रिजॉट' गये। यह बहुत सुन्दर सा रिज़ॉट है। लगता था कि यहीं रुकते तो क्या मज़ा रहता।
कुफरी कॉफी रिज़ॉर्ट में मेरी मुलाकात एक सुश्री योगिता और उनकी सहयोगी से हुई। उन्होंने बताया,
'हमारे रिज़ॉट में कई फिल्में की शूटिंग हुई है। इसमें ''किंग अंकल'' और ''प्यार झुकता नहीं" प्रमुख है।'
यहां एक सुन्दर सा लॉन था। उसमें एक छतरी बनी थी और कुछ कुर्सियां पड़ी थीं। वहीं बैठ कर कॉफी पी और सुन्दर प्रकृतिक सुन्दरता का आनन्द लिया।
कुफरी हॉलीडे रिजॉर्ट वह छतरी भी दिखायी दे रही है जहां हमने कॉफी का आनन्द लिया |
अगली बार हम लोग कुफरी में पहलवानी का दंगल देखेंगे और मिलेंगे प्यारी सी युवती से।
सुनिये और देखिये 'प्यार झुकता नहीं' फिल्म का यह प्यारा सा गीत
'तुमसे मिल कर, न जाने क्यों, और भी कुछ याद आता है, याद आता है'
जहां से, इस चिट्ठी का शीर्षक लिया गया है।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
'तुमसे मिल कर, न जाने क्यों, और भी कुछ याद आता है, याद आता है'
जहां से, इस चिट्ठी का शीर्षक लिया गया है।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में, या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। नग्गर में, रोरिख संग्रहालय।। मेरे दिल में आज क्या है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।। तुमसे मिल कर, न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है।।
हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
- साइबर कानून क्या होता है: ►
- इंडिपेंडेंटस डे और साईबर अपराध: ►
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने'
सांकेतिक शब्द
। Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो, मौज मस्ती,
अगले अंक में देखेगें कि याक की सवारी की या नहीं ....आलू संस्थान गए या नहीं ,बार्किंग डीयर देखा या नहीं ट्रोफ्फेल सरीखी गुच्छी खाई या नहीं!
ReplyDeleteऔर हाँ सुन्दर युवती का आकर्षण तो रहेगा ही :)
गाना बहुत अच्छा है... और हां जगह तो खैर है ही..
ReplyDeleteबहुत मनभावन वर्णन...
ReplyDeleteउन्मुक्त जी ये झीँगुर की दवा कहाँ से मिलेगी? कुछ हमारे लिये भेज सकें तो अच्छा होगा मोटापे से तंग हूँ। बहुत अच्छा लगा ये यात्रा विवरण। धन्यवाद।
ReplyDeleteAapke yaatra vivran hamesh achhe hote hain...saral aur tazagee bhare! Man wahan vihaar kar aataa hai!
ReplyDeleteआपका हर संस्मरण बहुत कुछ दे जाता है।
ReplyDelete---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
दूरदर्शन पर ये फिल्म खूब आती थी. :)
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर यात्रा पोस्ट की चर्चा चर्चा मंच पर भी है!
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/2010/11/337.html
बड़ा अच्छा लगा यह स्थान।
ReplyDeleteसुन्दर वृत्तांत, सुन्दर गीत!
ReplyDelete