Tuesday, March 01, 2022

सबसे बड़े भगवान

शिवरात्रि, बाबा का जन्मदिन, और उनका एक और किस्सा।

रात के खाने पर - बीते समय की चर्चा

मेरे बाबा, केशव चन्द्र सिंह चौधरी अनूठे व्यक्ति थे - अपने समय से सौ साल आगे, महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण में विश्वास करने वाले, विद्या के पुजारी और अपना सब कुछ दान करने वाले।

मैंने पिछली कुछ चिट्ठियों में चर्चा की थी कि राजमाता विजय राजे सिंधिया उनके बारे में क्या सोचती थीं, वे बांदा क्यों वकालत करने गये, वे मेरे जहन में कैसे हैं और उनका सबसे पसन्दीदा शौक क्या था। लेकिन यह सब भी उनके व्यक्तित्व को नहीं समेटता। वे इससे भी विशाल थे।

पिछले साल दिसंबर कर महीने में, मेरे घर पर रात का खाने के समय, परिवार कुछ सदस्यों का जमावड़ा रहा। पुरानी बातों की चर्चा के साथ, परिवार की भी चर्चा रही

मेरे कई चचेरे भाई, बहन भाग्यशाली रहे। उनका बचपन बाबा के साथ बीता। एक ने  बाबा का अनसुना किस्सा सुनाया।

एक दिन  बाबा ने पूछा की सबसे बड़े भगवान कौन हैं। 

राम, कृष्ण तो विष्णु के अवतार हैं औेर सबसे पूज्य भी। भगवान विष्णु तो ब्रह्माण्ड के पालक, उसके संरक्षक हैं। उसने तुरन्त विष्णु का नाम लिया। लेकिन बाबा ने कहा कि सबसे बड़े भगवान तो शिव हैं। 

भगवान शिव तो तांडव  नृत्य करते हैं, संहारक हैं, उनकी वेशभूषा कुछ अजीब है। मेरा भाई कुछ असमंजस में पड़ गया। बाबा ने समझाया,

'समुद्र मंथन में, विष और दोनो निकले। यही जीवन में भी होता है।
अमृत तो सब पीना चाहते हैं पर विष बिरले ही पी सकते हैं। यह भगवान शिव ही थे, जो विष पी सके। ऐसे ही लोग - परिवार और संसार का उत्थान करते हैं, सुख, शन्ति लाते हैं।'
उन्होंने आगे समझाया,
'सुखी परिवार वही है जिसमें, कम से कम, एक व्यक्ति शिव हो, जो विष पीने की क्षमता रखता हो। यह कोई जरूरी नहीं है कि वह हर समय विष पिये। अलग-अलग समय में, अलग-अलग लोग विष पी सकते हैं।
यदि परिवार में, ऐसे लोग नहीं है तो वहां सुख और वैभव का आभाव ही रहेगा।'

बाबा ऐसे ही थे - शिव की तरह, हमेशा विष पीने वाले - ताकि परिवार अमृत पी सके। यही कारण है कि हम सब अपने जीवन में अच्छा कर सके।

हम सब उनके जैसे बन सकें, यही हमारी लालसा, हमारे अरमान।

तुम्हारे बिना

।। 'चौधरी' ख़िताब - राजा अकबर ने दिया।। बलवन्त राजपूत विद्यालय आगरा के पहले प्रधानाचार्य।। मेरे बाबा - राजमाता की ज़बानी।। मेरे बाबा - विद्यार्थी जीवन और बांदा में वकालत।। बाबा, मेरे जहान में।। पुस्तकें पढ़ना औेर भेंट करना - सबसे उम्दा शौक़।। सबसे बड़े भगवान।। जब नेहरू जी और कलाम साहब ने टायर बदला।। नये वकीलों को बाबा और पिता की सलाह।।  मेरे नाना - राज बहादुर सिंह।। बसंत पंचमी - अम्मां, दद्दा की शादी।। अम्मां - मेरी यादों में।।  दद्दा (मेरे पिता)।।My Father - Virendra Kumar Singh Chaudhary ।।  नैनी सेन्ट्रल जेल और इमरजेन्सी की यादें।। My Father - Ram Janam Bhumi, Babri Masjid Case - Background Story।। RAJJU BHAIYA AS I KNEW HIM।। मां - हम अकेले नहीं हैं।।  रक्षाबन्धन।। जीजी, शादी के पहले - बचपन की यादें ।।  जीजी की बेटी श्वेता की आवाज में पिछली चिट्ठी का पॉडकास्ट।। चौधरी का चांद हो।।  दिनेश कुमार सिंह उर्फ बावर्ची।। GOODBYE ARVIND।।

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सांकेतिक शब्द
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6 comments:

  1. बहुत सुंदर कथन। परिवार में एक व्यक्ति विष पीने वाला शिव हो।गौरव की बात कि ऐसे बाबा थे।
    रामनिवास चतुर्वेदी

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  2. Umesh vats12:11 pm

    Great personality..Naman🙏

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  3. Anonymous11:45 am

    Great Mahadev 🙏🏻🙏🏻

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  4. Anonymous12:11 pm

    सादर नमन

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  5. Anonymous12:15 pm

    चरण स्पर्श सर

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  6. Akhileshwar Singh1:18 pm

    शिव शक्ति अवतार भगवान श्री सत्य साई बाबा की दिव्य अमृत वाणी - एक ही जाति है -वह है मानवता क़ी
    एक ही भाषा है- वह है हृदय क़ी
    एक ही धर्म है - वह है प्रेम का
    एक ही ईश्वर हैँ -जो सर्व व्यापी हैं

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